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Gujarati Ki Lokpriya Kahaniyan
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Aabid Surti
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Aabid Surti
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹350 ₹245
Save: 30%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Weight | 363 g |
---|---|
Book Type |
ISBN:
Categories: General Fiction, Hindi
Page Extent:
178
चुनी हुई इन रचनाओं को चाहे आप कालजयी कहें या सदाबहार, श्रेष्ठ कहें या अविस्मरणीय; हैं तो सदियों तक दिलो-दिमाग पर राज करनेवाली कहानियाँ।
इस संकलन को तैयार करने में पाँच वर्ष लग गए। इसके कई कारण हैं। पहला यह कि हम सब (यानी कि मैं, मेरे सलाहकार तथा मित्र) चाहते थे, यह संकलन न सिर्फ परिपूर्ण और त्रुटिहीन हो, बल्कि अद्वितीय भी हो।
और जब इरादे बुलंद हों तो अवरोध भी उतने ही बड़े होते हैं। सबसे पहले यह समस्या खड़ी हुई कि सैकड़ों कहानियों के ढेर में से किसे चुनें और किसे छोड़ें। काफी जद्दोजहद और धुआँधार बहसों के सिलसिले के बाद हल निकला तो संकलन का कद जरूरत से ज्यादा ही मोटा हो गया। फिर एक बार छँटाई करनी पड़ी।
कभी ऐसा भी हुआ कि प्रसिद्ध लेखक की रचना को त्यागकर किसी अन्य लेखक को तरजीह देनी पड़ी। कारण सिर्फ यही रहा कि हिंदी में बार-बार अनूदित हो चुकी रचना के बजाय क्यों न उतनी ही ठोस नई रचना पेश की जाए?
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Lokpriya Kahaniyan” Cancel reply
Description
चुनी हुई इन रचनाओं को चाहे आप कालजयी कहें या सदाबहार, श्रेष्ठ कहें या अविस्मरणीय; हैं तो सदियों तक दिलो-दिमाग पर राज करनेवाली कहानियाँ।
इस संकलन को तैयार करने में पाँच वर्ष लग गए। इसके कई कारण हैं। पहला यह कि हम सब (यानी कि मैं, मेरे सलाहकार तथा मित्र) चाहते थे, यह संकलन न सिर्फ परिपूर्ण और त्रुटिहीन हो, बल्कि अद्वितीय भी हो।
और जब इरादे बुलंद हों तो अवरोध भी उतने ही बड़े होते हैं। सबसे पहले यह समस्या खड़ी हुई कि सैकड़ों कहानियों के ढेर में से किसे चुनें और किसे छोड़ें। काफी जद्दोजहद और धुआँधार बहसों के सिलसिले के बाद हल निकला तो संकलन का कद जरूरत से ज्यादा ही मोटा हो गया। फिर एक बार छँटाई करनी पड़ी।
कभी ऐसा भी हुआ कि प्रसिद्ध लेखक की रचना को त्यागकर किसी अन्य लेखक को तरजीह देनी पड़ी। कारण सिर्फ यही रहा कि हिंदी में बार-बार अनूदित हो चुकी रचना के बजाय क्यों न उतनी ही ठोस नई रचना पेश की जाए?
About Author
आबिद सुरती जन्म : 1935 राजुला (गुजरात)।
शिक्षा : एस.एस.सी., जी.डी. आर्ट्स (ललित कला)।
प्रकाशन : अब तक अस्सी पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें पचास उपन्यास, दस कहानी संकलन, सात नाटक, पच्चीस बच्चों की पुस्तकें, एक यात्रा-वृत्तांत, दो कविता संकलन, एक संस्मरण और कॉमिक्स। पचास साल से गुजराती तथा हिंदी की विभिन्न पत्रिकाओं और अखबारों में लेखन। उपन्यासों का कन्नड़, मलयालम, मराठी, उर्दू, पंजाबी, बंगाली और अंग्रेजी में अनुवाद। ‘ढब्बूजी’ व्यंग्य चित्रपट्टी निरंतर तीस साल तक साप्ताहिक ‘धर्मयुग’ में प्रकाशित।
दूरदर्शन, जी तथा अन्य चैनलों के लिए कथा, पटकथा, संवाद लेखन। अब तक देश-विदेशों में सोलह चित्र-प्रदर्शनियाँ आयोजित। फिल्म लेखक संघ, प्रेस क्लब (मुंबई) के सदस्य।
पुरस्कार : कहानी संकलन ‘तीसरी आँख’ को राष्ट्रीय पुरस्कार।
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