SaleHardback
Gudiya Ka Ghar
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
जीलानी बानो
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
जीलानी बानो
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹130 ₹129
Save: 1%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9788126318414
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
132
गुड़िया का घर –
उर्दू की प्रतिष्ठित उपन्यासकार जीलानी बानो के चार लघु उपन्यासों (जीलानी बानो ने इन्हें लघु उपन्यास ही कहा है) का संग्रह है ‘गुड़िया का घर’। इनमें अपने समय और आसपास के मुस्लिम समाज और जीवन को देखने-दिखाने की कोशिश है। दरअसल इन उपन्यासों में अतीत के स्मृति चित्रों के आइने में वर्तमान की पड़ताल और भविष्य के सपने हैं।
जीलानी बानो की आस्था मानवीयतापरक है। वे शायद यह मानती हैं कि मानवीय पीड़ा, दायित्व चेतना और मुक्ति की भावना मनुष्य की उस आन्तरिकता को उभार सकती है जिसमें आज के व्यक्ति और समाज की सही तस्वीर उजागर होती है। और उनकी यह सोच उनके इन लघु उपन्यासों में भी मुखर है। कह सकते हैं कि उनके लेखन में सब से बड़ी चिन्ता भी जीवन के श्रेष्ठ मूल्यों की रक्षा और अपसंस्कृति के संकट से मनुष्य को बचाये रखने की है।
इन उपन्यासों का सरोकार उन सभी चीज़ों से है जो तमाम विकृतियों के पार ख़ूबसूरत मुलम्मों से परे दिखाई पड़ती हैं और जो मनुष्य को मनुष्य से जोड़ने का काम करती हैं। जीलानी बानो इन उपन्यासों के ज़रिये अँधेरी भूल-भुलैयों में हवा, धूप, ख़ुशबू और खुले आकाश की तलाश करती हैं……
Be the first to review “Gudiya Ka Ghar” Cancel reply
Description
गुड़िया का घर –
उर्दू की प्रतिष्ठित उपन्यासकार जीलानी बानो के चार लघु उपन्यासों (जीलानी बानो ने इन्हें लघु उपन्यास ही कहा है) का संग्रह है ‘गुड़िया का घर’। इनमें अपने समय और आसपास के मुस्लिम समाज और जीवन को देखने-दिखाने की कोशिश है। दरअसल इन उपन्यासों में अतीत के स्मृति चित्रों के आइने में वर्तमान की पड़ताल और भविष्य के सपने हैं।
जीलानी बानो की आस्था मानवीयतापरक है। वे शायद यह मानती हैं कि मानवीय पीड़ा, दायित्व चेतना और मुक्ति की भावना मनुष्य की उस आन्तरिकता को उभार सकती है जिसमें आज के व्यक्ति और समाज की सही तस्वीर उजागर होती है। और उनकी यह सोच उनके इन लघु उपन्यासों में भी मुखर है। कह सकते हैं कि उनके लेखन में सब से बड़ी चिन्ता भी जीवन के श्रेष्ठ मूल्यों की रक्षा और अपसंस्कृति के संकट से मनुष्य को बचाये रखने की है।
इन उपन्यासों का सरोकार उन सभी चीज़ों से है जो तमाम विकृतियों के पार ख़ूबसूरत मुलम्मों से परे दिखाई पड़ती हैं और जो मनुष्य को मनुष्य से जोड़ने का काम करती हैं। जीलानी बानो इन उपन्यासों के ज़रिये अँधेरी भूल-भुलैयों में हवा, धूप, ख़ुशबू और खुले आकाश की तलाश करती हैं……
About Author
जीलानी बानो -
जन्म: 14 जुलाई, 1936 को बदायूँ (उत्तर प्रदेश) में।
शिक्षा: एम.ए. (उर्दू साहित्य), दिल्ली विश्वविद्यालय से।
1954 में लघु कथा-लेखन से लेखकीय जीवन की शुरूआत। अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें दो बड़े उपन्यास, पाँच कहानी-संग्रह और लघु-उपन्यास शामिल हैं। देश की लगभग सारी भाषाओं में रचनाओं के अनुवाद प्रकाशित। अंग्रेज़ी और रूसी में भी कुछ रचनाएँ अनूदित प्रकाशित। कई महत्त्वपूर्ण साहित्यिक संस्थाओं के ज़िम्मेदार पदों पर अलग-अलग समयों में कार्यरत।
सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार, मोदी ग़ालिब अवार्ड और क़ौमी हाली अवार्ड के अलावा उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, आन्ध्र प्रदेश और महाराष्ट्र की उर्दू अकादमियों द्वारा पुरस्कृत-सम्मानित।
प्रमुख कृतियाँ: रोशनी के मीनार, निर्वाण, पराया घर, यह कौन हँसा (कहानी-संग्रह); ऐवाने ग़ज़ल, बारिशे संग, गुड़िया का घर, जुगनू और सितारे, नग़मे का सफ़र (उपन्यास/लघु उपन्यास)।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Gudiya Ka Ghar” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Reviews
There are no reviews yet.