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Uttar Pradesh Ka Swatantrata Sangram : Siddharthnagar Hard Cover
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Uttar Pradesh Ka Swatantrata Sangram : Maharajganj Hard Cover
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Uttar Pradesh Ka Swatantrata Sangram : Mathura Hard Cover
Publisher:
Rajkamal
| Author:
DR. UMESH CHANDER SHARMA
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
DR. UMESH CHANDER SHARMA
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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9789394902534
Category Hindi
Category: Hindi
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भारत की आजादी के लिए हुए अप्रतिम संघर्ष में मथुरा जनपद के महान योगदान की कहानी राष्ट्रीय प्रेम को समर्पित एक अनुपम गाथा है। 1856 में मथुरा के वनों में एक पंचायत हुई थी जो 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की तूफानी हलचल का संकेत था।
मथुरा जनपद में 1857 की क्रांति का विस्फोट मई माह के दूसरे सप्ताह में हुआ। 15 मई तक मथुरा के अंग्रेज स्त्रियों और बच्चों को आगरा पहुँचा दिया गया था। क्रांति की लपटें ग्रामीण अंचलों तक भी पहुँचीं। मांट तहसील का नौहझील क्षेत्र विशेष रूप से प्रभावित हुआ। कोसी और छाता के क्षेत्रों में भी विद्रोह का बिगुल बज उठा था। मांट क्षेत्र का बाजना विशेष रूप से गतिशील हुआ। नौहबारी के जाटों ने नौहझील के किले पर आक्रमण किया। और भी कई महत्त्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी मथुरा जिला रहा जिसका विस्तृत विवरण इस पुस्तक में दिया गया है।
मथुरा जनपद में प्रतिरोध की परंपरा द्वापर तक जाती है जब श्रीकृष्ण ने गोपालकों को साथ लेकर कंस के शासन को समूल नष्ट कर दिया था। वही छवियाँ स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भी हमें देखने को मिलीं।
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Description
भारत की आजादी के लिए हुए अप्रतिम संघर्ष में मथुरा जनपद के महान योगदान की कहानी राष्ट्रीय प्रेम को समर्पित एक अनुपम गाथा है। 1856 में मथुरा के वनों में एक पंचायत हुई थी जो 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की तूफानी हलचल का संकेत था।
मथुरा जनपद में 1857 की क्रांति का विस्फोट मई माह के दूसरे सप्ताह में हुआ। 15 मई तक मथुरा के अंग्रेज स्त्रियों और बच्चों को आगरा पहुँचा दिया गया था। क्रांति की लपटें ग्रामीण अंचलों तक भी पहुँचीं। मांट तहसील का नौहझील क्षेत्र विशेष रूप से प्रभावित हुआ। कोसी और छाता के क्षेत्रों में भी विद्रोह का बिगुल बज उठा था। मांट क्षेत्र का बाजना विशेष रूप से गतिशील हुआ। नौहबारी के जाटों ने नौहझील के किले पर आक्रमण किया। और भी कई महत्त्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी मथुरा जिला रहा जिसका विस्तृत विवरण इस पुस्तक में दिया गया है।
मथुरा जनपद में प्रतिरोध की परंपरा द्वापर तक जाती है जब श्रीकृष्ण ने गोपालकों को साथ लेकर कंस के शासन को समूल नष्ट कर दिया था। वही छवियाँ स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भी हमें देखने को मिलीं।
About Author
डॉ. उमेश चंद्र शर्मा
जन्म-तिथि : 12 अगस्त, 1956; शिक्षा : एम.ए. (दर्शनशास्त्र), एम.ए. (हिन्दी साहित्य), पी-एच.डी.; पिता का नाम : स्व. श्री माधव प्रसाद जी शर्मा; माता का नाम : स्व. श्रीमती सुशीला देवी शर्मा
स्थापना : ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय की स्थापना।
प्रकाशन : सात साहित्यिक एवं दार्शनिक पुस्तकों का प्रकाशन। सम्पादन : मासिक पत्रिका ‘ब्रज लोक संपदा’ का नियमित प्रकाशन (यूजीसी संबद्ध), ‘5 शताब्दी स्मारिकाओं का सम्पादन’, ‘2 स्वर्ण जयंती स्मारिकाओं का सम्पादन’, ‘कुम्भ पूर्व वैष्णव बैठक’ 2021, (उ.प्र. ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा प्रकाशित स्मारिका एवं कॉफीटेबल बुक) का सम्पादन, ‘संस्कृत भाषा में श्रीकृष्ण’ (उ.प्र. ब्रज तीर्थ विकास परिषद एवं वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित) का सम्पादन, विभिन्न देशी/विदेशी पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक शोध आलेखों का प्रकाशन। सेमिनार: भारत के विविध अंचलों के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं सांस्कृतिक प्रतिष्ठानों में लगभग 50 सेमिनारों में प्रतिभागिता। रंगमंच : लोकनाट्य रंगमंच के लिए 6 लोकनाट्यों का लेखन एवं मंचन। अभिनय भी। उ.प्र. संस्कृत नाटक अकादमी एवं संगीत नाटक अकादमी दिल्ली के देशज कार्यक्रमों में प्रतिभागिता।
पुरस्कार : ‘वैष्णव दर्शन में काम का स्वरूप’ ग्रंथ के लिए कोटा, राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा पुरस्कृत। नाथद्वारा साहित्य मंडल द्वारा ‘ब्रज वाचस्पति उपाधि’ से अलंकृत एवं अन्य अनेक संस्थाओं द्वारा समादृत।
सेवाएँ : श्रीब्रह्म विद्या मंदिर स्नातकोत्तर महाविद्यालय वृन्दावन में आचार्य एवं अध्यक्ष, हिन्दी विभाग से अवकाशप्राप्त।
सम्प्रति : उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद मथुरा में ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ के पद पर कार्यरत।
सम्पर्क : 302, गुरुकुल रोड, वृन्दावन, मथुरा (उ.प्र.)
281 121
ईमेल : brajloksampada@gmail.com
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