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Yog Vishwa Ko Bharat Ki Anmol Bhent
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Ravi Kumar
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Ravi Kumar
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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In stock
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1-4 Days
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Book Type |
---|
ISBN:
Page Extent:
224
प्राचीन भारत ने हमें गणित, बीजगणित, ज्यामिति, त्रिकोणमिति, शून्य, दशमलव, ज्योतिष, औषधि, व्याकरण, जातक कथाएँ और अनेक नैतिक मूल्यों का आधार दिया है। आधुनिक विश्व संस्कृत, भगवद्गीता और योग से लाभ उठा रहा है। योग के अभ्यास को हमारे ऋषियों और संतों द्वारा शरीर, मन और आत्मा के संपूर्ण स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए सहज ज्ञान द्वारा प्राप्त करके दिशा दी गई, सिद्ध और संहिताबद्ध किया गया। योग लोगों को अशांति के बीच शांति प्राप्त करने में सहायता करता है। ये हमारे शरीर, मन और आत्मा में स्वास्थ्य और संतुलन लाता है। तन स्वस्थ हो, मन स्वस्थ हो, सब नीरोग हों—यही योग का संदेश है। 11 दिसंबर, 2014 को 193 सदस्यों की संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्राचीन भारत के स्वास्थ्य एवं कल्याण की ओर समग्र दृष्टिकोण को मान्यता देते हुए आम सहमति से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने पर सहमति प्रदान की। योग का संबंध आज पूरे विश्व से है। विश्व के कई नेता, खेल-कूद और फिल्मी दुनिया के सितारे और संगीत जगत् के दिग्गज विभिन्न कारणों से अपने दैनिक जीवन में योगाभ्यास करते हैं। योग की वैश्विक स्वीकार्यता और उसके उपयोग की व्यापकता को रेखांकित करने के उद्देश्य से यह पुस्तक लिखी गई है। हमें विश्वास है कि यह पुस्तक लोगों को योग की ओर आकर्षित करेगी और जन-जन योग को अपनाकर अपने जीवन को सुखमय-तनावमुक्त बना पाएँगे|
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Bharat Ki Anmol Bhent” Cancel reply
Description
प्राचीन भारत ने हमें गणित, बीजगणित, ज्यामिति, त्रिकोणमिति, शून्य, दशमलव, ज्योतिष, औषधि, व्याकरण, जातक कथाएँ और अनेक नैतिक मूल्यों का आधार दिया है। आधुनिक विश्व संस्कृत, भगवद्गीता और योग से लाभ उठा रहा है। योग के अभ्यास को हमारे ऋषियों और संतों द्वारा शरीर, मन और आत्मा के संपूर्ण स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए सहज ज्ञान द्वारा प्राप्त करके दिशा दी गई, सिद्ध और संहिताबद्ध किया गया। योग लोगों को अशांति के बीच शांति प्राप्त करने में सहायता करता है। ये हमारे शरीर, मन और आत्मा में स्वास्थ्य और संतुलन लाता है। तन स्वस्थ हो, मन स्वस्थ हो, सब नीरोग हों—यही योग का संदेश है। 11 दिसंबर, 2014 को 193 सदस्यों की संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्राचीन भारत के स्वास्थ्य एवं कल्याण की ओर समग्र दृष्टिकोण को मान्यता देते हुए आम सहमति से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने पर सहमति प्रदान की। योग का संबंध आज पूरे विश्व से है। विश्व के कई नेता, खेल-कूद और फिल्मी दुनिया के सितारे और संगीत जगत् के दिग्गज विभिन्न कारणों से अपने दैनिक जीवन में योगाभ्यास करते हैं। योग की वैश्विक स्वीकार्यता और उसके उपयोग की व्यापकता को रेखांकित करने के उद्देश्य से यह पुस्तक लिखी गई है। हमें विश्वास है कि यह पुस्तक लोगों को योग की ओर आकर्षित करेगी और जन-जन योग को अपनाकर अपने जीवन को सुखमय-तनावमुक्त बना पाएँगे|
About Author
रवि कुमार ने 1970 में इंजीनियरिंग की। इस दौरान (1969-70) वे विश्व के सबसे बड़े छात्र-संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के अखिल भारतीय महासचिव रहे। राष्ट्रकार्य के लिए प्रवृत्त होकर उन्होंने लार्सन एंड टुब्रो में प्रोजेक्ट इंजीनियर के पद को त्याग कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रचारक बनना तय किया और गुजरात के युवाओं व महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों में कार्य प्रारंभ किया। वे 40 देशों में 200 से अधिक योग शिविर लगा चुके हैं। साथ ही 20 से अधिक देशों के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में, न्यूजीलैंड की रॉयल सोसायटी समेत, तथा सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थाओं में वैदिक गणित पर 500 से अधिक कार्यशालाएँ आयोजित कर चुके हैं। वर्तमान में वे हिंदू स्वयंसेवक संघ के अंतरराष्ट्रीय सह-संयोजक तथा विश्व अध्ययन केंद्र, मुंबई के परामर्शदाता हैं। अंग्रेजी, हिंदी व तमिल भाषा में समान अधिकार रखनेवाले रवि कुमारजी को भारतीय अर्थव्यवस्था विज्ञान, तकनीक, विकास, इतिहास, परंपरा, संस्कृति तथा साहित्य आदि विषयों पर उद्बोधन हेतु अनेक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार व कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किया जाता है।
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