Vasudev Krishna aur Mathura
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इस पुस्तक में भारत में मूर्ति पूजा की प्राचीनता की चर्चा की गई है। इसका मुख्य विषय भागवत धर्म है जो वृष्णि वंश के वासुदेव कृष्ण के समय के आसपास विकसित हुआ। मथुरा में कटरा केशवदेव के स्थान पर आरंभिक काल के कई उल्लेखनीय पुरातात्विक प्रमाण खोजे गए हैं। मध्ययुगीन काल में, कटरा केशवदेव को बार-बार तबाही का शिकार होना पड़ा, जिसकी शुरुआत महमूद गजनवी ने सन् 1017 में कीम थी। इस हमले के एक सदी के भीतर ही कटरा केशवदेव में विष्णु को समर्पित एक नया मंदिर बना लिया गया था किन्तु इस नव निर्माण के बाद भी यहाँ विनाश की कहानी बार बार दोहराई जाती रही। 17 वीं शताब्दी की शुरुआत में बीर सिंह देव बुंदेला द्वारा केशवदेव मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया। सन् 1670 में मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे तोड़ने का आदेश दिया था और उसी स्थान पर एक ईदगाह का निर्माण करवा दिया गया। कटरा केशवदेव के बाद के घटनाक्रमों को औपनिवेशिक भारत के न्यायिक रिकॉर्ड में विधिवत दर्ज किया गया। इस पुस्तक में कटरा केशवदेव में सन् 1815 के बाद घटी घटनाओं से संबंधित कई दस्तावेज़ शायद पहली बार सामान्य पाठक के सामने प्रस्तुत किए जा रहे हैं। ये दस्तावेज़ इस स्थान के प्रति हिन्दुओं की कट्टर आस्था और प्रतिबद्धता की भी पुष्टि करते हैं। मीनाक्षी जैन प्राचीन और मध्यकालीन भारत में सांस्कृतिक और धार्मिक विकास में रुचि रखने वाली इतिहासकार हैं। उनके हाल के प्रकाशनों में शामिल हैं द हिन्दूस् ऑफ हिंदुस्तानः अ सिविलाइज़ेशनल जर्नी (2023), फ्रलाइट ऑफ डेयटीज़ एंड रीबर्थ ऑफ टेम्प्लस (2019), द बैटल फॉर रामाः केस ऑफ अ टेम्पल एैट अयोध्या (2017)।
इस पुस्तक में भारत में मूर्ति पूजा की प्राचीनता की चर्चा की गई है। इसका मुख्य विषय भागवत धर्म है जो वृष्णि वंश के वासुदेव कृष्ण के समय के आसपास विकसित हुआ। मथुरा में कटरा केशवदेव के स्थान पर आरंभिक काल के कई उल्लेखनीय पुरातात्विक प्रमाण खोजे गए हैं। मध्ययुगीन काल में, कटरा केशवदेव को बार-बार तबाही का शिकार होना पड़ा, जिसकी शुरुआत महमूद गजनवी ने सन् 1017 में कीम थी। इस हमले के एक सदी के भीतर ही कटरा केशवदेव में विष्णु को समर्पित एक नया मंदिर बना लिया गया था किन्तु इस नव निर्माण के बाद भी यहाँ विनाश की कहानी बार बार दोहराई जाती रही। 17 वीं शताब्दी की शुरुआत में बीर सिंह देव बुंदेला द्वारा केशवदेव मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया। सन् 1670 में मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे तोड़ने का आदेश दिया था और उसी स्थान पर एक ईदगाह का निर्माण करवा दिया गया। कटरा केशवदेव के बाद के घटनाक्रमों को औपनिवेशिक भारत के न्यायिक रिकॉर्ड में विधिवत दर्ज किया गया। इस पुस्तक में कटरा केशवदेव में सन् 1815 के बाद घटी घटनाओं से संबंधित कई दस्तावेज़ शायद पहली बार सामान्य पाठक के सामने प्रस्तुत किए जा रहे हैं। ये दस्तावेज़ इस स्थान के प्रति हिन्दुओं की कट्टर आस्था और प्रतिबद्धता की भी पुष्टि करते हैं। मीनाक्षी जैन प्राचीन और मध्यकालीन भारत में सांस्कृतिक और धार्मिक विकास में रुचि रखने वाली इतिहासकार हैं। उनके हाल के प्रकाशनों में शामिल हैं द हिन्दूस् ऑफ हिंदुस्तानः अ सिविलाइज़ेशनल जर्नी (2023), फ्रलाइट ऑफ डेयटीज़ एंड रीबर्थ ऑफ टेम्प्लस (2019), द बैटल फॉर रामाः केस ऑफ अ टेम्पल एैट अयोध्या (2017)।
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