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Hindu Arthchintan : Drishti Evam Disha
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dr. Bajrang Lal Gupta
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Dr. Bajrang Lal Gupta
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹500 ₹350
Save: 30%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Categories: General Fiction, Hindi
Page Extent:
248
किसी भी समाज की जीवन-दृष्टि और जीवन-मूल्यों से उसके जीवनादर्श बनते हैं। ये जीवनादर्श ही व्यक्ति व समाज के व्यवहार एवं जीवन को निर्देशित एवं नियमित करते हैं और समाज को पहचान भी देते हैं। किसी समाज के जीवन-मूल्य ही यह बताते हैं कि उस समाज का मानव, प्रकृति व विश्व के प्रति क्या दृष्टिकोण है और उस समाज में प्रकृति व मानव के संबंधों का स्वरूप क्या है। ये संबंध ही विश्व की विभिन्न समस्याओं के समाधान की दिशा निर्धारित करते हैं। यदि मानव और प्रकृति में सहयोगी भाव है तो प्रकृति का सक और संवर्धन होता रहता है और यदि मानव प्रकृति का अपनी सुख-सुविधा के लिए शोषण करता है तो प्रकृति के समक्ष अस्तित्व का संकट आ खड़ा होता है। आज विश्व के समक्ष उपस्थित हुआ पर्यावरण संकट भी प्रकृति के अंधाधुंध शोषण के कारण ही है। भारतीय दृष्टिकोण प्रकृति के साथ मातृभाव से उसका पोषण और सक करने का है। इस पुस्तक ‘भारतीय सांस्कृतिक मूल्य’ में प्रख्यात चिंतक डॉ. बजरंग लाल गुप्ता ने किसी समाज की जीवन-दृष्टि और जीवन-मूल्यों के बारे में विस्तृत व्याख्या की है और बताया है कि किस प्रकार ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के समाधान के लिए भारतीय जीवन-दृष्टि महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने इस पुस्तक में समाज की विभिन्न समस्याओं के कारणों और उनके समाधान के विषय में विशद् विवेचन किया है। उन्होंने उन महापुरुषों के जीवन से संबंधित विभिन्न पहलुओं को भी लिपिबद्ध किया है, जिन्होंने समाज को प्रेरित किया और नई दिशा दी|
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Drishti Evam Disha” Cancel reply
Description
किसी भी समाज की जीवन-दृष्टि और जीवन-मूल्यों से उसके जीवनादर्श बनते हैं। ये जीवनादर्श ही व्यक्ति व समाज के व्यवहार एवं जीवन को निर्देशित एवं नियमित करते हैं और समाज को पहचान भी देते हैं। किसी समाज के जीवन-मूल्य ही यह बताते हैं कि उस समाज का मानव, प्रकृति व विश्व के प्रति क्या दृष्टिकोण है और उस समाज में प्रकृति व मानव के संबंधों का स्वरूप क्या है। ये संबंध ही विश्व की विभिन्न समस्याओं के समाधान की दिशा निर्धारित करते हैं। यदि मानव और प्रकृति में सहयोगी भाव है तो प्रकृति का सक और संवर्धन होता रहता है और यदि मानव प्रकृति का अपनी सुख-सुविधा के लिए शोषण करता है तो प्रकृति के समक्ष अस्तित्व का संकट आ खड़ा होता है। आज विश्व के समक्ष उपस्थित हुआ पर्यावरण संकट भी प्रकृति के अंधाधुंध शोषण के कारण ही है। भारतीय दृष्टिकोण प्रकृति के साथ मातृभाव से उसका पोषण और सक करने का है। इस पुस्तक ‘भारतीय सांस्कृतिक मूल्य’ में प्रख्यात चिंतक डॉ. बजरंग लाल गुप्ता ने किसी समाज की जीवन-दृष्टि और जीवन-मूल्यों के बारे में विस्तृत व्याख्या की है और बताया है कि किस प्रकार ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के समाधान के लिए भारतीय जीवन-दृष्टि महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने इस पुस्तक में समाज की विभिन्न समस्याओं के कारणों और उनके समाधान के विषय में विशद् विवेचन किया है। उन्होंने उन महापुरुषों के जीवन से संबंधित विभिन्न पहलुओं को भी लिपिबद्ध किया है, जिन्होंने समाज को प्रेरित किया और नई दिशा दी|
About Author
डॉ. बजरंग लाल गुप्ता ने राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से 1966 में अर्थशास्त्र में एम.ए. किया और 1985 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से अपने शोध प्रबंध ‘वैल्यू एंड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम इन एनशियंट इंडिया’ पर पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। अनेक वर्षों के अध्यापन के अनुभव के उपरांत 2005 में दिल्ली विश्वविद्यालय के स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में अर्थशास्त्र के रीडर पद से सेवानिवृत्त हुए। रचना-संसार: ‘भारत का आर्थिक इतिहास’ हरियाणा साहित्य अकादमी; ‘वैल्यू एंड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम इन एनशियंट इंडिया’ ज्ञान पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली; ‘हिंदू अर्थ चिंतन’ भारतीय विचार साधना, नागपुर; ‘विकास का नया प्रतिमान: सुमंगलम्’ सुरुचि प्रकाशन, नई दिल्ली; ‘ए न्यू पैराडाइम ऑफ डवलेपमेंट’ ज्ञान पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली, अंग्रेजी अनुवाद; ‘सुमंगलम्’ साहित्य संगम, बेंगलुरु, कन्नड़ अनुवाद। डॉ. बजरंग लाल गुप्ता ने हिंदू आर्थिक चिंतन के आधार पर विकास की जिस नई अवधारणा का प्रतिपादन किया है, उसपर कई विश्वविद्यालयों में शोध कार्य हो रहे हैं। ऐसा ही एक शोधग्रंथ ‘सुमंगलम् एन एनेलेटिकल स्टडी—संपादक प्रो. सुदेश कुमार गर्ग’ हिमाचल विश्वविद्यालय की ‘दीनदयाल उपाध्याय पीठ’ द्वारा प्रकाशित किया गया है|
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