Pravahman Ganga

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
चंचल कुमार घोष अनुवाद प्रेम कपूर
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
चंचल कुमार घोष अनुवाद प्रेम कपूर
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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208

प्रवहमान गंगा –
प्रवहमान गंगा की कहानी शुरू होती है ऋषिकेश से। इस कहानी के दो मुख्य पात्र है- शाक्य और शरण्या। दोनों ही युवा हैं। शरण्या आयी है वर्षों पूर्व लापता हुए अपने दादा की तलाश में, जो संन्यास लेकर हिमालय के किसी आश्रम में रहते हैं। गंगा के घाट पर उसका परिचय शाक्य से होता है और फिर शुरू होती है गंगा के रास्ते से दोनों की यात्रा। वे जा रहे हैं ऋषिकेश से देवप्रयाग और वहाँ से टिहरी, चम्बा, उत्तरकाशी, गांगुरी, धाराली, मुखबा, भैरवघाट, गंगोत्री होते हुए। गोमुख रास्ते में कितने ही लोगों से उनका परिचय होता है। ये लोग हैं साधु, संन्यासी, दुकानदार, भिखारी, पुजारी, शिक्षक, पत्रकार व आम स्त्री-पुरुष, जो गंगा की बातें बताते हैं; बताते हैं गंगा के दोनों किनारों के लोगों के इतिहास, समाज, संस्कृति व धर्म की बातें। विभिन्न अनुभवों के आलोक से भर उठता है शाक्य व शरण्या का अन्तर्मन। लगता है, गुम हुए दादा की तलाश में आकर उन्होंने ढूँढ़ लिया है पाँच हज़ार वर्षों के भारतवर्ष को।
इस उपन्यास का एक और पात्र है—ह्यूमोर। वह जर्मनी से आया है। उसे नदियों से प्रेम है और नदियों के बारे में जानने के लिए वह विभिन्न देशों में घूमता-फिरता रहता है। वह सिन्धु, राइन, नील, जॉर्डन आदि नदियों की बातें बताता है। बताता है गंगा के साथ इन सब नदियों के सम्पर्क की बात।
इस उपन्यास में केवल गंगा और उसके किनारे बसे लोगों की ही नहीं है, बल्कि है हिमालय के अतुलनीय सौन्दर्य का चित्रण है। इस कृति में भारतवर्ष की अध्यात्म-साधना और दो युवाओं के मन के अव्यक्त अभिव्यक्ति का चित्रण है।
‘प्रवहमान गंगा’ में इतिहास, दर्शन, भ्रमण और मानवीय सम्बन्धों का अद्भुत व सुन्दर सम्मिश्रण है। इसमें भ्रमण पिपासुओं को मिलेगा भ्रमण का आनन्द, साहित्यानुरागी पाठकों को मिलेगा महत साहित्य का स्वाद, ज्ञानियों को मिलेगा ज्ञान का सन्धान।

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Description

प्रवहमान गंगा –
प्रवहमान गंगा की कहानी शुरू होती है ऋषिकेश से। इस कहानी के दो मुख्य पात्र है- शाक्य और शरण्या। दोनों ही युवा हैं। शरण्या आयी है वर्षों पूर्व लापता हुए अपने दादा की तलाश में, जो संन्यास लेकर हिमालय के किसी आश्रम में रहते हैं। गंगा के घाट पर उसका परिचय शाक्य से होता है और फिर शुरू होती है गंगा के रास्ते से दोनों की यात्रा। वे जा रहे हैं ऋषिकेश से देवप्रयाग और वहाँ से टिहरी, चम्बा, उत्तरकाशी, गांगुरी, धाराली, मुखबा, भैरवघाट, गंगोत्री होते हुए। गोमुख रास्ते में कितने ही लोगों से उनका परिचय होता है। ये लोग हैं साधु, संन्यासी, दुकानदार, भिखारी, पुजारी, शिक्षक, पत्रकार व आम स्त्री-पुरुष, जो गंगा की बातें बताते हैं; बताते हैं गंगा के दोनों किनारों के लोगों के इतिहास, समाज, संस्कृति व धर्म की बातें। विभिन्न अनुभवों के आलोक से भर उठता है शाक्य व शरण्या का अन्तर्मन। लगता है, गुम हुए दादा की तलाश में आकर उन्होंने ढूँढ़ लिया है पाँच हज़ार वर्षों के भारतवर्ष को।
इस उपन्यास का एक और पात्र है—ह्यूमोर। वह जर्मनी से आया है। उसे नदियों से प्रेम है और नदियों के बारे में जानने के लिए वह विभिन्न देशों में घूमता-फिरता रहता है। वह सिन्धु, राइन, नील, जॉर्डन आदि नदियों की बातें बताता है। बताता है गंगा के साथ इन सब नदियों के सम्पर्क की बात।
इस उपन्यास में केवल गंगा और उसके किनारे बसे लोगों की ही नहीं है, बल्कि है हिमालय के अतुलनीय सौन्दर्य का चित्रण है। इस कृति में भारतवर्ष की अध्यात्म-साधना और दो युवाओं के मन के अव्यक्त अभिव्यक्ति का चित्रण है।
‘प्रवहमान गंगा’ में इतिहास, दर्शन, भ्रमण और मानवीय सम्बन्धों का अद्भुत व सुन्दर सम्मिश्रण है। इसमें भ्रमण पिपासुओं को मिलेगा भ्रमण का आनन्द, साहित्यानुरागी पाठकों को मिलेगा महत साहित्य का स्वाद, ज्ञानियों को मिलेगा ज्ञान का सन्धान।

About Author

चंचल घोष - जन्म : 1960; कलकत्ता, पश्चिम बंगाल में। बचपन दुर्गापुर में बीता। बचपन से ही साहित्य में रुचि। मात्र 12 वर्ष की आयु में प्रबन्ध रचना पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त। पारिवारिक प्रोत्साहन से पूर्णरूपेण सृजनरत । 'भारतेर उपकथा', 'बिसवेर श्रेष्ठ जिबानी सतक', 'जगन्नाथ तोमाके परनाम', 'प्रभा', 'तमसो मा', 'दिशान्तेर आलो', 'अर्रणा' आदि प्रकाशित कृतियाँ। बांग्ला के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन। कहानी और उपन्यास लेखन के लिए कई पुरस्कार। कलकत्ता अन्तर्राष्ट्रीय पुस्तक मेला में श्रेष्ठ साहित्यिक पुरस्कार सहित कई अन्य सम्मानों से सम्मानित। रचनाओं का कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित। प्रेम कपूर (अनुवादक) - प्रेम कपूर वरिष्ठ पत्रकार और नाट्य-समीक्षक होने के साथ ही एक सिद्धहस्त अनुवादक भी हैं। इतिहास, प्रकृति विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, समाजशास्त्र, पौराणिक कथाएँ, कविता, उपन्यास व बाल साहित्य विषयक 23 पुस्तकें प्रकाशित हैं। जिनमें मुख्य रूप से——हो चि मिन्ह, सुकान्त भट्टाचार्य, सुभाष मुखोपाध्याय, नज़रुल इस्लाम, बिमल दे, बिमल मित्र, मुबारक अली (पाकिस्तान), एफ.एस. सलाहउद्दीन अहमद (बांग्लादेश) आदि रचनाकारों की कृतियों का अनुवाद शामिल है।

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