SaleHardback
THE CASEBOOK OF SHERLOCK HOLMES AND HIS LAST BOW (UNABRIDGED CLASSICS) ₹195 ₹194
Save: 1%
गान्धर्ववेद: Gandharva Veda ₹450 ₹405
Save: 10%
Hindi Ki Vartani
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Sant Sameer
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
₹500 ₹200
Save: 60%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Weight | 430 g |
---|---|
Book Type |
ISBN:
Category: General Fiction
Page Extent:
256
योतो विस्तृत क्षेत्रफल में बोली जानेवाली किसी भी भाषा मे क्षेत्रीयता, भौगोलिक परिस्थितियों, सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि आदि के कारण उच्चारणगत परिवर्तन दृष्टिगोचर होते हैं, पर लेखन के स्तर पर व रानी की जैसी अराजकता आजकल हिंदी में दिखाई देती है, वैसी अन्य भाषाओं में नहीं है। संसार की सर्वाधिक वैज्ञानिकतापूर्ण लिपि में लिखी जाने के बावजूद हिंदी का हाल यह है कि बहुत से ऐसे शब्द हैं, जिनकी वर्तमान में कई- कई वर्तनी प्रचलित हैं। जबकि किसी भी दृष्टिकोण से विचार करने पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि साधारण या विशिष्ट, किसी भी तरह के लेखन में शब्दों की वर्तनी के मानक स्वरूप की आवश्यकता होती ही है। प्रस्तुत पुस्तक में लेखक, पत्रकार और प्रतिष्ठित समाजकर्मी संत समीर ने हिंदी-वर्तनी की विभिन्न समस्याओं पर तर्कपूर्ण ढंग से विचार करते हुए कई महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। लेखक ने हिंदी-वर्तनी का मानक स्वरूप निर्धारित करने में हिंदी के समाचार-पत्रों की अहम भूमिका रेखांकित की है । हमें उम्मीद है कि यह पुस्तक हिंदी भाषा की वर्तनी के मुद्दे पर हिंदीभाषी जनता को जागरूक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।.
Be the first to review “Hindi Ki Vartani” Cancel reply
Description
योतो विस्तृत क्षेत्रफल में बोली जानेवाली किसी भी भाषा मे क्षेत्रीयता, भौगोलिक परिस्थितियों, सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि आदि के कारण उच्चारणगत परिवर्तन दृष्टिगोचर होते हैं, पर लेखन के स्तर पर व रानी की जैसी अराजकता आजकल हिंदी में दिखाई देती है, वैसी अन्य भाषाओं में नहीं है। संसार की सर्वाधिक वैज्ञानिकतापूर्ण लिपि में लिखी जाने के बावजूद हिंदी का हाल यह है कि बहुत से ऐसे शब्द हैं, जिनकी वर्तमान में कई- कई वर्तनी प्रचलित हैं। जबकि किसी भी दृष्टिकोण से विचार करने पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि साधारण या विशिष्ट, किसी भी तरह के लेखन में शब्दों की वर्तनी के मानक स्वरूप की आवश्यकता होती ही है। प्रस्तुत पुस्तक में लेखक, पत्रकार और प्रतिष्ठित समाजकर्मी संत समीर ने हिंदी-वर्तनी की विभिन्न समस्याओं पर तर्कपूर्ण ढंग से विचार करते हुए कई महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। लेखक ने हिंदी-वर्तनी का मानक स्वरूप निर्धारित करने में हिंदी के समाचार-पत्रों की अहम भूमिका रेखांकित की है । हमें उम्मीद है कि यह पुस्तक हिंदी भाषा की वर्तनी के मुद्दे पर हिंदीभाषी जनता को जागरूक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।.
About Author
जन्म: 10 जुलाई, 1970। शिक्षा: समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर। प्रतिष्ठित समाजकर्मी। उन कुछ महत्त्वपूर्ण लोगों में से एक, जिन्होंने स्वतंत्र भारत में पहली बार बहुराष्ट्रीय उपनिवेश के खिलाफ आवाज उठाते हुए अस्सी के दशक के उत्तरार्ध में स्वदेशी-स्वावलंबन का आदोलन पुन' शुरू किया। हिंदी की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन। वैकल्पिक चिकित्सा, समाज-व्यवस्था, भाषा, संस्कृति, अध्यात्म आदि रुचि के खास विषय रहे हैं। प्रतिष्ठित फीचर सर्विस 'स्वदेशी संवाद सेवा' का लगभग आठ वर्षों तक संपादन।' नई आजादी उद्घोष' के संपादक और सलाहकार संपादक रहे। कृतियों: 'सफल लेखन के सूत्र', 'स्वदेशी चिकित्सा', 'सौंदर्य निखार', 'स्वतंत्र प्रबंध', 'दैनिक हिंदुस्तान _ एक अध्ययन '(शोध प्रबंध)। संप्रति: 'कादंबिनी' से जुड़े हुए हैं। रेडियो और विभिन्न टीवी चैनलों के कार्यक्रमों में भी सक्रिय।.
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Hindi Ki Vartani” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Reviews
There are no reviews yet.