Ghatshraadh (HB)
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प्रसिद्ध उपन्यासकार यू.आर. अनन्तमूर्ति की ये कहानियाँ अपनी प्रयोगधर्मिता, बौद्धिक संयम, अनूठी कथा-शैली और बेबाक आधुनिक दृष्टि के कारण कन्नड़ कथा-साहित्य में विशेष स्थान बना चुकी हैं। ‘घटश्राद्ध’ कहानी पर कन्नड़ में फ़िल्म भी बन चुकी है, जो काफ़ी चर्चित और पुरस्कृत हुई। इन कहानियों में प्रचलित रूढ़ियों के अनूठे चित्र और दिलचस्प चरित्र हैं जो आधुनिकता की मार खा-खाकर चरमरा रहे हैं, टूट रहे हैं, बिखर रहे हैं। उनके इस विघटन में निहित अनिवार्य त्रासदी मन को आलोड़ित करती है। कुछ प्रयोगधर्मी कहानियों में अनूठी फैंटेसियों का आकलन हुआ है, जो किसी गहरे आन्तरिक यथार्थ की प्रतीति कराती हैं। नारी के शोषण के अनेक चित्र इन कहानियों में देखने को मिलते हैं। कंठ के भीतर घुटते उच्छ् वासों को रचनाकार ने अपनी विशेष सजीव और सहज शैली में उभारा है। भारतीय भाषाओं को ‘संस्कार’ जैसा आधुनिक क्लासिक उपन्यास देनेवाले रचनाकार का यह संकलन पढ़ना एक अनूठा अनुभव है।
प्रसिद्ध उपन्यासकार यू.आर. अनन्तमूर्ति की ये कहानियाँ अपनी प्रयोगधर्मिता, बौद्धिक संयम, अनूठी कथा-शैली और बेबाक आधुनिक दृष्टि के कारण कन्नड़ कथा-साहित्य में विशेष स्थान बना चुकी हैं। ‘घटश्राद्ध’ कहानी पर कन्नड़ में फ़िल्म भी बन चुकी है, जो काफ़ी चर्चित और पुरस्कृत हुई। इन कहानियों में प्रचलित रूढ़ियों के अनूठे चित्र और दिलचस्प चरित्र हैं जो आधुनिकता की मार खा-खाकर चरमरा रहे हैं, टूट रहे हैं, बिखर रहे हैं। उनके इस विघटन में निहित अनिवार्य त्रासदी मन को आलोड़ित करती है। कुछ प्रयोगधर्मी कहानियों में अनूठी फैंटेसियों का आकलन हुआ है, जो किसी गहरे आन्तरिक यथार्थ की प्रतीति कराती हैं। नारी के शोषण के अनेक चित्र इन कहानियों में देखने को मिलते हैं। कंठ के भीतर घुटते उच्छ् वासों को रचनाकार ने अपनी विशेष सजीव और सहज शैली में उभारा है। भारतीय भाषाओं को ‘संस्कार’ जैसा आधुनिक क्लासिक उपन्यास देनेवाले रचनाकार का यह संकलन पढ़ना एक अनूठा अनुभव है।
About Author
यू.आर. अनन्तमूर्ति
जन्म : 21 दिसम्बर, 1932; मिलिगे नामक गाँव, जिला—शिमोगा (कर्नाटक) में।
शिक्षा : मैसूर विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. और बर्मिंघम विश्वविद्यालय (इंग्लैंड) से पीएच.डी.।
कन्नड़ के प्रख्यात उपन्यासकार और कथा-लेखक। यदा-कदा कविताओं की भी रचना।
सन् 1975 में आयोवा विश्वविद्यालय, 1978 में तुफ्त्स विश्वविद्यालय (अमेरिका) में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर और 1985 में आयोवा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अन्तरराष्ट्रीय लेखक सम्मेलन में हिस्सेदारी। सन् 1987 से 1991 तक महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोट्टायम के उप-कुलपति और सन् 1980-1992 के बीच मैसूर विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्रोफ़ेसर-पद पर कार्य। ‘नेशनल बुक ट्रस्ट’, नई दिल्ली के चेयरमैन और ‘साहित्य अकादेमी’ के अध्यक्ष-पद पर भी कार्यरत रहे।
‘भारतीय ज्ञानपीठ’ सहित साहित्य, संस्कृति और फ़िल्म क्षेत्र के अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित। देश-विदेश में आयोजित अनेक साहित्य-सम्मेलनों में व्याख्यान और अनेक संस्थाओं की मानद सदस्यता। ‘अवस्था’, ‘संस्कार’ आदि उपन्यासों पर फ़िल्मों का निर्माण। अंग्रेज़ी, रूसी, फ़्रेंच, हंगेरियन, हिन्दी, बांग्ला, मलयालम, मराठी, गुजराती आदि भाषाओं में रचनाओं का अनुवाद।
हिन्दी में अनूदित कृतियाँ : ‘संस्कार’, ‘अवस्था’, ‘भारतीपुर’ (उपन्यास); ‘घटश्राद्ध’, ‘आकाश और बिल्ली’ (कहानी-संग्रह); ‘किस प्रकार की है यह भारतीयता’ (निबन्ध)।
निधन: 22 अगस्त, 2014
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