SaleHardback
Gaon Ke Naon sasurar Mor Naon Damaad
₹100 ₹99
Save: 1%
Ghachar Ghochar
₹125 ₹124
Save: 1%
Gatha Rambhateri
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
डॉ. कुसुम खेमानी
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
डॉ. कुसुम खेमानी
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹495 ₹371
Save: 25%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789388434478
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
208
‘गाथा रामभतेरी’ कुसुम खेमानी का तीसरा उपन्यास है। इसके पहले ‘लावण्यदेवी’ और ‘जड़ियाबाई’-दोनों उपन्यास हिन्दी में पर्याप्त चर्चित हो चुके हैं। इन दोनों उपन्यासों में बंगाली और मारवाड़ी समाज की स्त्रियों का जीवन-संघर्ष उभरकर सामने आया है, किन्तु कथा-वस्तु की दृष्टि से ‘गाथा रामभतेरी’ सर्वथा भिन्न लोक में विचरण करती है। इसमें राजस्थान की घुमन्तू-फिरन्तू जनजाति बनजारों की गाथा है और केन्द्रीय स्त्री-चरित्र है-बनजारन रामभतेरी। इस उपन्यास के बहाने कुसुम खेमानी ने हिन्दी के कथा-जगत को अनेक अनोखे चरित्र प्रदान किये हैं और उनमें सबसे अजूबा है-रामभतेरी। रामभतेरी अपनी अदम्य संघर्ष-क्षमता और जीवटता से बनजारों के जन-जीवन को सँवारने का प्रयत्न करने वाली शख्सियत में बदल जाती है। जिनका कभी कोई घर नहीं था उन्हें एक स्थायी घर और स्थायी जीवन देने का स्वप्न इस उपन्यास का केन्द्रीय स्वप्न है और यह स्वप्न ही उपन्यास को लक्ष्य की दृष्टि से उच्चतम धरातल पर प्रतिष्ठित करता है। भाषा में लेखिका की पकड़ देखते ही बनती है। लोक-जीवन, बोलचाल और बेशक अनेक मीठी गालियों से अलंकृत यह भाषा अपने प्रवाह में पाठक को बहा ले जाती है। पहले दोनों उपन्यासों की तरह यहाँ भी डॉ. खेमानी की शैली बतरस शैली है जिसमें उन्हें पर्याप्त दक्षता हासिल है। प्रसिद्ध फ्रांसीसी लेखिका सिमोन द बुअवार ने लिखा है कि-‘मनुष्य कोई पत्थर या पौधा नहीं है, जो अपने होने भर से सन्तुष्ट हो जाये।’ कुसुम खेमानी के कथा-चरित्र भी अपने होने भर से सन्तुष्ट नहीं होते, बल्कि अपने जीवन और समाज का कायाकल्प कर जाते हैं। इसमें कोई सन्देह नहीं कि कुसुम खेमानी के इस नवीनतम उपन्यास का भी हिन्दी जगत में पर्याप्त स्वागत होगा। -एकान्त श्रीवास्तव
Be the first to review “Gatha Rambhateri” Cancel reply
Description
‘गाथा रामभतेरी’ कुसुम खेमानी का तीसरा उपन्यास है। इसके पहले ‘लावण्यदेवी’ और ‘जड़ियाबाई’-दोनों उपन्यास हिन्दी में पर्याप्त चर्चित हो चुके हैं। इन दोनों उपन्यासों में बंगाली और मारवाड़ी समाज की स्त्रियों का जीवन-संघर्ष उभरकर सामने आया है, किन्तु कथा-वस्तु की दृष्टि से ‘गाथा रामभतेरी’ सर्वथा भिन्न लोक में विचरण करती है। इसमें राजस्थान की घुमन्तू-फिरन्तू जनजाति बनजारों की गाथा है और केन्द्रीय स्त्री-चरित्र है-बनजारन रामभतेरी। इस उपन्यास के बहाने कुसुम खेमानी ने हिन्दी के कथा-जगत को अनेक अनोखे चरित्र प्रदान किये हैं और उनमें सबसे अजूबा है-रामभतेरी। रामभतेरी अपनी अदम्य संघर्ष-क्षमता और जीवटता से बनजारों के जन-जीवन को सँवारने का प्रयत्न करने वाली शख्सियत में बदल जाती है। जिनका कभी कोई घर नहीं था उन्हें एक स्थायी घर और स्थायी जीवन देने का स्वप्न इस उपन्यास का केन्द्रीय स्वप्न है और यह स्वप्न ही उपन्यास को लक्ष्य की दृष्टि से उच्चतम धरातल पर प्रतिष्ठित करता है। भाषा में लेखिका की पकड़ देखते ही बनती है। लोक-जीवन, बोलचाल और बेशक अनेक मीठी गालियों से अलंकृत यह भाषा अपने प्रवाह में पाठक को बहा ले जाती है। पहले दोनों उपन्यासों की तरह यहाँ भी डॉ. खेमानी की शैली बतरस शैली है जिसमें उन्हें पर्याप्त दक्षता हासिल है। प्रसिद्ध फ्रांसीसी लेखिका सिमोन द बुअवार ने लिखा है कि-‘मनुष्य कोई पत्थर या पौधा नहीं है, जो अपने होने भर से सन्तुष्ट हो जाये।’ कुसुम खेमानी के कथा-चरित्र भी अपने होने भर से सन्तुष्ट नहीं होते, बल्कि अपने जीवन और समाज का कायाकल्प कर जाते हैं। इसमें कोई सन्देह नहीं कि कुसुम खेमानी के इस नवीनतम उपन्यास का भी हिन्दी जगत में पर्याप्त स्वागत होगा। -एकान्त श्रीवास्तव
About Author
"कुसुम खेमानी
जन्म : 19 सितम्बर 1944
शिक्षा : कलकत्ता विश्वविद्यालय से पीएच.डी. ।
सृजन : सचित्र हिन्दी बालकोश, हिन्दी-अंग्रेज़ी बालकोश, सच कहती कहानियाँ, एक अचम्भा प्रेम, अनुगूँज ज़िन्दगी की, एक शख़्स कहानी-सा, कहानियाँ सुनाती यात्राएँ, कुछ रेत... कुछ सीपियाँ... विचारों की, कुसुम खेमानी की लोकप्रिय कहानियाँ, लावण्यदेवी, जड़ियाबाई, गाथा रामभतेरी, लालबत्ती की अमृतकन्याएँ (उपन्यास) । लावण्यदेवी बांग्ला भाषा में बांग्लादेश से प्रकाशित। यह उपन्यास बांग्ला के अलावा नेपाली, तमिल, मलयालम, ओड़िया, राजस्थानी एवं मराठी भाषाओं में भी प्रकाशित ।
प्रमुख सम्मान : ‘कुसुमांजलि साहित्य सम्मान' (दिल्ली), 'साहित्य भूषण सम्मान' (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान), 'हरियाणा गौरव सम्मान' ( हरियाणा साहित्य अकादमी), 'लावण्यदेवी' उपन्यास के अंग्रेज़ी अनुवाद को पेन अमेरिका लिटररी अवार्ड का विशेष ग्रांट एवं पं. माधवराव सप्रे छत्तीसगढ़-मित्र साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान-2021 |
ई-मेल : kusumkhemani1@gmail.com"
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Gatha Rambhateri” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Reviews
There are no reviews yet.