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Chakallas

Publisher:
Rajpal and Sons
| Author:
Amritlal Nagar
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Rajpal and Sons
Author:
Amritlal Nagar
Language:
Hindi
Format:
Paperback

319

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SKU 9789350643976 Category Tag
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224

अमृतलाल नागर की लेखनी से हास्य-व्यंग्य मिश्रित जिन विभिन्न रचनाओं का सृजन हुआ वे अपने आप में विलक्षण हैं. ये समय-समय पर विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई थीं. उनके कई संग्रह निकले जिन्हें बेहद पसंद किया गया. चकल्लस के नाम से उन्होंने एक पत्र भी निकाला जिसका साहित्य जगत में अपना एक विशेष स्थान बन गया.
चकल्लस में नागर जी की सभी श्रेष्ठ हास्य-व्यंग्य रचनाएँ एक साथ प्रकाशित हैं. इससे इनकी विविधता तथा लेखक के सहज विनोदी स्वभाव का ज्ञान होता है.
अमृतलाल नागर का जन्म 17 अगस्त 1916 में आगरा में हुआ था. वे उन्नीसवीं सदी के हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण लेखक थे जिन्हें अक्सर प्रेमचंद का साहित्यिक वारिस माना जाता है. उनके लेखन की विशेषता थी यादगार चरित्रों का सृजन, जो पुस्तक पढ़ने के बाद भी देर तक पाठक के दिलो-दिमाग पर अपना प्रभाव छोड़ते थे. बहुआयामी प्रतिभा वाले नागर जी ने 74 वर्ष के जीवन काल में सभी विधाओं पर लिखा जिसमें कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध, संस्मरण और बच्चों के लिये कई रोचक पुस्तकें हैं. 1967 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और 1981 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया. उनके उपन्यास मानस का हंस, नाच्यौ बहुत गोपाल और खंजन नयन हिंदी साहित्य में मील के पत्थर साबित हुए.

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Description

अमृतलाल नागर की लेखनी से हास्य-व्यंग्य मिश्रित जिन विभिन्न रचनाओं का सृजन हुआ वे अपने आप में विलक्षण हैं. ये समय-समय पर विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई थीं. उनके कई संग्रह निकले जिन्हें बेहद पसंद किया गया. चकल्लस के नाम से उन्होंने एक पत्र भी निकाला जिसका साहित्य जगत में अपना एक विशेष स्थान बन गया.
चकल्लस में नागर जी की सभी श्रेष्ठ हास्य-व्यंग्य रचनाएँ एक साथ प्रकाशित हैं. इससे इनकी विविधता तथा लेखक के सहज विनोदी स्वभाव का ज्ञान होता है.
अमृतलाल नागर का जन्म 17 अगस्त 1916 में आगरा में हुआ था. वे उन्नीसवीं सदी के हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण लेखक थे जिन्हें अक्सर प्रेमचंद का साहित्यिक वारिस माना जाता है. उनके लेखन की विशेषता थी यादगार चरित्रों का सृजन, जो पुस्तक पढ़ने के बाद भी देर तक पाठक के दिलो-दिमाग पर अपना प्रभाव छोड़ते थे. बहुआयामी प्रतिभा वाले नागर जी ने 74 वर्ष के जीवन काल में सभी विधाओं पर लिखा जिसमें कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध, संस्मरण और बच्चों के लिये कई रोचक पुस्तकें हैं. 1967 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और 1981 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया. उनके उपन्यास मानस का हंस, नाच्यौ बहुत गोपाल और खंजन नयन हिंदी साहित्य में मील के पत्थर साबित हुए.

About Author

अमृतलाल नागर

नागर जी का जन्म 17 अगस्त, 1916 को आगरा में हुआ। लखनऊ में शिक्षा प्राप्त की और फिर वहीं बस गए। तस्लीम लखनवी, मेघराज, इन्‍द्र आदि उपनामों से भी लेखन किया है। बांग्‍ला, तमिल, गुजराती और मराठी भाषाओं के ज्ञाता। उनकी रचनाओं में ‘वाटिका’, ‘अवशेष’, ‘नवाबी मसनद’, ‘तुलाराम शास्त्री’, ‘एटम बम’, ‘एक दिल हजार दास्ताँ’, ‘पीपल की परी’, नामक कहानी-संग्रह; ‘महाकाल’, ‘सेठ बाँकेमल’, ‘बूँद और समुद्र’, ‘शतरंज के मोहरे’, ‘अमृत और विष’ आदि उपन्यास; ‘गदर के फूल’, ‘ये कोठेवालियाँ’ आदि शोध-कृतियाँ तथा बाल-साहित्य की ‘नटखट चाची’, ‘निंदिया आजा’ आदि उल्लेखनीय हैं। अन्य महत्त्वपूर्ण कृतियों में तुलसी के जीवन पर आधारित महाकाव्यात्मक उपन्यास ‘मानस का हंस’; हास्य-व्यंग्य-संग्रह ‘कृपया दाएँ चलिए’, ‘भरत पुत्र नौरंगीलाल’ तथा संस्मरण-संग्रह ‘जिनके साथ जिया’ प्रमुख हैं।

नागर जी साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हुए और उनकी अनेक कृतियाँ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी पुरस्कृत हुई हैं।

निधन : 23 फरवरी, 1990

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