Ab Hamen Badalna Hoga

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
N. Raghuraman
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
N. Raghuraman
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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16

विगत वर्षों में हमारे अधिकतर आई.टी. कार्यालय निश्चित स्थान पर 9 से 5 के परंपरागत काम के ढर्रे से काफी आगे निकलकर मोबाइल वर्क प्लेस और सुविधानुसार समय तक पहुँच गए हैं। रिक्रूटमेंट और परफॉर्मेंस रेटिंग स्वचालित हो चुके हैं। हाजिरी मोबाइल या हस्तचालित उपकरणों के जरिए होने लगी है। अगर 10 सालों में हम निश्चित स्थान के कार्यस्थल से चलते-फिरते कार्यस्थल तक का सफर तय कर चुके हैं तो कल्पना कीजिए, अगले पाँच सालों में और क्या हो जाएगा! बड़ी कंपनियाँ नई कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा महसूस करने लगी हैं और नई कंपनियाँ कुछ बड़ी सड़कों या मॉल की खुदरा दुकानों की तरह खुल रही हैं। जागने से सोने तक का सबकुछ बदलने ही वाला है और अगर हम इस बदलाव को स्वीकार नहीं करेंगे तो प्रतिस्पर्धा में टिक पाना हमारे लिए कठिन होगा। अत: ऐसे परिवेश में हमें अपने आपको बदलना होगा। क्यों और कैसे बदलना होगा—यह इस पुस्तक में बताया गया है। बदलाव के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और सही सोच विकसित करनेवाली एक व्यावहारिक पुस्तक।.

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Description

विगत वर्षों में हमारे अधिकतर आई.टी. कार्यालय निश्चित स्थान पर 9 से 5 के परंपरागत काम के ढर्रे से काफी आगे निकलकर मोबाइल वर्क प्लेस और सुविधानुसार समय तक पहुँच गए हैं। रिक्रूटमेंट और परफॉर्मेंस रेटिंग स्वचालित हो चुके हैं। हाजिरी मोबाइल या हस्तचालित उपकरणों के जरिए होने लगी है। अगर 10 सालों में हम निश्चित स्थान के कार्यस्थल से चलते-फिरते कार्यस्थल तक का सफर तय कर चुके हैं तो कल्पना कीजिए, अगले पाँच सालों में और क्या हो जाएगा! बड़ी कंपनियाँ नई कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा महसूस करने लगी हैं और नई कंपनियाँ कुछ बड़ी सड़कों या मॉल की खुदरा दुकानों की तरह खुल रही हैं। जागने से सोने तक का सबकुछ बदलने ही वाला है और अगर हम इस बदलाव को स्वीकार नहीं करेंगे तो प्रतिस्पर्धा में टिक पाना हमारे लिए कठिन होगा। अत: ऐसे परिवेश में हमें अपने आपको बदलना होगा। क्यों और कैसे बदलना होगा—यह इस पुस्तक में बताया गया है। बदलाव के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और सही सोच विकसित करनेवाली एक व्यावहारिक पुस्तक।.

About Author

बंबई विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट और आई.आई.टी. (सोम) बंबई के पूर्व छात्र श्री एन. रघुरामन मँजे हुए पत्रकार हैं। 30 वर्ष से अधिक के अपने पत्रकारिता के कॅरियर में वे ‘इंडियन एक्सप्रेस’, ‘डीएनए’ और ‘दैनिक भास्कर’ जैसे राष्ट्रीय दैनिकों में संपादक के रूप में काम कर चुके हैं। उनकी निपुण लेखनी से शायद ही कोई विषय बचा होगा—अपराध से लेकर राजनीति और व्यापार-विकास से लेकर सफल उद्यमिता तक सभी विषयों पर उन्होंने सफलतापूर्वक लिखा है। ‘दैनिक भास्कर’ के सभी संस्करणों में प्रकाशित होनेवाला उनका दैनिक स्तंभ ‘मैनेजमेंट फंडा’ देश भर में लोकप्रिय है और तीन भाषाओं—मराठी, गुजराती व हिंदी में प्रतिदिन करीब 3 करोड़ पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है। इस स्तंभ की सफलता का राज है—असाधारण कार्य करनेवाले साधारण लोगों की कहानियों का हवाला देते हुए जीवन की सादगी का चित्रण। श्री एन. रघुरामन ओजस्वी, प्रेरक और प्रभावी वक्ता हैं; अनेक परिचर्चाओं और परिसंवादों के कुशल संचालक हैं। व्यक्ति की मानसिक शक्ति तथा अपनी क्षमता के अधिकतम इस्तेमाल करने के उनके स्फूर्तिदायक तरीकों की बहुत सराहना होती है।.

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