Yah Kahani Nahin
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यह कहानी नहीं –
प्रस्तुत संग्रह की कहानियाँ सूक्ष्म, सघन और नितान्त स्पष्ट उद्देश्य लिए हुए पाठकों के सामने एक ऐसी दुनिया का चित्र निर्मित करती है जो पाठकों को रोमांचित तो करता ही है साथ ही उन्हें एक ऐसे स्थान पर ले आता है जहाँ विचार की एक अनुभवी श्रृंखला से भी उनका सामना होता है। अनुभव एक दुर्गम आभास है जिसे ग्रहण करने की क्षमता लेखक और पाठक की बहुत बार भिन्न होती है लेकिन कई बार समान भी होती है।
राजी सेठ की कहानियों का नवीनतम संग्रह है :यह कहानी नहीं’ जीवन के तंतुओं से भीगे मनोभावों को व्यक्त करता है। इन कहानियों में कथ्य कुछ ऐसे निर्मित किया गया है कि चेहरों के पीछे के चेहरों को पूरे रचनात्मक धीरज के साथ परत-दर-परत उकेरता एक विश्वसनीय संसार कथा के बीच में आ खड़ा होता है। यहाँ मनुष्य का विवेक और उसके यथार्थ का सच जितना ज़रूरी है उतना ही उस सच को अनुभवी दृष्टि से देखना भी आवश्यक है। इस अर्थ में ये कहानियाँ मनुष्य के बेहतर हिस्से की पक्षधर हैं। दरअसल अपने गन्तव्य तक पहुँचने के लिए राजी सेठ किसी चमत्कार का सहारा नहीं लेतीं। अपने आसपास की स्थितियों और पात्रों के मानसिक द्वन्द्वों की पड़ताल के माध्यम से वे उन तत्त्वों को खोजती हैं जो मनुष्य की नियतिगत सीमाओं को भी एक समृद्धतर आयाम दे सकें।
यह कहानी नहीं –
प्रस्तुत संग्रह की कहानियाँ सूक्ष्म, सघन और नितान्त स्पष्ट उद्देश्य लिए हुए पाठकों के सामने एक ऐसी दुनिया का चित्र निर्मित करती है जो पाठकों को रोमांचित तो करता ही है साथ ही उन्हें एक ऐसे स्थान पर ले आता है जहाँ विचार की एक अनुभवी श्रृंखला से भी उनका सामना होता है। अनुभव एक दुर्गम आभास है जिसे ग्रहण करने की क्षमता लेखक और पाठक की बहुत बार भिन्न होती है लेकिन कई बार समान भी होती है।
राजी सेठ की कहानियों का नवीनतम संग्रह है :यह कहानी नहीं’ जीवन के तंतुओं से भीगे मनोभावों को व्यक्त करता है। इन कहानियों में कथ्य कुछ ऐसे निर्मित किया गया है कि चेहरों के पीछे के चेहरों को पूरे रचनात्मक धीरज के साथ परत-दर-परत उकेरता एक विश्वसनीय संसार कथा के बीच में आ खड़ा होता है। यहाँ मनुष्य का विवेक और उसके यथार्थ का सच जितना ज़रूरी है उतना ही उस सच को अनुभवी दृष्टि से देखना भी आवश्यक है। इस अर्थ में ये कहानियाँ मनुष्य के बेहतर हिस्से की पक्षधर हैं। दरअसल अपने गन्तव्य तक पहुँचने के लिए राजी सेठ किसी चमत्कार का सहारा नहीं लेतीं। अपने आसपास की स्थितियों और पात्रों के मानसिक द्वन्द्वों की पड़ताल के माध्यम से वे उन तत्त्वों को खोजती हैं जो मनुष्य की नियतिगत सीमाओं को भी एक समृद्धतर आयाम दे सकें।
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