DESHPREM, PRAKRITI AUR PAHAD

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dr. Rama
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Dr. Rama
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Hindi
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Hardback

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देशप्रेम, प्रकृति और पहाड़ख्यात लेखक-कवि श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की कविताओं को पढ़कर रखा नहीं जा सकता है। उसके अंदर की सामाजिक, राष्ट्रीय, सांस्कृतिक चेतना बार-बार आवाज देकर अपनी तरफ बुलाती है। देश प्रेम कवि का मूल भाव है। अपने देश की भाषा, संस्कृति और सभ्यता कवि को विशेष प्रिय है। कवि पहाड़ों से जीवन का संघर्ष सीखता है तो पौराणिक और ऐतिहासिक परंपरा से जीवन को उत्सवधर्मी बनाता है। निशंक राजनीति में रहते हुए लगातार साहित्य सृजन कर रहे हैं और सबसे बड़ी बात है कि विविध विधाओं में लिख रहे हैं। कविताओं के साथ उपन्यास, कहानी, यात्रा-वृत्तांत आदि विधाओं में उनकी लेखनी यह बताती है कि साहित्य उनका पहला प्रेम है, जिससे वह समाज की नब्ज टटोलते हैं। लगभग डेढ़ दर्जन कविता और गीत संग्रहों का सृजन कर चुके निशंक भारतीय साहित्य के महत्त्वपूर्ण कवियों में शुमार हैं। राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा उन्हें आह्लादित करती है। उनकी कविताएँ मजदूर वर्ग का व्याख्यान हैं। वह दलित और असहाय लोगों के लिए सहजता का भाव रखते हैं। उनकी कविताओं में आम जन जीवन की पीड़ा और दर्द को साफ-साफ महसूस किया जा सकता है। वह सामाजिक रिश्तों को बहुत बारीकी से प्रस्तुत करते हैं। प्रकृति और देश प्रेम की अजस्र धारा बहानेवाले लोकप्रिय कवि ‘निशंक’ की कविताओं के बिंब दरशाती एक पठनीय पुस्तक।.

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Description

देशप्रेम, प्रकृति और पहाड़ख्यात लेखक-कवि श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की कविताओं को पढ़कर रखा नहीं जा सकता है। उसके अंदर की सामाजिक, राष्ट्रीय, सांस्कृतिक चेतना बार-बार आवाज देकर अपनी तरफ बुलाती है। देश प्रेम कवि का मूल भाव है। अपने देश की भाषा, संस्कृति और सभ्यता कवि को विशेष प्रिय है। कवि पहाड़ों से जीवन का संघर्ष सीखता है तो पौराणिक और ऐतिहासिक परंपरा से जीवन को उत्सवधर्मी बनाता है। निशंक राजनीति में रहते हुए लगातार साहित्य सृजन कर रहे हैं और सबसे बड़ी बात है कि विविध विधाओं में लिख रहे हैं। कविताओं के साथ उपन्यास, कहानी, यात्रा-वृत्तांत आदि विधाओं में उनकी लेखनी यह बताती है कि साहित्य उनका पहला प्रेम है, जिससे वह समाज की नब्ज टटोलते हैं। लगभग डेढ़ दर्जन कविता और गीत संग्रहों का सृजन कर चुके निशंक भारतीय साहित्य के महत्त्वपूर्ण कवियों में शुमार हैं। राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा उन्हें आह्लादित करती है। उनकी कविताएँ मजदूर वर्ग का व्याख्यान हैं। वह दलित और असहाय लोगों के लिए सहजता का भाव रखते हैं। उनकी कविताओं में आम जन जीवन की पीड़ा और दर्द को साफ-साफ महसूस किया जा सकता है। वह सामाजिक रिश्तों को बहुत बारीकी से प्रस्तुत करते हैं। प्रकृति और देश प्रेम की अजस्र धारा बहानेवाले लोकप्रिय कवि ‘निशंक’ की कविताओं के बिंब दरशाती एक पठनीय पुस्तक।.

About Author

डॉ. रमा शिक्षा: बी.ए., एम.ए., एम.फिल. एवं पी-एच.डी. दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली; डी.लिट, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल; पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन हिंदी जर्नलिज्म, भारतीय जनसंचार संस्थान; पोस्ट एम.ए. डिप्लोमा इन लिंग्विस्टिक्स तथा पोस्ट एम.ए. ट्रांसलेशन डिप्लोमा, केंद्रीय हिंदी संस्थान; बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन, कोटा ओपन यूनिवर्सिटी। कृतित्व: जनसंचार के विविध आयाम; स्त्री अस्मिता और हिंदी दैनिक; हिंदी भाषा और लिपि का विकास; दूरदर्शन के हिंदी धारावाहिक और स्त्री; मीडिया, सिनेमा और समकालीन विमर्श; हिंदी रंगमंच; हिंदी सिनेमा में आधी आबादी; भारतीय शिक्षा व्यवस्था; हिंदी कविता: दलित स्वर; प्रवासी हिंदी कविता: संवेदना और शिल्प; हिंदी सिनेमा में साहित्यिक विमर्श; हिंदी सिनेमा और उसका अध्ययन। साहित्य, संस्कृति, भाषा और सिनेमा पर लगभग तीन दर्जन पुस्तकों का संपादन। अन्य: आकाशवाणी व दूरदर्शन के कार्यक्रमों में तीन दशकों से जुड़ाव। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व पुस्तकों में पचास से अधिक लेख प्रकाशित। महाकवि जयशंकर प्रसाद फाउंडेशन की अध्यक्ष। त्रैमासिक पत्रिका ‘समसामयिक सृजन’ तथा पाक्षिक समाचार-पत्र ‘कैंपस कॉर्नर’ की संरक्षक। संप्रति: प्राचार्या, हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय।

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