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उन्नीसवीं बारिश | UNNISAVI BARISH
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कथाकार शर्मिला जालान का लीक से हटा हुआ उपन्यास है जिसे काव्यात्मक आस्वाद के साथ पढ़ा जा सकता है। चाहें तो कह सकते हैं कि यह कविता में उपन्यास है या उपन्यास में कविता। कई बार पंक्तियाँ इस तरह आती और लिखी जाती हैं जैसे वे कविता के अंश हों। उपन्यास के भीतर एक पात्र की साहित्यिक रुचि के हवाले से कई शीर्ष कवियों के काव्यांशों का बाकायदा इस्तेमाल भी किया गया है मन:स्थितियों को उभारने और जीवन-स्थितियों का बयान करने के लिए। लेकिन ‘उन्नीसवीं बारिश’ कविताई नहीं है, है कथाकृति ही, जिसके केन्द्र में एक युवती है।
कथाकार शर्मिला जालान का लीक से हटा हुआ उपन्यास है जिसे काव्यात्मक आस्वाद के साथ पढ़ा जा सकता है। चाहें तो कह सकते हैं कि यह कविता में उपन्यास है या उपन्यास में कविता। कई बार पंक्तियाँ इस तरह आती और लिखी जाती हैं जैसे वे कविता के अंश हों। उपन्यास के भीतर एक पात्र की साहित्यिक रुचि के हवाले से कई शीर्ष कवियों के काव्यांशों का बाकायदा इस्तेमाल भी किया गया है मन:स्थितियों को उभारने और जीवन-स्थितियों का बयान करने के लिए। लेकिन ‘उन्नीसवीं बारिश’ कविताई नहीं है, है कथाकृति ही, जिसके केन्द्र में एक युवती है।
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