SalePaperback
Toofan Kabhi Maat Nahin Khate
₹595 ₹417
Save: 30%
Safar Lamba Hain
₹395 ₹277
Save: 30%
Toofan Kabhi Maat Nahin Khate
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
सम्पादक ज्ञानरंजन, कमला प्रसाद
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
सम्पादक ज्ञानरंजन, कमला प्रसाद
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹300 ₹210
Save: 30%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789357752886
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
296
तूफ़ान कभी मात नहीं खाते – पंजाबी के प्रसिद्ध कवि अवतार सिंह ‘पाश’ केवल एक कवि नहीं, अपने युग के वो क़लम-नायक थे, जिन्होंने कविता का स्वर और चेहरा तो बदला ही, अपने समय की चुनौतियों और संघर्ष को आँकने के लिए एक नया नज़रिया भी दिया। उनकी शहादत ने यह सिद्ध कर दिया कि व्यापक मानव मूल्यों के संघर्ष में संस्कृतिकर्मी भी वैसे ही योद्धा हैं, जैसे राजनीतिक कार्यकर्ता । और इस बात की पुरज़ोर तस्दीक़ करती है उन पर सम्पादित यह पुस्तक तूफ़ान कभी मात नहीं खाते।
पुस्तक में पाश के विभिन्न संग्रहों से चुनी गयी कई कविताएँ एक साथ संगृहीत तो हैं ही, उन्हें क़रीब से जानने वालों-अतर सिंह, अमरजीत चन्दन और चमनलाल-द्वारा उनके जीवन और कविताओं से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण लेख भी शामिल हैं। साथ ही, आलोचक कमला प्रसाद की पंजाब-यात्रा पर छोटा, लेकिन एक संक्षिप्त नोट भी है जिससे पाठक यह जान सकेंगे कि पाश जैसा कवि जो स्वप्न छोड़ गया है, उसके जागरण की ज़मीन किस तरह से पंजाब में आज तैयार हो रही और इस तैयारी से क्या-क्या वाबस्ता । यहाँ यह भी जान सकेंगे कि पंजाब में कम्युनिस्टों ने देशभक्ति, बहादुरी और बलिदान का जो परिचय दिया, वह आधुनिक भारत के इतिहास में स्मरणीय है तो क्यों !
इन विशिष्ट सामग्रियों के अलावा इस पुस्तक को सुप्रसिद्ध कलाविद् ग्राम्शी पर श्रीप्रकाश मिश्र और महान् अश्वेत जननेता नेल्सन मंडेला पर एल. एस. हरदेनिया के लेख; साम्प्रदायिकता की बलिवेदी पर शहीद हुए उर्दू कथाकार ज़की अनवर, बांग्ला लेखक समरेश बसु, कथाकार स्वयं प्रकाश, नरेन्द्र नागदेव की कहानियाँ; ऋतुराज और हिन्दी के अग्रणी प्रगतिशील कवि विजेन्द्र की कविताएँ और उन पर राजाराम भादू का लेख; समालोचक भृगुनन्दन त्रिपाठी का श्रीकान्त वर्मा के बहुचर्चित कविता-संग्रह मगध पर सारगर्भित आकलन आदि ख़ास तो बनाते ही हैं, संग्रहणीय भी बनाते हैं ।
कहने की आवश्यकता नहीं कि आज जब पूरी दुनिया में फ़ासिस्टों की तानाशाही अपने चरम पर है, पाश की विशिष्ट रचनाओं को केन्द्र में रखकर तैयार की गयी इस पुस्तक का महत्त्व काफी बढ़ जाता है। वह भी सिर्फ़ पढ़ने भर के लिए नहीं, बल्कि अपने समय को समझने और तमाम चुनौतियों से सामना करने के लिए भी ।
Be the first to review “Toofan Kabhi Maat Nahin Khate” Cancel reply
Description
तूफ़ान कभी मात नहीं खाते – पंजाबी के प्रसिद्ध कवि अवतार सिंह ‘पाश’ केवल एक कवि नहीं, अपने युग के वो क़लम-नायक थे, जिन्होंने कविता का स्वर और चेहरा तो बदला ही, अपने समय की चुनौतियों और संघर्ष को आँकने के लिए एक नया नज़रिया भी दिया। उनकी शहादत ने यह सिद्ध कर दिया कि व्यापक मानव मूल्यों के संघर्ष में संस्कृतिकर्मी भी वैसे ही योद्धा हैं, जैसे राजनीतिक कार्यकर्ता । और इस बात की पुरज़ोर तस्दीक़ करती है उन पर सम्पादित यह पुस्तक तूफ़ान कभी मात नहीं खाते।
पुस्तक में पाश के विभिन्न संग्रहों से चुनी गयी कई कविताएँ एक साथ संगृहीत तो हैं ही, उन्हें क़रीब से जानने वालों-अतर सिंह, अमरजीत चन्दन और चमनलाल-द्वारा उनके जीवन और कविताओं से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण लेख भी शामिल हैं। साथ ही, आलोचक कमला प्रसाद की पंजाब-यात्रा पर छोटा, लेकिन एक संक्षिप्त नोट भी है जिससे पाठक यह जान सकेंगे कि पाश जैसा कवि जो स्वप्न छोड़ गया है, उसके जागरण की ज़मीन किस तरह से पंजाब में आज तैयार हो रही और इस तैयारी से क्या-क्या वाबस्ता । यहाँ यह भी जान सकेंगे कि पंजाब में कम्युनिस्टों ने देशभक्ति, बहादुरी और बलिदान का जो परिचय दिया, वह आधुनिक भारत के इतिहास में स्मरणीय है तो क्यों !
इन विशिष्ट सामग्रियों के अलावा इस पुस्तक को सुप्रसिद्ध कलाविद् ग्राम्शी पर श्रीप्रकाश मिश्र और महान् अश्वेत जननेता नेल्सन मंडेला पर एल. एस. हरदेनिया के लेख; साम्प्रदायिकता की बलिवेदी पर शहीद हुए उर्दू कथाकार ज़की अनवर, बांग्ला लेखक समरेश बसु, कथाकार स्वयं प्रकाश, नरेन्द्र नागदेव की कहानियाँ; ऋतुराज और हिन्दी के अग्रणी प्रगतिशील कवि विजेन्द्र की कविताएँ और उन पर राजाराम भादू का लेख; समालोचक भृगुनन्दन त्रिपाठी का श्रीकान्त वर्मा के बहुचर्चित कविता-संग्रह मगध पर सारगर्भित आकलन आदि ख़ास तो बनाते ही हैं, संग्रहणीय भी बनाते हैं ।
कहने की आवश्यकता नहीं कि आज जब पूरी दुनिया में फ़ासिस्टों की तानाशाही अपने चरम पर है, पाश की विशिष्ट रचनाओं को केन्द्र में रखकर तैयार की गयी इस पुस्तक का महत्त्व काफी बढ़ जाता है। वह भी सिर्फ़ पढ़ने भर के लिए नहीं, बल्कि अपने समय को समझने और तमाम चुनौतियों से सामना करने के लिए भी ।
About Author
ज्ञानरंजन -
जन्म : 21 नवम्बर 1936, अकोला (महाराष्ट्र) में। प्रारम्भिक जीवन निरन्तर प्रवास में वीता - महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश में। पिता श्री रामनाथ सुमन प्रख्यात गांधीवादी विचारक, लेखक और पत्रकार तथा छायावाद काल के प्रमुख आलोचकों में थे। उनकी यायावरी का गहरा असर ।
शिक्षा : एम.ए. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ।
जीविका : जबलपुर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालय में हिन्दी के प्रोफ़ेसर पद से सेवानिवृत्त । पैंतीस वर्षों तक हिन्दी की साहित्यिक पत्रिका 'पहल' के सम्पादक ।
"सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड', उ. प्र. हिन्दी संस्थान का 'साहित्य भूषण पुरस्कार', म.प्र. साहित्य परिषद् का 'सुभद्राकुमारी चौहान पुरस्कार', 'शिखर सम्मान' (भोपाल), 'प्रतिभा सम्मान' (कोलकाता) और 'अनिल कुमार सम्मान' से विभूषित। देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में कहानियाँ पाठ्यक्रम में । साहित्य अकादेमी, नेशनल बुक ट्रस्ट और एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा पाठ्यक्रम और एंथोलॉजी में संग्रहीत। अंग्रेज़ी, पोलिश, रूसी, जर्मन और डच भाषाओं में कहानियों के अनुवाद | अब तक पाँच कहानी-संग्रह प्रकाशित ।
/
कमला प्रसाद -
जन्म : 14 फरवरी 1938 को सतना जिले के गाँव धौरहरा में ।
प्रकाशन : साहित्यशास्त्र, छायावादोत्तर काव्य की सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, छायावाद, प्रकृति और प्रयोग, दरअसल, रचना और आलोचना की द्वन्द्वात्मकता, समकालीन हिन्दी निबन्ध और निबन्धकार, कविता तीरे, साहित्य और विचारधारा, मध्ययुगीन रचना और मूल्य, यशपाल (मोनोग्राफ़), गिरा अनयन, सम्पादक की क़लम, आलोचक और आलोचना आदि ।
'पहल' पत्रिका से वर्षों जुड़े रहे और 'वसुधा' का भी सम्पादन किया ।
सम्मान : 'नन्ददुलारे वाजपेयी पुरस्कार' (मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी), ‘सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार' (केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा), 'रामविलास शर्मा सम्मान', 'शमशेर सम्मान' तथा अनेक संस्थानों के सम्मान ।
निधन : 25 मार्च 2011
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Toofan Kabhi Maat Nahin Khate” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balabhadra (Vol. 2): Hindi Vyakhya
Save: 20%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.