Karyalayeeya Hindi 490

Save: 30%

Back to products
Patanjali Yog Sutra 245

Save: 30%

Mahan Khagolvid-Ganitagya Aryabhat

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dinanath Sahani
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Dinanath Sahani
Language:
Hindi
Format:
Hardback

350

Save: 30%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

ISBN:
Page Extent:
228

कभी-कभी सही वैज्ञानिक सिद्धांत भी सदियों तक स्वीकार नहीं किए जाते। उन्हें प्रस्तुत करनेवाले वैज्ञानिक लंबे समय तक गुमनाम और उपेक्षित रहते हैं। विज्ञान के इतिहास में इस तरह के अनेक उदाहरण मिलते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है—आर्यभट और गणित-ज्योतिष से संबंधित उनका क्रांतिकारी कृतित्व। आर्यभट प्राचीन भारत के एक सर्वश्रेष्‍ठ गणितज्ञ-खगोलविद् थे। पाश्‍चात्य विद्वान् भी स्वीकार करते हैं कि आर्यभट अपने समय (ईसा की पाँचवीं-छठी सदी) के एक चोटी के वैज्ञानिक थे। आर्यभट भू-भ्रमण का सिद्धांत प्रस्तुत करनेवाले पहले भारतीय हैं। उन्होंने सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के वैज्ञानिक कारण दिए हैं। आर्यभट ने वृत्त की परिधि और इसके व्यास के अनुपात का मान 3.1416 दिया है, जो काफी शुद्ध मान है। इसे भी उन्होंने ‘आसन्न’ यानी ‘सन्निकट’ मान कहा है।। त्रिकोणमिति की नींव भले ही यूनानी गणितज्ञों ने डाली हो, परंतु पाश्‍चात्य विद्वान् भी स्वीकार करते हैं कि आज सारे संसार में जो त्रिकोणमिति पढ़ाई जाती है, वह आर्यभट की विधि पर आधारित है। ‘आर्यभटीय’ भारतीय गणित-ज्योतिष का पहला ग्रंथ है, जिसमें संख्याओं को शून्ययुक्‍त दाशमिक स्थानमान पद्धति के अनुसार प्रस्तुत किया गया है। आर्यभट ने वर्णमाला का उपयोग करके एक नई अक्षरांक-पद्धति को जन्म दिया। जिन आर्यभट को अपनी विद्वत्ता के कारण ज्योतिर्विदों में बहुत गरिमापूर्ण स्थान प्राप्‍त था, उन्हीं के जीवन और कृतित्व का कांतिकारी दस्तावेज है यह पुस्तक।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Mahan Khagolvid-Ganitagya Aryabhat”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

कभी-कभी सही वैज्ञानिक सिद्धांत भी सदियों तक स्वीकार नहीं किए जाते। उन्हें प्रस्तुत करनेवाले वैज्ञानिक लंबे समय तक गुमनाम और उपेक्षित रहते हैं। विज्ञान के इतिहास में इस तरह के अनेक उदाहरण मिलते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है—आर्यभट और गणित-ज्योतिष से संबंधित उनका क्रांतिकारी कृतित्व। आर्यभट प्राचीन भारत के एक सर्वश्रेष्‍ठ गणितज्ञ-खगोलविद् थे। पाश्‍चात्य विद्वान् भी स्वीकार करते हैं कि आर्यभट अपने समय (ईसा की पाँचवीं-छठी सदी) के एक चोटी के वैज्ञानिक थे। आर्यभट भू-भ्रमण का सिद्धांत प्रस्तुत करनेवाले पहले भारतीय हैं। उन्होंने सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के वैज्ञानिक कारण दिए हैं। आर्यभट ने वृत्त की परिधि और इसके व्यास के अनुपात का मान 3.1416 दिया है, जो काफी शुद्ध मान है। इसे भी उन्होंने ‘आसन्न’ यानी ‘सन्निकट’ मान कहा है।। त्रिकोणमिति की नींव भले ही यूनानी गणितज्ञों ने डाली हो, परंतु पाश्‍चात्य विद्वान् भी स्वीकार करते हैं कि आज सारे संसार में जो त्रिकोणमिति पढ़ाई जाती है, वह आर्यभट की विधि पर आधारित है। ‘आर्यभटीय’ भारतीय गणित-ज्योतिष का पहला ग्रंथ है, जिसमें संख्याओं को शून्ययुक्‍त दाशमिक स्थानमान पद्धति के अनुसार प्रस्तुत किया गया है। आर्यभट ने वर्णमाला का उपयोग करके एक नई अक्षरांक-पद्धति को जन्म दिया। जिन आर्यभट को अपनी विद्वत्ता के कारण ज्योतिर्विदों में बहुत गरिमापूर्ण स्थान प्राप्‍त था, उन्हीं के जीवन और कृतित्व का कांतिकारी दस्तावेज है यह पुस्तक।

About Author

जन्म : बंडिल, वर्दमान (प. बंगाल)। शिक्षा : पी-एच.डी., एम.ए.एम.सी., पी.जी.डी.जे.। प्रकाशन : ‘कागज के रथ’ (कविता-संग्रह), ‘बलि’ (नाटक), ‘हिंदी पत्रकारिता और डॉ. धर्मवीर भारती’ (शोध-प्रबंध), ‘सागरमाथा’, ‘काल कपाल’ (उपन्यास), ‘टूटते दायरे’, ‘जिस्मों में कैद दास्तानें’, ‘एक और उमराव’ (कहानी-संग्रह), ‘सूर्य का निर्वासन’, ‘पैरों के गुमनाम निशान’, ‘अपने ही शहर में’, ‘चाँद पर आवास’,‘महान् गणितज्ञ एवं खगोलविद् आर्यभट’, ‘भास्कराचार्य’ (विज्ञान), ‘समकालीन रंगमंच’, ‘नाट्यशास्त्र और रंगमंच’, ‘नाद-निनाद’ (कला-संस्कृति), ‘रंगमंच की प्रसिद्ध विभूतियाँ’, ‘अक्षरों के सितारों की बातें’ (साक्षात्कार), ‘भारत में हिंदी पत्रकारिता’, ‘हिंदी पत्रकारिता के विविध आयाम’, ‘एड्स : समाज और मीडिया’ (पत्रकारिता), ‘नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास’, ‘भगवान् बुद्ध और बिहार’ (इतिहास), ‘बिहार की सांस्कृतिक यात्रा’, ‘बिहार के सौ रत्न’ (बिहार सरकार द्वारा प्रकाशित, लेखन सहयोग)। पुरस्कार-सम्मान : बिहार कलाश्री पुरस्कार, बिहार हिंदी ग्रंथ अकादमी से पुरस्कृत, नूर फातिमा मेमोरियल अवार्ड, डॉ. चतुर्भुज पत्रकारिता पुरस्कार, साहित्य सम्मान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राजकीय कला पुरस्कार। संप्रति : दैनिक जागरण, पटना में वरिष्ठ पत्रकार एवं पटना विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में विजिटिंग प्राध्यापक। *अन्य प्रसिद्ध लेखकों की कृतियां भी इसमें सम्मिलित हैं।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Mahan Khagolvid-Ganitagya Aryabhat”

Your email address will not be published. Required fields are marked *