Bharatiya Vaigyanik

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Krishna Murari Lal Srivastava
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Krishna Murari Lal Srivastava
Language:
Hindi
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Hardback

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Page Extent:
34

सृष्‍ट‌ि के आरंभ से लेकर आज तक की चमत्कृत कर देनेवाली वैज्ञानिक उपलब्‍ध‌ियाँ हममें विज्ञान के बारे में अद‍्भुत जिज्ञासा भरती रही हैं। वैज्ञानिक प्रगति ने विश्‍व भर में नित नए कीर्तिमान स्‍थाप‌ित ‌किए हैं। एक से बढ़कर एक वैज्ञानिक नई-नई खोजों से हमें चौंकाते रहे हैं। इनमें भारतीय वैज्ञानिकों का महत्व प्राचीन काल से ही विशेष रूप से रहा है और इनपर हमें अपार गर्व है। बात प्राचीन काल की करें या अर्वाचीन की, भारत के वैज्ञानिक सभी क्षेत्रों में सदैव अग्रणी रहे हैं। आयुर्वेद, खगोल, रसायन, धातु विज्ञान शरीर शास्‍त्र सौर ऊर्जा, अंतरिक्ष विज्ञान तथा परमाणु ऊर्जा आदि विज्ञान की सभी शाखा-प्रशाखाओं और खोजो मे भारतीय वैज्ञानिकों का योगदान प्रशसनीय रहा है। प्रस्तुत पुस्तक हमारे वैज्ञानिकों के व्यक्‍तत्वि और कृतित्‍व से छात्रों, अध्यापकों और अनुसंधित्सुओं को परिचित कराने में पूर्णतः सक्षम है। इनके परिचय चित्रमय होने से इनकी प्रेरणा व आकर्षकता और भी बढ़ जाती है।

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सृष्‍ट‌ि के आरंभ से लेकर आज तक की चमत्कृत कर देनेवाली वैज्ञानिक उपलब्‍ध‌ियाँ हममें विज्ञान के बारे में अद‍्भुत जिज्ञासा भरती रही हैं। वैज्ञानिक प्रगति ने विश्‍व भर में नित नए कीर्तिमान स्‍थाप‌ित ‌किए हैं। एक से बढ़कर एक वैज्ञानिक नई-नई खोजों से हमें चौंकाते रहे हैं। इनमें भारतीय वैज्ञानिकों का महत्व प्राचीन काल से ही विशेष रूप से रहा है और इनपर हमें अपार गर्व है। बात प्राचीन काल की करें या अर्वाचीन की, भारत के वैज्ञानिक सभी क्षेत्रों में सदैव अग्रणी रहे हैं। आयुर्वेद, खगोल, रसायन, धातु विज्ञान शरीर शास्‍त्र सौर ऊर्जा, अंतरिक्ष विज्ञान तथा परमाणु ऊर्जा आदि विज्ञान की सभी शाखा-प्रशाखाओं और खोजो मे भारतीय वैज्ञानिकों का योगदान प्रशसनीय रहा है। प्रस्तुत पुस्तक हमारे वैज्ञानिकों के व्यक्‍तत्वि और कृतित्‍व से छात्रों, अध्यापकों और अनुसंधित्सुओं को परिचित कराने में पूर्णतः सक्षम है। इनके परिचय चित्रमय होने से इनकी प्रेरणा व आकर्षकता और भी बढ़ जाती है।

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