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365 Kahaniyan
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Abid Surti
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Abid Surti
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹700 ₹525
Save: 25%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Categories: General Fiction, Hindi
Page Extent:
284
महापुरुषों की जीवनी में अकसर पाया जाता है कि बचपन में उन्हें ढेर सारी कहानियाँ सुनने-पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ था। चाहे वे कहानियाँ नाना-नानी से सुनी हों या खरीदकर पढ़ी हों, एक बात निश्चित है—उन महापुरुषों को महान् बनाने में कहानियों का योगदान कम नहीं था। वैसी ही रोचक, ज्ञान बढ़नेवाली इस संकलन की कहानियाँ हैं। हर रोज आपको सिर्फ एक कहानी पढ़नी है। पढ़कर थोड़ा चिंतन-मनन करना है। लगभग सभी कहानियों से सच, एकता, भाईचारे की महक आती है। क्या इनका मकसद विश्व में प्रेमधर्म का प्रचार करना है? क्या इसी कारण ये कहानियाँ देश-विदेश में यात्रियों की तरह घूमती रहती हैं? दूसरा, भारत की कहानी भेस बदलकर जर्मन कहानी कैसे बन जाती है? जर्मन कहानी नए रूप-रंग के साथ चीन में कैसे घुस जाती है? चीनी कहानी का ‘अलादिन’ सारे संसार के बच्चों का प्रिय पात्र कैसे बन जाता है? नए-नए सवाल उठें तो माता-पिता या मास्टरजी से जवाब भी तलब करने हैं। यही रहस्य है महान् बनने का, यही मार्ग है जीवन को सफल बनाने का, देश को आगे बढ़ाने का। यह पुस्तक बच्चे, युवा और वृद्ध सभी तरह के पाठकों के लिए है। इस पुस्तक की विशेषता यह है कि इसमें चुनी हुई ऐसी कहानियाँ दी गई हैं, जो हमें कुछ-न-कुछ अपने आप में कहानी सी कहते दिखते हैं। इन उपदेशात्मक कहानियों और चित्रों ने पुस्तक की उपयोगिता को और बढ़ा दिया है।.
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Description
महापुरुषों की जीवनी में अकसर पाया जाता है कि बचपन में उन्हें ढेर सारी कहानियाँ सुनने-पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ था। चाहे वे कहानियाँ नाना-नानी से सुनी हों या खरीदकर पढ़ी हों, एक बात निश्चित है—उन महापुरुषों को महान् बनाने में कहानियों का योगदान कम नहीं था। वैसी ही रोचक, ज्ञान बढ़नेवाली इस संकलन की कहानियाँ हैं। हर रोज आपको सिर्फ एक कहानी पढ़नी है। पढ़कर थोड़ा चिंतन-मनन करना है। लगभग सभी कहानियों से सच, एकता, भाईचारे की महक आती है। क्या इनका मकसद विश्व में प्रेमधर्म का प्रचार करना है? क्या इसी कारण ये कहानियाँ देश-विदेश में यात्रियों की तरह घूमती रहती हैं? दूसरा, भारत की कहानी भेस बदलकर जर्मन कहानी कैसे बन जाती है? जर्मन कहानी नए रूप-रंग के साथ चीन में कैसे घुस जाती है? चीनी कहानी का ‘अलादिन’ सारे संसार के बच्चों का प्रिय पात्र कैसे बन जाता है? नए-नए सवाल उठें तो माता-पिता या मास्टरजी से जवाब भी तलब करने हैं। यही रहस्य है महान् बनने का, यही मार्ग है जीवन को सफल बनाने का, देश को आगे बढ़ाने का। यह पुस्तक बच्चे, युवा और वृद्ध सभी तरह के पाठकों के लिए है। इस पुस्तक की विशेषता यह है कि इसमें चुनी हुई ऐसी कहानियाँ दी गई हैं, जो हमें कुछ-न-कुछ अपने आप में कहानी सी कहते दिखते हैं। इन उपदेशात्मक कहानियों और चित्रों ने पुस्तक की उपयोगिता को और बढ़ा दिया है।.
About Author
आबिद सुरती जन्म: सन् 1935, राजुला (गुजरात) में। शिक्षा: एम.एस-सी., जी.डी. आर्ट्स (ललित कला)। प्रकाशन: अब तक अस्सी पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें पचास उपन्यास, दस कहानी संकलन, सात नाटक, दस बच्चों की पुस्तकें, एक यात्रा-वृत्तांत, एक गजल संकलन, एक संस्मरण व कॉमिक्स। पैंतालीस साल से गुजराती तथा हिंदी की विभिन्न पत्रिकाओं और अखबारों में लेखन। उपन्यासों का कन्नड़, मराठी, मलयाळम, उर्दू, पंजाबी और अंग्रेजी भाषा में अनुवाद। ‘ढब्बूजी’ व्यंग्य चित्रकथा तीस साल तक निरंतर साप्ताहिक धर्मयुग में प्रकाशित। दूरदर्शन, जी तथा अन्य चैनलों के लिए कथा, पटकथा, संवाद लेखन। अब तक देश-विदेशों में सोलह चित्र-प्रदर्शनियाँ आयोजित। फिल्म लेखक संघ, प्रेस क्लब (मुंबई), एसोसिएशन ऑफ राइटर्स ऐंड इलस्ट्रेटर्स (दिल्ली), फिल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड (मुंबई) के सदस्य। पुरस्कार-सम्मान: कहानी संकलन ‘तीसरी आँख’ को राष्ट्रीय पुरस्कार।.
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