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Sangh Pracharak Maun Tapasvi
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Moolchand Ajmera
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Moolchand Ajmera
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹500 ₹350
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1-4 Days
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Book Type |
---|
ISBN:
Page Extent:
128
कला अभिरुचि: मानवीय संवेदनात्मक दृष्टि के कारण कलात्मक संबद्धता एवं चित्रांकन के प्रति नैसर्गिक झुकाव एवं कला का सहज अंकुरण। पिलानी में अध्ययनकाल में कला अध्यापक प्रख्यात चित्रकार श्री भूरसिंह जी शेखावत की प्रेरणा से आरंभिक कलासर्जन का वास्तविक पन। तभी से चित्रांकन की अविरल, अविराम यात्रा आरंभ। शांति निकेतन के सुप्रसिद्ध चित्रकार श्री नंदलाल बोस से जीवंत साक्षात्कार के पश्चात् कलासर्जन के प्रति गहन समर्पण एवं प्रेरणा। जीवनपर्यंत ग्राम्यबोध से अनुप्राणित चित्रों का सृजन। विशेष: विगत चार दशकों में निरंतर सृजनरत रहकर लगभग साठ हजार से अधिक चित्रों का सृजन। मात्र 2-3 मिनट में व्यक्ति का त्वरित स्केच बनाने में सिद्धहस्त। भारत के श्रेष्ठ राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, साहित्यिक एवं कला साधना के शिखरपुरुषों के चित्र बनाए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक पूजनीय श्रीगुरुजी (मा.स. गोलवलकर) की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में उनके संपूर्ण जीवन पर सौ चित्रों की शृंखला का सृजन। कश्मीर से कन्याकुमारी तथा सोमनाथ से शिलांग की यात्राओं के दौरान जीवन एवं प्राकृतिक दृश्यों के जीवंत असंख्य रेखाचित्रों का अंकन। भारत के महानगरों की कला दीर्घाओं का अवलोकन, ग्रामीण परिवेश के रेखांकन में विशेष रुचि, ‘ग्राम्य जीवन के मनोरम रेखाचित्र’ तथा ‘श्रीगुरुजी रेखाचित्र दर्शन’ प्रकाशित। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चित्तौड़ प्रांत के पूर्व संघचालक तथा संस्कार भारती चित्तौड़ प्रांत के संरक्षक। राष्ट्र सेवा तथा कला सर्जन ही जीवन का मुख्य ध्येय। स्मृतिशेष: 13 सितंबर, 201 5.
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Description
कला अभिरुचि: मानवीय संवेदनात्मक दृष्टि के कारण कलात्मक संबद्धता एवं चित्रांकन के प्रति नैसर्गिक झुकाव एवं कला का सहज अंकुरण। पिलानी में अध्ययनकाल में कला अध्यापक प्रख्यात चित्रकार श्री भूरसिंह जी शेखावत की प्रेरणा से आरंभिक कलासर्जन का वास्तविक पन। तभी से चित्रांकन की अविरल, अविराम यात्रा आरंभ। शांति निकेतन के सुप्रसिद्ध चित्रकार श्री नंदलाल बोस से जीवंत साक्षात्कार के पश्चात् कलासर्जन के प्रति गहन समर्पण एवं प्रेरणा। जीवनपर्यंत ग्राम्यबोध से अनुप्राणित चित्रों का सृजन। विशेष: विगत चार दशकों में निरंतर सृजनरत रहकर लगभग साठ हजार से अधिक चित्रों का सृजन। मात्र 2-3 मिनट में व्यक्ति का त्वरित स्केच बनाने में सिद्धहस्त। भारत के श्रेष्ठ राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, साहित्यिक एवं कला साधना के शिखरपुरुषों के चित्र बनाए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक पूजनीय श्रीगुरुजी (मा.स. गोलवलकर) की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में उनके संपूर्ण जीवन पर सौ चित्रों की शृंखला का सृजन। कश्मीर से कन्याकुमारी तथा सोमनाथ से शिलांग की यात्राओं के दौरान जीवन एवं प्राकृतिक दृश्यों के जीवंत असंख्य रेखाचित्रों का अंकन। भारत के महानगरों की कला दीर्घाओं का अवलोकन, ग्रामीण परिवेश के रेखांकन में विशेष रुचि, ‘ग्राम्य जीवन के मनोरम रेखाचित्र’ तथा ‘श्रीगुरुजी रेखाचित्र दर्शन’ प्रकाशित। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चित्तौड़ प्रांत के पूर्व संघचालक तथा संस्कार भारती चित्तौड़ प्रांत के संरक्षक। राष्ट्र सेवा तथा कला सर्जन ही जीवन का मुख्य ध्येय। स्मृतिशेष: 13 सितंबर, 201 5.
About Author
मूलचंद अजमेरा (राष्ट्र को समर्पित एक कला साधक) जन्म एवं शिक्षा: 28 दिसंबर, 1927 (भीलवाड़ा) में। मैट्रिक तथा बी.कॉम. की शिक्षा बिड़ला विश्वविद्यालय, पिलानी से। कलकत्ता से एल-एल.बी. की उपाधि प्राप्त की। 1945 से संघ के स्वयंसेवक। इंडियन एयरलाइंस, कलकत्ता में सेवारत रहे। कलकत्ता उच्च न्यायालय से वकील की सनद लेकर भीलवाड़ा में वकालत की। लोक अभियोजक तथा विधि व्याख्याता भी रहे। सन् 1996 में वानप्रस्थ लेकर पूर्ण रूपेण समाजसेवा हेतु समर्पित।.
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