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Chuppi Wale Din
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
मालिनी गौतम
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
मालिनी गौतम
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹299 ₹224
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1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789355182609
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
128
चुप्पी वाले दिन –
पिछले कुछ वर्षों से मालिनी गौतम की कविताओं ने पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है। विभिन्न माध्यमों में उनकी कविताँ पढ़ी और सराही भी गयी हैं। ‘चुप्पी वाले दिन’ मालिनी का तीसरा कविता संग्रह है। इस संग्रह की कविताएँ एक युवा कवयित्री की परिपक्व रचनाओं से साक्षात्कार कराती हैं। इन कविताओं में न तो अनगढ़पन है, न एकरसता और न ही कमज़ोर अभिव्यंजना। यहाँ कवयित्री की सुचिन्तित काव्यदृष्टि है और भरपूर ताज़गी भी। इसकी कविताएँ हमें नये अनुभव संसार में पहुँचाती हैं। टटकी संवेदनाओं के आधार पर नये सिरे से जगाती हैं और थोड़े ठहराव के साथ सोचने के लिए मजबूर भी करती हैं। इस संग्रह में समय, समाज और लोक को अपने ढंग से देखने और समझने का मौलिक प्रयास है।
मालिनी गौतम की कविताएँ उलझाती नहीं, सीधे हृदय में उतरती हैं। गम्भीर से गम्भीर मुद्दों, समस्याओं, सन्दर्भों और परिप्रेक्ष्य को अत्यन्त सहज ढंग से व्यक्त करती हैं।
विषय वैविध्य ‘चुप्पी वाले दिन’ पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता है। इसमें हमारा समकाल पूरी शिद्दत के साथ अंकित हुआ है। सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक स्थितियों के साथ अतीत और वर्तमान, परम्परा और विज्ञान, स्मृति और यथार्थ आदि के समन्वय के साथ कवयित्री की रचना-दृष्टि का सुन्दर परिचय मिलता है। कठिनतम परिस्थितियों में स्वयं को माँजने और तराशने में रचनाकार की आस्था है। इस महाविकट समय के महामौन और गहरी चुप्पी को तोड़ने की आवश्यकता है। प्रेम, स्नेह, सौहार्द, रिश्ते, विश्वास, थोड़ा-सा मनुष्यत्व आदि को बचाये रखने का प्रबल आग्रह करती है। मालिनी की कविता गहरी राजनीतिक समझ, सत्ता को चुनौती और विभिन्न आयु वर्ग के स्त्री जीवन के विविध रूपों, छवियों, स्वप्नों, संघर्षों और जिजीविषाओं का सतरंगी इन्द्रधनुष इधर के कविता संग्रहों में मुश्किल से दिखाई पड़ता है जो यहाँ विद्यमान है। निस्सन्देह ‘चुप्पी वाले दिन’ एक महत्वपूर्ण कविता संग्रह सिद्ध होगा।—अरुण होता
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Description
चुप्पी वाले दिन –
पिछले कुछ वर्षों से मालिनी गौतम की कविताओं ने पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है। विभिन्न माध्यमों में उनकी कविताँ पढ़ी और सराही भी गयी हैं। ‘चुप्पी वाले दिन’ मालिनी का तीसरा कविता संग्रह है। इस संग्रह की कविताएँ एक युवा कवयित्री की परिपक्व रचनाओं से साक्षात्कार कराती हैं। इन कविताओं में न तो अनगढ़पन है, न एकरसता और न ही कमज़ोर अभिव्यंजना। यहाँ कवयित्री की सुचिन्तित काव्यदृष्टि है और भरपूर ताज़गी भी। इसकी कविताएँ हमें नये अनुभव संसार में पहुँचाती हैं। टटकी संवेदनाओं के आधार पर नये सिरे से जगाती हैं और थोड़े ठहराव के साथ सोचने के लिए मजबूर भी करती हैं। इस संग्रह में समय, समाज और लोक को अपने ढंग से देखने और समझने का मौलिक प्रयास है।
मालिनी गौतम की कविताएँ उलझाती नहीं, सीधे हृदय में उतरती हैं। गम्भीर से गम्भीर मुद्दों, समस्याओं, सन्दर्भों और परिप्रेक्ष्य को अत्यन्त सहज ढंग से व्यक्त करती हैं।
विषय वैविध्य ‘चुप्पी वाले दिन’ पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता है। इसमें हमारा समकाल पूरी शिद्दत के साथ अंकित हुआ है। सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक स्थितियों के साथ अतीत और वर्तमान, परम्परा और विज्ञान, स्मृति और यथार्थ आदि के समन्वय के साथ कवयित्री की रचना-दृष्टि का सुन्दर परिचय मिलता है। कठिनतम परिस्थितियों में स्वयं को माँजने और तराशने में रचनाकार की आस्था है। इस महाविकट समय के महामौन और गहरी चुप्पी को तोड़ने की आवश्यकता है। प्रेम, स्नेह, सौहार्द, रिश्ते, विश्वास, थोड़ा-सा मनुष्यत्व आदि को बचाये रखने का प्रबल आग्रह करती है। मालिनी की कविता गहरी राजनीतिक समझ, सत्ता को चुनौती और विभिन्न आयु वर्ग के स्त्री जीवन के विविध रूपों, छवियों, स्वप्नों, संघर्षों और जिजीविषाओं का सतरंगी इन्द्रधनुष इधर के कविता संग्रहों में मुश्किल से दिखाई पड़ता है जो यहाँ विद्यमान है। निस्सन्देह ‘चुप्पी वाले दिन’ एक महत्वपूर्ण कविता संग्रह सिद्ध होगा।—अरुण होता
About Author
मालिनी गौतम -
जन्म: 20 फ़रवरी, 1972 को मध्य प्रदेश के आदिवासी अंचल झाबुआ में।
शिक्षा: एम.ए., पीएच.डी. (अंग्रेज़ी)।
कृतियाँ: 'बूँद बूँद अहसास' (कविता-संग्रह, गुजरात साहित्य अकादमी के सहयोग से), 'एक नदी जामुनी सी'; 'दर्द का कारवाँ' (ग़ज़ल); 'चिल्लर सरीखे दिन' (नवगीत); विशेष-गुजराती, अंग्रेज़ी, मराठी, मलियालम, उर्दू, नेपाली, पंजाबी, बांग्ला आदि भाषाओं में कविताओं का अनुवाद प्रकाशित।
सम्मान: परम्परा ऋतुराज सम्मान' (2015), 'गुजरात साहित्य अकादमी पुरस्कार' (2016), 'वागीश्वरी पुरस्कार' (2017), 'गुजरात साहित्य अकादमी पुरस्कार' (2017), 'जनकवि मुकुटबिहारी सरोज स्मृति सम्मान' (2019) आदि।
सम्पादन: वरिष्ठ कवि राजेश्वर वशिष्ठ के कविता संग्रह 'सुनो वाल्मीकि' के गुजराती अनुवाद का सम्पादन।
अनुवाद: समकालीन गुजराती कथाकारों की कहानियों का अनुवाद एवं लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशन। गुजराती दलित कविताओं का निरन्तर अनुवाद एवं प्रकाशन।
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