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Aankhan Dekhi Bihar Andolan
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Bajrang Singh
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Bajrang Singh
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹800 ₹600
Save: 25%
In stock
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1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Page Extent:
384
आँखन देखी: बिहार आंदोलन एक आंदोलन दूसरे आंदोलन की याद दिलाता है। हाल के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के कारण 1974 के बिहार (जेपी) आंदोलन की खूब चर्चा हुई है। 1974 के दशक में या उसके बाद की जनमी नई पीढ़ी 1974 के आंदोलन के बारे में जानना-समझना चाहती है, लेकिन उसके लिए पर्याप्त सामग्री की कमी है। हाल में दिल्ली के नृशंस गैंप रेप के विरोध में दिल्ली और देश के दूसरे हिस्सों में स्वतःस्फूर्त जन विस्फोट हुआ। बिहार आंदोलन के बाद पहली बार सामाजिक सरोकार के सवाल पर देश के छात्र-छात्राओं की इतनी बड़ी शक्ति दिल्ली के राजपथ (जिन पर आंदोलनात्मक गतिविधियाँ प्रतिबंधित रही हैं) पर अपनी आवाज बुलंद कर रही थी। क्या भारत की यह युवा शक्ति इस पुरुष-प्रधान समाज एवं पूँजीवादी व्यवस्था की गैर-बराबरी, अन्याय एवं अत्याचार को खत्म करने तथा समतामूलक लोकतांत्रिक समाज की स्थापना करने की दिशा में पहल कर पाएगी? प्रस्तुत पुस्तक बिहार आंदोलन की व्यापकता और उसमें बुनियादी परिवर्तन और क्रांति के बीज होने की क्षमता का आँखों देखा प्रामाणिक विवरण पेश करती है। एक पत्रिका में छपे लेखों, रपटों और दस्तावेजों के माध्यम से किसी आंदोलन पर ऐसी पुस्तक शायद ही हिंदी में कोई दूसरी हो। बिहार की संघर्षशीलता, जुझारूपन और आंदोलन-शक्ति को समझने में सहायक एक उपयोगी पुस्तक।.
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Andolan” Cancel reply
Description
आँखन देखी: बिहार आंदोलन एक आंदोलन दूसरे आंदोलन की याद दिलाता है। हाल के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के कारण 1974 के बिहार (जेपी) आंदोलन की खूब चर्चा हुई है। 1974 के दशक में या उसके बाद की जनमी नई पीढ़ी 1974 के आंदोलन के बारे में जानना-समझना चाहती है, लेकिन उसके लिए पर्याप्त सामग्री की कमी है। हाल में दिल्ली के नृशंस गैंप रेप के विरोध में दिल्ली और देश के दूसरे हिस्सों में स्वतःस्फूर्त जन विस्फोट हुआ। बिहार आंदोलन के बाद पहली बार सामाजिक सरोकार के सवाल पर देश के छात्र-छात्राओं की इतनी बड़ी शक्ति दिल्ली के राजपथ (जिन पर आंदोलनात्मक गतिविधियाँ प्रतिबंधित रही हैं) पर अपनी आवाज बुलंद कर रही थी। क्या भारत की यह युवा शक्ति इस पुरुष-प्रधान समाज एवं पूँजीवादी व्यवस्था की गैर-बराबरी, अन्याय एवं अत्याचार को खत्म करने तथा समतामूलक लोकतांत्रिक समाज की स्थापना करने की दिशा में पहल कर पाएगी? प्रस्तुत पुस्तक बिहार आंदोलन की व्यापकता और उसमें बुनियादी परिवर्तन और क्रांति के बीज होने की क्षमता का आँखों देखा प्रामाणिक विवरण पेश करती है। एक पत्रिका में छपे लेखों, रपटों और दस्तावेजों के माध्यम से किसी आंदोलन पर ऐसी पुस्तक शायद ही हिंदी में कोई दूसरी हो। बिहार की संघर्षशीलता, जुझारूपन और आंदोलन-शक्ति को समझने में सहायक एक उपयोगी पुस्तक।.
About Author
बजरंग सिंह छात्र जीवन से ही पत्रकारिता में विशेष रुचि; समाजवादी आंदोलन की चौरंगी वार्त्ता, जन, प्रतिपक्ष, प्रजानीति एवं दिनमान में नियमित लेखन। अनुग्रह नारायण सिंह समाज अध्ययन संस्थान, पटना से ‘बिहार में बँधुआ मजदूर’ तथा ‘अग्रेरियन टेंशन इन बिहार’ पर शोधकार्य। 1974-77 के बिहार आंदोलन में सक्रिय, गिरफ्तारी भी हुई। आपातकाल में भूमिगत रहकर ‘मुक्ति संग्राम’ पत्रिका का संपादन-प्रकाशन। ‘सामयिक वार्त्ता’ में सहायक संपादक के रूप में कार्य। संस्थागत एवं रचनात्मक कार्यों में व्यस्तता के बावजूद लेखन के साथ-साथ ‘बदलाव’ त्रैमासिकी का संपादन। ‘सौरिया पहाडि़या: एक लुप्त होती जनजाति’, ‘नक्सलवादी आंदोलन: एक अध्ययन’, ‘पानी से आया परिवर्तन’, ‘सामाजिक कार्यकर्ता संदर्शिका’, ‘सोसल ट्रांसफोरमेशन थ्रू वोलेंट्री एक्शन’ आदि पुस्तकें प्रकाशित। एक्शन रिसर्च, खोजी पत्रकारिता, रचनात्मक एवं संगठनात्मक कार्यों में सृजनशील, समाजवादी आंदोलनों एवं विचारधारा में दीक्षित बजरंग सिंह आज पूरे देश में एक जाने-माने समाजकर्मी हैं।.
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