SalePaperback
Mahatma Gandhi Ki Vasiyat
₹495 ₹371
Save: 25%
The Diary of a Sex Addict
₹295 ₹236
Save: 20%
Mahatma Gandhi Ki Vasiyat
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
मंज़र अली सोख़्ता, प्रस्तुति-संजय कृष्ण
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
मंज़र अली सोख़्ता, प्रस्तुति-संजय कृष्ण
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹295 ₹236
Save: 20%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789357752329
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
152
“कांग्रेस बापू की इस बुनियादी हिदायत को कि पार्लिमेंट्री हुकूमत का सुधार उसके अन्दर रहकर नहीं हो सकता, उसका सुधार उसके बाहर रहकर ही हो सकता है, नहीं समझ सकी । बापू दरअसल कांग्रेस को अंग्रेज़ी सरकार को निकालने का साधन नहीं बनाना चाहते थे। वह अपने तौर पर उसके लिए इससे बहुत ऊँची जगह चुन चुके थे और उन्हें आशा थी कि अंग्रेज़ी सरकार से जीतने के वक़्त तक कांग्रेस में इतनी नैतिक बुलन्दी और दूरदेशी पैदा हो जायेगी कि वह उनके असली मक़सद को समझ सके और उन पर अमल कर सके। वह यह चाहते थे कि कांग्रेस जनता की रक्षा और तरक़्क़ी का और देश की सरकार को जनता का सच्चा सेवक और जनता को देश का राजा और मालिक बनाये रखने का एक टिकाऊ साधन और ताक़त बन जावे, बापू के लिए सच्चे स्वराज का यही पहला क़दम था।
कांग्रेस दुनिया की अकेली और महान् संस्था थी जिसने थोड़ी-बहुत बापू की रहनुमाई में नैतिक प्रोग्राम अपनाकर दुनिया के सबसे बड़े साम्राज्य का बिना फ़ौज और हथियारों के मुक़ाबला किया था। उसने बेमिसाल त्याग और बेग़ज़ सेवा से अपने देश-भाइयों के दिल पर क़ाबू पा लिया था। बापू इस महान् संस्था में उसके भाव फिर से जगाना चाहते थे। सेवा संघ बन जाने की सलाह देने से उनका यह मतलब न था कि उसकी सरकार के मन्त्री और नेता गाँव में बैठकर चरख़ा कातने को अपना काम बना लें। वह यह भी नहीं चाहते थे कि उसके सरकार से हट जाने के बाद उसकी जगह कोई तानाशाही या फ़िरक्क़वाराना सरकार क़ायम हो जाये, बल्कि वह कांग्रेस को राजगद्दी से हटाकर देशरक्षा और देशसुधार के काम उसके सुपुर्द करके तानाशाही या देशद्रोही सरकार के क़ायम होने की आशंका को ही सदा के लिए मिटा देना चाहते थे।”
महात्मा गांधी की वसीयत से उद्धृत ये पंक्तियाँ गांधी के विचारों की ऐतिहासिकता को रेखांकित तो करती ही हैं; साथ ही, यह भी इंगित करती हैं कि देश के आज़ाद होने के पचहत्तर साल बाद भी भारतीय राजनीति में जो उथल-पुथल अपने चरम पर बनी हुई है, उसके परिप्रेक्ष्य में यह पुस्तक कितनी अहम और ज़रूरी भूमिका निभा सकती है।
निस्सन्देह, हर युग के लिए एक दुर्लभ दस्तावेज़ है मंज़र अली सोख़्ता की यह कृति महात्मा गांधी की वसीयत ।
Be the first to review “Mahatma Gandhi Ki Vasiyat” Cancel reply
Description
“कांग्रेस बापू की इस बुनियादी हिदायत को कि पार्लिमेंट्री हुकूमत का सुधार उसके अन्दर रहकर नहीं हो सकता, उसका सुधार उसके बाहर रहकर ही हो सकता है, नहीं समझ सकी । बापू दरअसल कांग्रेस को अंग्रेज़ी सरकार को निकालने का साधन नहीं बनाना चाहते थे। वह अपने तौर पर उसके लिए इससे बहुत ऊँची जगह चुन चुके थे और उन्हें आशा थी कि अंग्रेज़ी सरकार से जीतने के वक़्त तक कांग्रेस में इतनी नैतिक बुलन्दी और दूरदेशी पैदा हो जायेगी कि वह उनके असली मक़सद को समझ सके और उन पर अमल कर सके। वह यह चाहते थे कि कांग्रेस जनता की रक्षा और तरक़्क़ी का और देश की सरकार को जनता का सच्चा सेवक और जनता को देश का राजा और मालिक बनाये रखने का एक टिकाऊ साधन और ताक़त बन जावे, बापू के लिए सच्चे स्वराज का यही पहला क़दम था।
कांग्रेस दुनिया की अकेली और महान् संस्था थी जिसने थोड़ी-बहुत बापू की रहनुमाई में नैतिक प्रोग्राम अपनाकर दुनिया के सबसे बड़े साम्राज्य का बिना फ़ौज और हथियारों के मुक़ाबला किया था। उसने बेमिसाल त्याग और बेग़ज़ सेवा से अपने देश-भाइयों के दिल पर क़ाबू पा लिया था। बापू इस महान् संस्था में उसके भाव फिर से जगाना चाहते थे। सेवा संघ बन जाने की सलाह देने से उनका यह मतलब न था कि उसकी सरकार के मन्त्री और नेता गाँव में बैठकर चरख़ा कातने को अपना काम बना लें। वह यह भी नहीं चाहते थे कि उसके सरकार से हट जाने के बाद उसकी जगह कोई तानाशाही या फ़िरक्क़वाराना सरकार क़ायम हो जाये, बल्कि वह कांग्रेस को राजगद्दी से हटाकर देशरक्षा और देशसुधार के काम उसके सुपुर्द करके तानाशाही या देशद्रोही सरकार के क़ायम होने की आशंका को ही सदा के लिए मिटा देना चाहते थे।”
महात्मा गांधी की वसीयत से उद्धृत ये पंक्तियाँ गांधी के विचारों की ऐतिहासिकता को रेखांकित तो करती ही हैं; साथ ही, यह भी इंगित करती हैं कि देश के आज़ाद होने के पचहत्तर साल बाद भी भारतीय राजनीति में जो उथल-पुथल अपने चरम पर बनी हुई है, उसके परिप्रेक्ष्य में यह पुस्तक कितनी अहम और ज़रूरी भूमिका निभा सकती है।
निस्सन्देह, हर युग के लिए एक दुर्लभ दस्तावेज़ है मंज़र अली सोख़्ता की यह कृति महात्मा गांधी की वसीयत ।
About Author
मंज़र अली सोख़्ता -
मंज़र अली सोख़्ता का जन्म सन् 1884 में बदायूँ में हुआ था। पिता शेख़ मुबारक अली मोतीलाल | नेहरू के मुंशी थे। इलाहाबाद में पढ़ाई। म्योर सेंट्रल कॉलेज से एम.ए.। एल.एल.बी. की पढ़ाई भी | साथ-साथ की। सन् 1908 में एल.एल.बी. पास कर लिया। एल.एल.बी. करने के बाद 'इलाहाबाद लॉ | जर्नल' में रिपोर्टिंग की। 1914 में वकालत शुरू की। वकालत के साथ-साथ स्वतन्त्रता आन्दोलन में | भी सक्रिय थे। उत्तर प्रदेश में होमरूल लीग की स्थापना। पं. सुन्दरलाल, पं. जवाहरलाल नेहरू और मंज़र अली सोख्ता को संयुक्त मन्त्री बनाया गया। असहयोग आन्दोलन में भी सक्रिय । गांधी के साथ | यरवदा जेल में बन्द । गांधी को वहीं पर उर्दू सिखायी। गांधी के आह्वान 'भारत छोड़ो आन्दोलन' में । भी भाग लिया। उन्नाव, नैनी, बरेली जेल में बन्द रहे। हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिकता को लेकर वे हमेशा । जूझते रहे। कानपुर में 1931 के भयंकर दंगे के बाद उसकी जाँच और समाधान के लिए जो कमेटी | बनी, उसमें डॉ. भगवान दास के साथ मौलाना ज़फ़रुल हक़ अलवी, बाबू पुरुषोत्तमदास टण्डन, मंज़ | अली सोख्ता, सुन्दरलाल और अब्दुल लतीफ़ बिजनौरी भी थे। कानपुर के पास सेवा-आश्रम में रहे। यहीं पर साठ के दशक में निधन ।
܀܀܀
संजय कृष्ण -
जन्म : जमानियाँ स्टेशन, ग़ाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश में ।
शिक्षा : स्नातकोत्तर हिन्दी, प्राचीन इतिहास एवं एम.जे.एम.सी. ।
'गोपाल राम गहमरी और हिन्दी पत्रकारिता' पर शोध-प्रबन्ध । 'जमदग्नि वीथिका' नामक पत्रिका का सम्पादन व प्रकाशन ।
प्रकाशन : 'होतीं बस आँखें ही आँखें' में नागार्जुन पर लम्बा लेख प्रकाशित । हिन्दी पत्रकारिता : विविध आयाम पुस्तक में हिन्दी पत्रकारिता पर शोधपूर्ण लेख संकलित । देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में सौ से अधिक लेख-रिपोर्ट, समीक्षा आदि प्रकाशित । झारखण्ड के पर्व-त्योहार, मेले और पर्यटन स्थल, झारखण्ड के मेले, गोपाल राम गहमरी की प्रसिद्ध जासूसी कहानियाँ पुस्तकें प्रकाशित । संजीव चट्टोपाध्याय के पालामौ पर हिन्दी में सम्पादन । गोपाल राम गहमरी पर मोनोग्राफ साहित्य अकादेमी से। 1953 में प्रयाग से निकलने वाली 'भारत' पत्रिका के महाकुम्भ विशेषांक का पुनःप्रकाशन 'वाणी प्रकाशन ग्रुप' द्वारा । पटना, बिहार से प्रकाशित 'महावीर' पत्रिका का भी पुनःप्रकाशन ।
पुरस्कार : केन्द्रीय पर्यटन मन्त्रालय का प्रथम 'राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार' ।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Mahatma Gandhi Ki Vasiyat” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
BHARTIYA ITIHAAS KA AADICHARAN: PASHAN YUG (in Hindi)
Save: 15%
BURHANPUR: Agyat Itihas, Imaratein aur Samaj (in Hindi)
Save: 15%
Reviews
There are no reviews yet.