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Antarrashtriya Mudra Kosh (ICWA)
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
V. Srinivas
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Weight | 472 g |
---|---|
Book Type |
ISBN:
Page Extent:
264
भारत के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी द्वारा भारत के आर्थिक इतिहास में महत्त्वपूर्ण पलों का व्यावहारिक विश्लेषण और भावी वैश्विक संकट के समाधान का निर्णय कर सकनेवाले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में बहुपक्षीयता का भविष्य। यह पुस्तक वी. श्रीनिवास भारत सरकार के विशिष्ट अपर सचिव, कार्यकारी निदेशक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्व सलाहकार और भारत के वित्तमंत्री के निजी सचिव द्वारा 17 माह के शोध और साक्षात्कार के आधार पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ भारत के संबंधों की अनेक बड़ी घटनाओं का व्यापक विश्लेषण है। इसमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के संस्थापक सदस्य के रूप में भारत की भूमिका का परिदृश्य है। यह भारत के 1966, 1981 और 1991 अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष कार्यक्रमों, 2010 में आई. एम. एफ. से भारत द्वारा स्वर्ण क्रय, जी20 के उदय और विश्व में तीव्र गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के उद्भव के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। वी. श्रीनिवास ने अंतिम ऋणदाता के रूप में आई. एम. एफ. की भूमिका, सदस्य देशों के साथ निपटने में असीमित शक्ति की एक संस्था के रूप में आई. एम. एफ. 2008 के बाद वैश्विक वित्तीय संकट में आई. एम. एफ. की वृहत्तर भूमिका और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में चीन के उदय पर अंतर्दृष्टि प्रदान की है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ भारत के संबंध के परिप्रेक्ष्य में पहले 25 वर्षों पर व्यापक शोध है, जिसके बारे में गहन अध्ययन और शोध करके समस्त जानकारियाँ संकलित की गई हैं, जिन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।.
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Description
भारत के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी द्वारा भारत के आर्थिक इतिहास में महत्त्वपूर्ण पलों का व्यावहारिक विश्लेषण और भावी वैश्विक संकट के समाधान का निर्णय कर सकनेवाले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में बहुपक्षीयता का भविष्य। यह पुस्तक वी. श्रीनिवास भारत सरकार के विशिष्ट अपर सचिव, कार्यकारी निदेशक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्व सलाहकार और भारत के वित्तमंत्री के निजी सचिव द्वारा 17 माह के शोध और साक्षात्कार के आधार पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ भारत के संबंधों की अनेक बड़ी घटनाओं का व्यापक विश्लेषण है। इसमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के संस्थापक सदस्य के रूप में भारत की भूमिका का परिदृश्य है। यह भारत के 1966, 1981 और 1991 अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष कार्यक्रमों, 2010 में आई. एम. एफ. से भारत द्वारा स्वर्ण क्रय, जी20 के उदय और विश्व में तीव्र गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के उद्भव के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। वी. श्रीनिवास ने अंतिम ऋणदाता के रूप में आई. एम. एफ. की भूमिका, सदस्य देशों के साथ निपटने में असीमित शक्ति की एक संस्था के रूप में आई. एम. एफ. 2008 के बाद वैश्विक वित्तीय संकट में आई. एम. एफ. की वृहत्तर भूमिका और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में चीन के उदय पर अंतर्दृष्टि प्रदान की है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ भारत के संबंध के परिप्रेक्ष्य में पहले 25 वर्षों पर व्यापक शोध है, जिसके बारे में गहन अध्ययन और शोध करके समस्त जानकारियाँ संकलित की गई हैं, जिन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।.
About Author
वी. श्रीनिवास, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार में अपर सचिव हैं। वे 2003 से 2006 तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यकारी निदेशक (भारत) के सलाहकार रहे। उन्होंने 2002 से 2003 तक भारत के वित्तमंत्री के निजी सचिव और 2001 से 2002 तक भारत के विदेश मंत्री के निजी सचिव के रूप में कार्य किया। वे 2002 से 2006 तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष-विश्व बैंक ग्रुप की वार्षिक बैठकों में भारत के प्रतिनिधिमंडलों के सदस्य रहे। वस्त्र मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में उन्होंने 2010 से 2012 तक अंतरराष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति की बैठकों में भारत के प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व किया और संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में उन्होंने 2014 में एशिया-यूरोप संस्कृति मंत्रियों की बैठक भारत के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। उन्होंने 2014-2017 तक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में उप-निदेशक (प्रशासन) के रूप में कार्य किया। वी. श्रीनिवास राजस्थान राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष रहे और 2017 से 2018 तक राजस्थान कर बोर्ड के अध्यक्ष रहे। वर्ष 2017 में उन्हें ‘अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ भारत के संबंध 1991-2016 परिप्रेक्ष्य में 25 वर्ष’ पुस्तक के लिए ‘विश्व मामलों की भारतीय परिषद्’ ने शोध फैलोशिप से सम्मानित किया। वे एक वरिष्ठ प्रशासक, सम्मानित शिक्षाविद् और उत्कृष्ट संस्थान सृजक हैं।.
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