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Ek Jeevan Alag Se (PB)
Publisher:
Lokbharti
| Author:
RUPAM MISHRA
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Lokbharti
Author:
RUPAM MISHRA
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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9788196058821
Category Hindi
Category: Hindi
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रूपम मिश्र की कविता का वैशिष्ट्य यह है कि वह किसी और की तरह नहीं लिखतीं। हम सभी जानते हैं कि साधारण-सी लगने वाली इस बात की क्या असाधारणता है। कहन की यह मौलिकता उन्हें अपनी अन्तर्वस्तु से मिलती हैं जिसका उत्स वह जनक्षेत्र है जिसके वृत्तान्त उनकी कविता का रूप-रंग तय करते हैं। रूपम अवध के पुरुषवाची लैंडस्केप में औरतों के दुखों और दुविधाओं और द्वन्द्व को मरोड़, उत्ताप और विकलता से कहती तो हैं लेकिन इस कहन में विडम्बना अनुपस्थित नहीं होती। इस तरह वह स्त्री के सन्ताप और उसके संकट का भाववाद नहीं निर्मित करतीं और वजह भी यही होगी कि वह न तो राज्य को बख्शती हैं और न प्रतिगामी मूल्यों को बनाए रखने वाले सामाजिक ढाँचे को, जो सामन्ती सोच-समझ का प्रतिफलन, विस्तार और विद्रूप है। वह उन बहुत कम स्त्री कवियों में हैं जिन्होंने नारी स्वातंत्र्य के बुनियादी प्रत्ययों पर कायम रहते हुए उसकी मुक्ति को भारतीय नागरिकता की बृहत्तर मुक्ति के कार्यभार से अलगाकर नहीं देखा। हिन्दी कविता की समकालीनता में वह लगभग अकेली हैं जो अपनी कविता में अपने इलाके के मनुष्य और मनुष्यता ही नहीं उस भूभाग के सांस्कृतिक पराभव के वर्णन के लिए इलाकाई जबान का बहुत नैसर्गिक और निहितार्थवान उपयोग करती हैं। उनकी कविता को पढ़ना अवध की स्त्रियों की कितनी ही कथाओं और आत्मकथाओं में गूँजते कैद और स्वातंत्र्य, कायरता और प्रतिकार, गलित और नैतिक, परम्परित और अग्रगामी, जड़ीभूत और गतिशील की द्वन्द्वात्मक स्थितियों में पैदा होते सवालों से आप्लावित, विचलित और उत्प्रेरित होना है जहाँ पुरुष वर्चस्व और स्त्री मुखरता का परिपार्श्व अलक्षित नहीं रह पाता। विषम अवस्थितियों में लिखी जाती रूपम मिश्र की कविता और बेहद प्रतिकूल हालात में निर्मित होता और नित निखरता उनका काव्य व्यक्तित्व किसी दन्तकथा से कम नहीं। —देवी प्रसाद मिश्र
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Description
रूपम मिश्र की कविता का वैशिष्ट्य यह है कि वह किसी और की तरह नहीं लिखतीं। हम सभी जानते हैं कि साधारण-सी लगने वाली इस बात की क्या असाधारणता है। कहन की यह मौलिकता उन्हें अपनी अन्तर्वस्तु से मिलती हैं जिसका उत्स वह जनक्षेत्र है जिसके वृत्तान्त उनकी कविता का रूप-रंग तय करते हैं। रूपम अवध के पुरुषवाची लैंडस्केप में औरतों के दुखों और दुविधाओं और द्वन्द्व को मरोड़, उत्ताप और विकलता से कहती तो हैं लेकिन इस कहन में विडम्बना अनुपस्थित नहीं होती। इस तरह वह स्त्री के सन्ताप और उसके संकट का भाववाद नहीं निर्मित करतीं और वजह भी यही होगी कि वह न तो राज्य को बख्शती हैं और न प्रतिगामी मूल्यों को बनाए रखने वाले सामाजिक ढाँचे को, जो सामन्ती सोच-समझ का प्रतिफलन, विस्तार और विद्रूप है। वह उन बहुत कम स्त्री कवियों में हैं जिन्होंने नारी स्वातंत्र्य के बुनियादी प्रत्ययों पर कायम रहते हुए उसकी मुक्ति को भारतीय नागरिकता की बृहत्तर मुक्ति के कार्यभार से अलगाकर नहीं देखा। हिन्दी कविता की समकालीनता में वह लगभग अकेली हैं जो अपनी कविता में अपने इलाके के मनुष्य और मनुष्यता ही नहीं उस भूभाग के सांस्कृतिक पराभव के वर्णन के लिए इलाकाई जबान का बहुत नैसर्गिक और निहितार्थवान उपयोग करती हैं। उनकी कविता को पढ़ना अवध की स्त्रियों की कितनी ही कथाओं और आत्मकथाओं में गूँजते कैद और स्वातंत्र्य, कायरता और प्रतिकार, गलित और नैतिक, परम्परित और अग्रगामी, जड़ीभूत और गतिशील की द्वन्द्वात्मक स्थितियों में पैदा होते सवालों से आप्लावित, विचलित और उत्प्रेरित होना है जहाँ पुरुष वर्चस्व और स्त्री मुखरता का परिपार्श्व अलक्षित नहीं रह पाता। विषम अवस्थितियों में लिखी जाती रूपम मिश्र की कविता और बेहद प्रतिकूल हालात में निर्मित होता और नित निखरता उनका काव्य व्यक्तित्व किसी दन्तकथा से कम नहीं। —देवी प्रसाद मिश्र
About Author
रूपम मिश्र
रूपम मिश्र का जन्म 7 जून, 1983 को उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद के तिलहरा (सुजानगंज) में हुआ। उनकी शुरुआती पढ़ाई गाँव में ही हुई। फिर पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर से स्नातक किया। महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कविताएँ नियमित रूप से प्रकाशित होती रही हैं। वे स्त्री मुद्दों पर लगातार लिखती रही हैं। अनेक कविताओं के उर्दू, अंग्रेजी और मराठी में अनुवाद प्रकाशित हुए हैं।
‘एक जीवन अलग से’ उनका पहला कविता-संग्रह है।
वे ‘मनीषा त्रिपाठी स्मृति अनहद कोलकाता सम्मान’ (2022) से सम्मानित हैं।
ई-मेल : rupammishra244@gmail.com
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