Tulsidas

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
राकी गर्ग , शृंखला सम्पादक लीलाधर मंडलोई
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
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राकी गर्ग , शृंखला सम्पादक लीलाधर मंडलोई
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Hindi
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Hardback

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SKU 9789357756754 Category
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64

तुलसीदास –

तुलसीदास राम भक्त कवि थे। राम का गुणगान करना उनकी कविता का मुख्य उद्देश्य था। तुलसी के राम गुणगान का अर्थ मात्र अवतारी पुरुष राम का गुणगान नहीं था, वरन् राम उन अच्छाइयों के भी प्रतीक थे जिन्हें वे सभी मनुष्यों में देखना चाहते थे। रामत्व (अच्छाई) की रावणत्व (बुराई) पर विजय की जो कल्पना इन्होंने की है, उसके मूल में उस समय की राजनीतिक दुर्व्यवस्था थी जिसकी तरफ़ उन्होंने अस्पष्ट रूप से संकेत किया था । तुलसीदास ने रामत्व की रावणत्व की विजय के द्वारा एक ऐसा आश्वासन भारतीय समाज को दिया जिसने गांधीजी का भी मार्ग प्रशस्त किया था। गांधी जी के स्वतन्त्रता आन्दोलन का मूल मंत्र राम राज्य ही रहा था । तुलसीदास ने जिन नैतिक मूल्यों की स्थापना की वे आज भी जनता के मनोबल को बढ़ानेवाले तथा हमारी युवा पीढ़ी को संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ानेवाले हैं ।

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तुलसीदास –

तुलसीदास राम भक्त कवि थे। राम का गुणगान करना उनकी कविता का मुख्य उद्देश्य था। तुलसी के राम गुणगान का अर्थ मात्र अवतारी पुरुष राम का गुणगान नहीं था, वरन् राम उन अच्छाइयों के भी प्रतीक थे जिन्हें वे सभी मनुष्यों में देखना चाहते थे। रामत्व (अच्छाई) की रावणत्व (बुराई) पर विजय की जो कल्पना इन्होंने की है, उसके मूल में उस समय की राजनीतिक दुर्व्यवस्था थी जिसकी तरफ़ उन्होंने अस्पष्ट रूप से संकेत किया था । तुलसीदास ने रामत्व की रावणत्व की विजय के द्वारा एक ऐसा आश्वासन भारतीय समाज को दिया जिसने गांधीजी का भी मार्ग प्रशस्त किया था। गांधी जी के स्वतन्त्रता आन्दोलन का मूल मंत्र राम राज्य ही रहा था । तुलसीदास ने जिन नैतिक मूल्यों की स्थापना की वे आज भी जनता के मनोबल को बढ़ानेवाले तथा हमारी युवा पीढ़ी को संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ानेवाले हैं ।

About Author

राकी गर्ग - जन्म : 7 जून, 1976 शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी साहित्य) । 'नया ज्ञानोदय' में परिचर्चा व कविता प्रकाशित । बाल साहित्य की छह पुस्तकें तथा 'तुलसीदास' की जीवन कथा प्रकाशित । फिलहाल स्वतन्त्र लेखन व अनुवाद कार्य में संलग्न । सम्पर्क : gargraki@gmail.com

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