Jai Ganga

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Radhakant Bharati
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback

188

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13

भारतीय उपमहाद्वीप की महत्त्वपूर्ण नदी का नाम हैं-गंगा, जो हिमालय से बैंगलादेश तक 2,525 किमी. की यात्रा तय करती हैं। अपने विशाल प्रवाह क्षेत्र में पूरब की दिशा में बहती इसको धारा फरक्का के निकट दक्षिण की दिशा में मुड़कर दो शाखाओं में बँट जाती है। यह नदी भारत में भागीरथी, अलकनंदा, गंगा तथा हुगली नाम से पुकारी जाती हैं।गंगा को मूलधारा भागीरथी का उद्गम पवित्र गंगोत्री नामक हिमनद से हुआ हैं। भागीरथी अपने उद्गम स्थल से निकलकर 35 किमी. तक पश्चिम की ओर प्रवाहित होती हुई दक्षिण की ओर मुड़ जाती हैं। इसकी मुख्य सहायिका अलकनंदा है, जो देवप्रयाग में इससे मिलती है।देवप्रयाग से ही अलकनंदा और भागीरथी के सम्मिलित जलप्रवाह का नाम गंगा हो जाता हैं। विशाल हिमालय की श्रृंखला को लक्ष्मण झूला के पास छोड़कर यह हरिद्वार नामक तीर्थ से मैदानी भाग में प्रवेश करती हैं।भारतीयों के लिए इस पवित्र नदी का न केवल सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व हैं, अपितु यह जीवन के विविध पक्षों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।गंगा के सभी आयामों पर विहंगम प्रकाश डालनेवालो पठनीय पुस्तक।

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Description

भारतीय उपमहाद्वीप की महत्त्वपूर्ण नदी का नाम हैं-गंगा, जो हिमालय से बैंगलादेश तक 2,525 किमी. की यात्रा तय करती हैं। अपने विशाल प्रवाह क्षेत्र में पूरब की दिशा में बहती इसको धारा फरक्का के निकट दक्षिण की दिशा में मुड़कर दो शाखाओं में बँट जाती है। यह नदी भारत में भागीरथी, अलकनंदा, गंगा तथा हुगली नाम से पुकारी जाती हैं।गंगा को मूलधारा भागीरथी का उद्गम पवित्र गंगोत्री नामक हिमनद से हुआ हैं। भागीरथी अपने उद्गम स्थल से निकलकर 35 किमी. तक पश्चिम की ओर प्रवाहित होती हुई दक्षिण की ओर मुड़ जाती हैं। इसकी मुख्य सहायिका अलकनंदा है, जो देवप्रयाग में इससे मिलती है।देवप्रयाग से ही अलकनंदा और भागीरथी के सम्मिलित जलप्रवाह का नाम गंगा हो जाता हैं। विशाल हिमालय की श्रृंखला को लक्ष्मण झूला के पास छोड़कर यह हरिद्वार नामक तीर्थ से मैदानी भाग में प्रवेश करती हैं।भारतीयों के लिए इस पवित्र नदी का न केवल सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व हैं, अपितु यह जीवन के विविध पक्षों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।गंगा के सभी आयामों पर विहंगम प्रकाश डालनेवालो पठनीय पुस्तक।

About Author

राधाकांत भारती राष्ट्रीय स्तर के लेखक, मूलत: गंगा क्षेत्र में स्थित नालंदा के निवासी, भारतीय लोक संस्कृति के पारखी डॉ. राधाकांत भारती को आरंभ से ही नदियों से लगाव रहा है। भारत सरकार की पत्रिका 'भगीरथ' के संपादन के अलावा वर्षों तक आकाशवाणी तथा दूरदर्शन के कार्यक्रमों से जुड़े रहे हैं। सौ से अधिक रूपक तथा वार्ताएँ प्रसारित हुई। विशेषकर भारतीय नदियों पर वृत्तचित्रों के प्रसारण से सराहना मिली हैं। भारत सरकार में 25 वर्षों से अधिक संपादन और लेखन का कार्य किया। हिंदी और अंग्रेजी में दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित । सन् 1998 में सरकारी सेवा से सेवानिवृत्ति के बाद से लेखन तथा पत्रकारिता में पूर्ववत् व्यस्तता कायम हैं।
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