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Parvarish Karen to Aise Karen
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Veena Srivastava
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Veena Srivastava
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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Book Type |
---|
ISBN:
Categories: General Fiction, Hindi
Page Extent:
28
आप पंछियों को रोज उड़ते देखते हैं न. आकाश में कबूतर, चील, बाज, गौरैया, फाख्ता, कौवा, कोयल, तोता, सारस—न जाने कितने पंछी उड़ते हैं। क्या कभी कबूतर ने अपने बच्चों से यह कहा कि तुम चील की तरह उड़ो या बगुले ने अपने बच्चों को बाज की कलाबाजी करने को कहा? क्या चील ने कहा कि सारस की तरह सीधी उड़ान भरो? आकाश तो सबके लिए है न? तो फिर सब पंछी एक जैसी उड़ान क्यों नहीं भरते? वजह—सबकी अपनी क्षमताएँ हैं। आकाश मिलने का मतलब यह नहीं कि सभी दूर गगन में निकल जाएँ। आप अभिभावक हैं तो आपको अपने बच्चों की क्षमता का अंदाजा होना चाहिए। उन पर अपने सपनों का आकाश मत थोपिए, बल्कि उनके सपनों को अपने विश्वास और साथ के पंख दीजिए। आप बच्चों का हौसला और मनोबल बढ़ाइए। उनकी कठिनाइयों को समझिए। दूसरे बच्चों से उनकी तुलना मत कीजिए। आप केवल यह प्रयास कीजिए कि आपके बच्चे गलत राह पर न जाएँ। गलती हो तो बताइए, डाँटिए नहीं, बल्कि भरोसा देते हुए प्यार से समझाइए। बच्चों के व्यवहार से उनके बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि आप उन्हें पूरा समय दें। केवल रुपए खर्च करके आप उनका जीवन नहीं बना सकते। रुपए बेशक कम दीजिए, मगर समय पूरा दीजिए। आपके बच्चे आपके प्यार और विश्वास के भूखे हैं। उन्हें एहसास कराइए कि कुछ भी हो, तुम्हारे पापा-मम्मा तुम्हारे साथ हैं। अपना भरोसा, प्यार, साथ और दोस्ती उन्हें भरपूर दीजिए। फिर देखिए, बच्चे कैसे खिल जाएँगे। परवरिश पर एक संपूर्ण व्यावहारिक पुस्तक।.
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Aise Karen” Cancel reply
Description
आप पंछियों को रोज उड़ते देखते हैं न. आकाश में कबूतर, चील, बाज, गौरैया, फाख्ता, कौवा, कोयल, तोता, सारस—न जाने कितने पंछी उड़ते हैं। क्या कभी कबूतर ने अपने बच्चों से यह कहा कि तुम चील की तरह उड़ो या बगुले ने अपने बच्चों को बाज की कलाबाजी करने को कहा? क्या चील ने कहा कि सारस की तरह सीधी उड़ान भरो? आकाश तो सबके लिए है न? तो फिर सब पंछी एक जैसी उड़ान क्यों नहीं भरते? वजह—सबकी अपनी क्षमताएँ हैं। आकाश मिलने का मतलब यह नहीं कि सभी दूर गगन में निकल जाएँ। आप अभिभावक हैं तो आपको अपने बच्चों की क्षमता का अंदाजा होना चाहिए। उन पर अपने सपनों का आकाश मत थोपिए, बल्कि उनके सपनों को अपने विश्वास और साथ के पंख दीजिए। आप बच्चों का हौसला और मनोबल बढ़ाइए। उनकी कठिनाइयों को समझिए। दूसरे बच्चों से उनकी तुलना मत कीजिए। आप केवल यह प्रयास कीजिए कि आपके बच्चे गलत राह पर न जाएँ। गलती हो तो बताइए, डाँटिए नहीं, बल्कि भरोसा देते हुए प्यार से समझाइए। बच्चों के व्यवहार से उनके बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि आप उन्हें पूरा समय दें। केवल रुपए खर्च करके आप उनका जीवन नहीं बना सकते। रुपए बेशक कम दीजिए, मगर समय पूरा दीजिए। आपके बच्चे आपके प्यार और विश्वास के भूखे हैं। उन्हें एहसास कराइए कि कुछ भी हो, तुम्हारे पापा-मम्मा तुम्हारे साथ हैं। अपना भरोसा, प्यार, साथ और दोस्ती उन्हें भरपूर दीजिए। फिर देखिए, बच्चे कैसे खिल जाएँगे। परवरिश पर एक संपूर्ण व्यावहारिक पुस्तक।.
About Author
वीना श्रीवास्तव शिक्षा: एम.ए. (हिंदी, अंग्रेजी)। प्रकाशन: तुम और मैं, मचलते ख्वाब, लड़कियाँ (कविता-संग्रह); शब्द संवाद (संपादन); अनुगूँज, खामोश, खामोशी और हम, ख्वाब ईसा हुए, साँसे सुकरात (साझा संकलन); हैरिटेज झारखंड की पत्रिका ‘भोर’ की संपादक। सम्मान-पुरस्कार: ‘प्रमोद वर्मा युवा सम्मान’ (इजिप्ट), ‘साहित्य सरिता सम्मान’ (हंगरी), ‘साहित्य सरोज और शिक्षा प्रेरक सम्मान’, ‘सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान’, ‘नारी गौरव सम्मान’, ‘शिक्षा-साहित्य सेवा सम्मान’, ‘उत्कृष्ट कला सम्मान’ तथा अनेक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से अलंकृत। अध्यक्ष—शब्दकार, सचिव—राष्ट्रीय कवि संगम (ग्रेटर राँची इकाई), सचिव (साहित्य)—हेरिटेज झारखंड, कार्यकारिणी सदस्य—एकल अभियान, कार्यकारिणी सदस्य—नारायणी साहित्य अकादमी, आजीवन सदस्य—झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच। संप्रति: सदस्य (झारखंड), पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की कार्यकारी पार्षद।
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