Munder Par 225

Save: 25%

Back to products
Padma-Agni 300

Save: 25%

Dharma Aur Vigyan

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dr. Hariprasad Somani
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Dr. Hariprasad Somani
Language:
Hindi
Format:
Hardback

375

Save: 25%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Weight 481 g
Book Type

ISBN:
SKU 9788177213850 Categories , Tag
Categories: ,
Page Extent:
274

भारतीय संस्कार, रीति-रिवाज, परंपराएँ, प्रथाएँ एवं धार्मिक कृत्य शास्त्रीय हैं या ऐसा कहें कि अपना धर्म और शास्त्र एक ही सिक्के के दो बाजू हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। अपने ऋषियों और प्राचीन काल के निष्णात गुरुओं ने अपनी अंतरात्मा की अनंत गहराई में उतरकर चेतना का जाग्रत् आनंद लिया था। अपने अंतर्ज्ञान के अनुभव और आध्यात्मिक परंपराओं को संस्कार एवं संस्कृति के रूप में उन्होंने जनमानस में वितरित किया। परंपराएँ तो चलती जा रही हैं, किंतु इनके मूल ज्ञान और मूल आधार से हम अनभिज्ञ होते जा रहे हैं। भारतीयों को गुलामी झेलनी पड़ी। विशेष करके मुगलों के शासन काल में काफी धार्मिक अत्याचार सहने पड़े। हिंदुओं को धर्म-परिवर्तन के लिए बाध्य किया जाने लगा। इसलिए उस समय के धार्मिक गुरुओं ने अपनी संस्कृति बचाने के लिए हर कर्म को धार्मिक रूप दे दिया, जिससे धर्म के नाम पर ही सही, जो संस्कार ऋषि-मुनियों ने दिए थे, उन्हें हमारे पूर्वज अपनाकर, अपनी धरोहर मानकर, सँजोकर रखने में सफल रहे। समय के साथ इन प्रथाओं ने धार्मिक विधि का रूप ले लिया और बिना कुछ सोचे-समझे ही धर्म की आज्ञा मानकर ये रीतियाँ चलती रहीं। किंतु आज की युवा पीढ़ी हर कर्म, विधि या संस्कार को मानने से पूर्व इसके पीछे क्या कारण है, यह जानने को उत्सुक है। हिंदू धर्म की विभिन्न परंपराओं और प्रथाओं को वैज्ञानिकता के आधार पर प्रमाणित करती पठनीय पुस्तक।.

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Dharma Aur Vigyan”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

भारतीय संस्कार, रीति-रिवाज, परंपराएँ, प्रथाएँ एवं धार्मिक कृत्य शास्त्रीय हैं या ऐसा कहें कि अपना धर्म और शास्त्र एक ही सिक्के के दो बाजू हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। अपने ऋषियों और प्राचीन काल के निष्णात गुरुओं ने अपनी अंतरात्मा की अनंत गहराई में उतरकर चेतना का जाग्रत् आनंद लिया था। अपने अंतर्ज्ञान के अनुभव और आध्यात्मिक परंपराओं को संस्कार एवं संस्कृति के रूप में उन्होंने जनमानस में वितरित किया। परंपराएँ तो चलती जा रही हैं, किंतु इनके मूल ज्ञान और मूल आधार से हम अनभिज्ञ होते जा रहे हैं। भारतीयों को गुलामी झेलनी पड़ी। विशेष करके मुगलों के शासन काल में काफी धार्मिक अत्याचार सहने पड़े। हिंदुओं को धर्म-परिवर्तन के लिए बाध्य किया जाने लगा। इसलिए उस समय के धार्मिक गुरुओं ने अपनी संस्कृति बचाने के लिए हर कर्म को धार्मिक रूप दे दिया, जिससे धर्म के नाम पर ही सही, जो संस्कार ऋषि-मुनियों ने दिए थे, उन्हें हमारे पूर्वज अपनाकर, अपनी धरोहर मानकर, सँजोकर रखने में सफल रहे। समय के साथ इन प्रथाओं ने धार्मिक विधि का रूप ले लिया और बिना कुछ सोचे-समझे ही धर्म की आज्ञा मानकर ये रीतियाँ चलती रहीं। किंतु आज की युवा पीढ़ी हर कर्म, विधि या संस्कार को मानने से पूर्व इसके पीछे क्या कारण है, यह जानने को उत्सुक है। हिंदू धर्म की विभिन्न परंपराओं और प्रथाओं को वैज्ञानिकता के आधार पर प्रमाणित करती पठनीय पुस्तक।.

About Author

डॉ. हरिप्रसाद सोमाणी एक सुप्रसिद्ध उद्योजक हैं तथा रोटरी इंटरनेशनल के प्रांत 3132 के गवर्नर रह चुके हैं। काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र चैंबर ऑफ ट्रेड, कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, मुंबई के सदस्य तथा मराठवाड़ा चैंबर ऑफ ट्रेड ऐंड कॉमर्स के सचिव रह चुके हैं। अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महासभा में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. हरिप्रसाद सोमाणी को प्राइड ऑफ इंडिया—भास्कर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। पच्चीस से अधिक सामाजिक, शैक्षणिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक संस्थाओं से वे सक्रियता से जुड़े हैं। भारत के विभिन्न राज्यों तथा विदेशों में, कई विषयों पर उनके एक हजार से भी ज्यादा भाषण हो चुके हैं। ‘परिवार ही एक स्वर्ग’, ‘आर्ट ऑफ पब्लिक स्पीकिंग विद एनिमेशंस’ तथा ‘की टू सक्सेस’ नामक डीवीडी भी प्रसारित हो चुकी हैं। एक प्रेरणादायक प्रशिक्षक (Motivation Trainer) के रूप में उनकी विशिष्ट पहचान है।.

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Dharma Aur Vigyan”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED