Sanskrti Ek : Naam Roop Ane 300

Save: 25%

Back to products
Talespin 338

Save: 25%

Udate Chalo, Udate Chalo

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Ramvriksh Benipuri
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Ramvriksh Benipuri
Language:
Hindi
Format:
Hardback

263

Save: 25%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

ISBN:
SKU 9789352663934 Categories , Tag
Categories: ,
Page Extent:
176

उड़ते चलो-उड़ते चलो—श्रीरामवृक्ष बेनीपुरीप्राचीन ऋषियों ने कहा था—‘चरैवेति, चरैवेति’—चलते चलो, चलते चलो; किंतु आज का मानव कहता है—‘उड़ते चलो, उड़ते चलो’। बेनीपुरीजी की इस यात्रा-वृत्तांत पुस्तक में यह वाक्य पूर्णरूपेण चरितार्थ होता है। वह जहाँ-जहाँ गए, पढ़ने से ऐसा लगता है मानो हम भी उनके साथ-साथ ही थे। विदेशों में—यहाँ से वहाँ, वहाँ से वहाँ; निरंतर उड़ते चलो, उड़ते चलो।बेनीपुरीजी ने अपनी इस पुस्तक में अपनी यात्राओं का ऐसा सूक्ष्म और सजीव वर्णन किया है कि पढ़कर ऐसा लगता है मानो वह सब हमारे ही देखे-सुने-भोगे का वर्णन हो। यात्रा के एक-एक पड़ाव का, एक-एक क्षण का ऐसा कलात्मक वर्णन बहुत ही कम पढ़ने को मिलता है। जहाँ-जहाँ वे गए वहाँ की संस्कृति, सभ्यता, परंपरा व रीति-रिवाजों का अत्यंत आत्मीयतापूर्ण वर्णन—ऐसा, जो पाठकों के लिए निश्चय ही जानकारीपरक सिद्ध होगा|

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Udate Chalo, Udate Chalo”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

उड़ते चलो-उड़ते चलो—श्रीरामवृक्ष बेनीपुरीप्राचीन ऋषियों ने कहा था—‘चरैवेति, चरैवेति’—चलते चलो, चलते चलो; किंतु आज का मानव कहता है—‘उड़ते चलो, उड़ते चलो’। बेनीपुरीजी की इस यात्रा-वृत्तांत पुस्तक में यह वाक्य पूर्णरूपेण चरितार्थ होता है। वह जहाँ-जहाँ गए, पढ़ने से ऐसा लगता है मानो हम भी उनके साथ-साथ ही थे। विदेशों में—यहाँ से वहाँ, वहाँ से वहाँ; निरंतर उड़ते चलो, उड़ते चलो।बेनीपुरीजी ने अपनी इस पुस्तक में अपनी यात्राओं का ऐसा सूक्ष्म और सजीव वर्णन किया है कि पढ़कर ऐसा लगता है मानो वह सब हमारे ही देखे-सुने-भोगे का वर्णन हो। यात्रा के एक-एक पड़ाव का, एक-एक क्षण का ऐसा कलात्मक वर्णन बहुत ही कम पढ़ने को मिलता है। जहाँ-जहाँ वे गए वहाँ की संस्कृति, सभ्यता, परंपरा व रीति-रिवाजों का अत्यंत आत्मीयतापूर्ण वर्णन—ऐसा, जो पाठकों के लिए निश्चय ही जानकारीपरक सिद्ध होगा|

About Author

जन्म : 23 दिसंबर, 1899 को बेनीपुर, मुजफ्फरपुर (बिहार) में।शिक्षा : साहित्य सम्मेलन से विशारद। स्वाधीनता सेनानी के रूप में लगभग नौ साल जेल में रहे। कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक। 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से विधायक चुने गए।संपादित पत्र : तरुण भारत, किसान मित्र, गोलमाल, बालक, युवक, कैदी, लोक-संग्रह, कर्मवीर, योगी, जनता, तूफान, हिमालय, जनवाणी, चुन्नू-मुन्नू तथा नई धारा।कृतियाँ : चिता के फूल (कहानी संग्रह); लाल तारा, माटी की मूरतें, गेहूँ और गुलाब (शब्दचित्र-संग्रह); पतितों के देश में, कैदी की पत्‍नी (उपन्यास); सतरंगा इंद्रधनुष (ललित-निबंध); गांधीनामा (स्मृतिचित्र); नया आदमी (कविताएँ); अंबपाली, सीता की माँ, संघमित्रा, तथागत, सिंहल विजय, शकुंतला, रामराज्य, नेत्रदान, गाँव का देवता, नया समाज और विजेता (नाटक); हवा पर, नई नारी, वंदे वाणी विनायकौ, अत्र-तत्र (निबंध);मुझे याद है, जंजीरें और दीवारें, कुछ मैं कुछ वे (आत्मकथात्मक संस्मरण); पैरों में पंख बाँधकर, उड़ते चलो उड़ते चलो (यात्रा साहित्य); शिवाजी, विद्यापति, लंगट सिंह, गुरु गोविंद सिंह, रोजा लग्जेम्बर्ग, जय प्रकाश, कार्ल मार्क्स (जीवनी); लाल चीन, लाल रूस, रूसी क्रांति (राजनीति); इसके अलावा बाल साहित्य की दर्जनों पुस्तकें तथा विद्यापति पदावली और बिहारी सतसई की टीका।स्मृतिशेष : 7 सितंबर, 1968।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Udate Chalo, Udate Chalo”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED