Vakrarekhaon Mein Gyanpith Puraskar Vijeta

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
निर्मिश ठाकर
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
निर्मिश ठाकर
Language:
Hindi
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वक्ररेखाओं में ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता –
किसी व्यक्ति के यथार्थ चित्र में व्यंग्यात्मक दृष्टि से विरूपन करना केरिकेचर की अद्भुत परम्परा कहलाती है और निर्मिश ठाकर केरिकेचर की दुनिया के अनूठे और पारंगत सर्जक हैं। उन्होंने लेखकों और कलाकारों के केरिकेचर बनाने में दक्षता हासिल की है। सूक्ष्म ढंग से किरदार की तहों में उतरकर व्यक्तित्व के अलक्षित आयामों को कला रूप में उद्घाटित करना उनके भीतर के कलाकार का लक्ष्य है। निर्मिश ठाकर के बनाये केरिकेचर सहज हास्यबोध और आनन्द की सन्तुष्टि को सृजित करते हैं। यह पुस्तक इस अर्थ में इसलिए महत्वपूर्ण और अनोखी है कि ज्ञानपीठ सम्मान प्राप्त लेखकों के केरिकेचर अपने आप में इस तरह का एक सुन्दर प्रयास है। निर्मिश चरित्रों में एक अन्य भाषा देखते, समझते और बरतते हैं। शायद वे अपने किरदारों के लिए एक व्यंग्यात्मक दृष्टि धारण करते हैं। वे एक रचनाकार में उनके व्यक्तित्व के किसी ख़ास आयाम पर एकाग्र होकर उसका सम्यक विस्तार अपने केरिकेचर में करते है। निर्मिश के केरिकेचर इस तथ्य का उत्तम उदाहरण हैं कि उन्होंने ज्ञानपीठ पुरस्कृत लेखकों को एक विचारात्मक लेकिन मासूमियत भरे व्यंग्य के साथ एक अलग छवि प्रदान की है जिसे पाठक हमेशा अपनी स्मृति में बसा सकेंगे।

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Description

वक्ररेखाओं में ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता –
किसी व्यक्ति के यथार्थ चित्र में व्यंग्यात्मक दृष्टि से विरूपन करना केरिकेचर की अद्भुत परम्परा कहलाती है और निर्मिश ठाकर केरिकेचर की दुनिया के अनूठे और पारंगत सर्जक हैं। उन्होंने लेखकों और कलाकारों के केरिकेचर बनाने में दक्षता हासिल की है। सूक्ष्म ढंग से किरदार की तहों में उतरकर व्यक्तित्व के अलक्षित आयामों को कला रूप में उद्घाटित करना उनके भीतर के कलाकार का लक्ष्य है। निर्मिश ठाकर के बनाये केरिकेचर सहज हास्यबोध और आनन्द की सन्तुष्टि को सृजित करते हैं। यह पुस्तक इस अर्थ में इसलिए महत्वपूर्ण और अनोखी है कि ज्ञानपीठ सम्मान प्राप्त लेखकों के केरिकेचर अपने आप में इस तरह का एक सुन्दर प्रयास है। निर्मिश चरित्रों में एक अन्य भाषा देखते, समझते और बरतते हैं। शायद वे अपने किरदारों के लिए एक व्यंग्यात्मक दृष्टि धारण करते हैं। वे एक रचनाकार में उनके व्यक्तित्व के किसी ख़ास आयाम पर एकाग्र होकर उसका सम्यक विस्तार अपने केरिकेचर में करते है। निर्मिश के केरिकेचर इस तथ्य का उत्तम उदाहरण हैं कि उन्होंने ज्ञानपीठ पुरस्कृत लेखकों को एक विचारात्मक लेकिन मासूमियत भरे व्यंग्य के साथ एक अलग छवि प्रदान की है जिसे पाठक हमेशा अपनी स्मृति में बसा सकेंगे।

About Author

निर्मिश ठाकर - जन्म: 18 मार्च, 1960 (कलोल गुजरात)। ओएनजीसी में प्रधान इंजिनियर। अख़बार 'दिव्यभास्कर' के स्तम्भकार, कवि, नाट्यकार, व्यंग्यकार, उपन्यासकार, प्रकाशित टी.वी. कलाकार, तबलावादक (अजराडा घराना)। हिन्दी, अंग्रेज़ी व गुजराती की 45 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। प्रकाशित कृतियाँ: 'मैं और निर्मिश' (कविता संग्रह), व्यंग्य चित्र संग्रह 'वक्रता में गुजराती साक्षर' (हिन्दी) आठ व्यंग्य लेख-संग्रह, चार व्यंग्य उपन्यास, दो द्विअंकी नाटक, तीन काव्य संग्रह, छह प्रतिकाव्य संग्रह, तीन व्यंग्य आलोचना-संग्रह, एक ट्रायोलेट-संग्रह (फ्रेंच काव्य विधा) और एक बाल हास्य काव्य संग्रह (सभी गुजराती में); Caricatures of Gujarati Men of Letters, Nirmishize Your Brain!, Nirmishification of Gujarati Gazal Poets, Narendra Modi - Wave in Caricatures etc (सभी अंग्रेज़ी में)। गुजराती संगीत नाटक अकादमी तथा गुजरात साहित्य अकादमी द्वारा सम्मानित गुजराती नाटक 'मनपत चढ्ढो गोटारे' (हिन्दी अनुवाद: 'गनपत सूरतो क्या करे?') के 45 से ज़्यादा शो हो चुके। 'गनपत सूरती' : लेखक द्वारा निर्मित इस पात्र को व्यंग्य उपन्यास, नाटक, व्यंग्यकाव्यों तथा टी.वी. कार्यक्रमों द्वारा प्रचण्ड लोकप्रियता हासिल है। विशिष्ट प्रदान हिन्दी तथा गुजराती में नव्य-विधा 'व्यंग्य तजमिन' का सृजन, फ्रेंच काव्य विधा 'ट्रायोलेट' को हिन्दी तथा गुजराती में ले आने का श्रेय 'मैं निर्मिश' 'गुजराती साहित्य का प्रथम सम्पूर्ण प्रतिकाव्य संग्रह'। व्यंग्य आलोचना की तीन पुस्तकें। व्यंग्यचित्र प्रदर्शनियाँ फ़िल्म नाटक-साहित्य संगीत की नामी प्रतिभाओं के व्यंग्यचित्रों की प्रदर्शनियाँ देश के विभिन्न शहरों- दिल्ली, अहमदाबाद, मुम्बई, कोलकाता, गाँधीनगर, सूरत, जबलपुर, पटना, बड़ौदा, बैंगलूरु... आदि तथा लन्दन में। अन्य व्यंग्य काव्यों की ऑडियो सीडी 'हल्लागुल्ला' का निर्माण वितरण न्यू जर्सी, अमेरिका में। सम्मान/पुरस्कार: गुजरात साहित्य अकादमी का 'श्रेष्ठ पुस्तक' पुरस्कार पाँच बार, गुजराती साहित्य परिषद् का श्री ज्योतीन्द्र दवे हास्य पुरस्कार, व्यंग्यचित्रकला के विभिन्न राष्ट्रीय कीर्तिमान के लिए 'लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉडर्स' में पाँच बार स्थान प्राप्त, निर्मिश ठाकर की व्यंग्यचित्र कला पर केन्द्रित डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म।

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