SalePaperback
Til Bhar Jagah Nahin
₹399 ₹279
Save: 30%
Upanyas : Swaroop Aur Samvedana
₹295 ₹207
Save: 30%
Tirichh
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
उदय प्रकाश
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
उदय प्रकाश
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹199 ₹198
Save: 1%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789389915754
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
160
“उदय प्रकाश के बारे में यह कहना काफी नहीं है कि वे हमारे समय के सबसे अच्छे युवा कहानीकार हैं, बल्कि सच यह है कि उन्होंने सम्पूर्ण हिन्दी कहानी के परिदृश्य में अपने लिए मुकम्मल जगह बना ली है। जब-जब लोग प्रेमचन्द, अमरकान्त, रेणु और रामनारायण शुक्ल आदि को याद करेंगे, तब-तब उदय प्रकाश का उल्लेख भी आयेगा। उनका यह कहानी-संग्रह इस बात की पुष्टि करता है।
उदय प्रकाश ने अपनी इन कहानियों में औपन्यासिक विज़न के साथ इस ‘असहनीय’ यथार्थ को प्रस्तुत किया है। इन कहानियों में अद्भुत किस्सागोई है लेकिन मज़े लेकर वर्णन करने का अभाव है। इनमें हमारे समाज की भर्त्सना भी है और उसकी करुण गाथा भी। ये कहानियाँ सधी और तनी हुई कविता भी हैं और ऐसी कहानियाँ भी, जो अपनी वस्तु ही नहीं, पूरी आन्तरिकता में भारतीय हैं। ये कहानियाँ विराट् फन्तासी भी हैं और निर्मम, वस्तुपरक बयान भी ।
संग्रह में तीन छोटी-छोटी ‘आत्मकथाएँ’ हैं, जो अद्भुत रूप से काव्यात्मक हैं। ये कहानियाँ इस बात की याद दिलाती हैं कि हिन्दी कहानी के कोने-अंतरे अभी सूने हैं और उन्हें कोई काव्यात्मक दृष्टि ही भर सकती है। यह अचरज की बात नहीं है कि लगभग काव्यात्मक तनाव को बनाये रखकर लम्बी कहानियाँ लिखने वाले उदय प्रकाश ने एक ‘आत्मकथा’ – ‘डिबिया’ में इस बात को रेखांकित किया है कि लेखक उन लोगों का विश्वास अर्जित करने के लिए, जो हमेशा अविश्वास ही करेंगे, हर अनुभव का प्रमाण देने के लिए विवश नहीं है। एक कवि ही ऐसा कहने का साहस कर सकता है, जो कि उदय प्रकाश हैं। वह अकेले ऐसे कवि हैं, जिन्होंने कहानीकार के रूप में, अपने कवि से निरपेक्ष, अलग और स्वतन्त्र जगह बनाई है, लेकिन अपने कवि की कीमत पर नहीं ।
इन कहानियों ने संग्रह के रूप में आने से पहले ही समकालीन हिन्दी कहानी के परिदृश्य में सार्थक हस्तक्षेप किया है और अब ये अधिक गहरी और ज़िम्मेदार चर्चा की माँग करती हैं।”
– विष्णु नागर
Be the first to review “Tirichh” Cancel reply
Description
“उदय प्रकाश के बारे में यह कहना काफी नहीं है कि वे हमारे समय के सबसे अच्छे युवा कहानीकार हैं, बल्कि सच यह है कि उन्होंने सम्पूर्ण हिन्दी कहानी के परिदृश्य में अपने लिए मुकम्मल जगह बना ली है। जब-जब लोग प्रेमचन्द, अमरकान्त, रेणु और रामनारायण शुक्ल आदि को याद करेंगे, तब-तब उदय प्रकाश का उल्लेख भी आयेगा। उनका यह कहानी-संग्रह इस बात की पुष्टि करता है।
उदय प्रकाश ने अपनी इन कहानियों में औपन्यासिक विज़न के साथ इस ‘असहनीय’ यथार्थ को प्रस्तुत किया है। इन कहानियों में अद्भुत किस्सागोई है लेकिन मज़े लेकर वर्णन करने का अभाव है। इनमें हमारे समाज की भर्त्सना भी है और उसकी करुण गाथा भी। ये कहानियाँ सधी और तनी हुई कविता भी हैं और ऐसी कहानियाँ भी, जो अपनी वस्तु ही नहीं, पूरी आन्तरिकता में भारतीय हैं। ये कहानियाँ विराट् फन्तासी भी हैं और निर्मम, वस्तुपरक बयान भी ।
संग्रह में तीन छोटी-छोटी ‘आत्मकथाएँ’ हैं, जो अद्भुत रूप से काव्यात्मक हैं। ये कहानियाँ इस बात की याद दिलाती हैं कि हिन्दी कहानी के कोने-अंतरे अभी सूने हैं और उन्हें कोई काव्यात्मक दृष्टि ही भर सकती है। यह अचरज की बात नहीं है कि लगभग काव्यात्मक तनाव को बनाये रखकर लम्बी कहानियाँ लिखने वाले उदय प्रकाश ने एक ‘आत्मकथा’ – ‘डिबिया’ में इस बात को रेखांकित किया है कि लेखक उन लोगों का विश्वास अर्जित करने के लिए, जो हमेशा अविश्वास ही करेंगे, हर अनुभव का प्रमाण देने के लिए विवश नहीं है। एक कवि ही ऐसा कहने का साहस कर सकता है, जो कि उदय प्रकाश हैं। वह अकेले ऐसे कवि हैं, जिन्होंने कहानीकार के रूप में, अपने कवि से निरपेक्ष, अलग और स्वतन्त्र जगह बनाई है, लेकिन अपने कवि की कीमत पर नहीं ।
इन कहानियों ने संग्रह के रूप में आने से पहले ही समकालीन हिन्दी कहानी के परिदृश्य में सार्थक हस्तक्षेप किया है और अब ये अधिक गहरी और ज़िम्मेदार चर्चा की माँग करती हैं।”
– विष्णु नागर
About Author
उदय प्रकाश (जन्म: 1952 ) को भारतीय एवं अन्तरराष्ट्रीय साहित्य में विशिष्ट स्थान प्राप्त है। देश और विदेश की लगभग समस्त भाषाओं में अनूदित और पुरस्कृत उनका साहित्य बदलते समय और यथार्थ का प्रामाणिक और साहसिक दस्तावेज़ है। 'साहित्य अकादेमी', 'सार्क राइटर्स सम्मान', 'मुक्तिबोध सम्मान' आदि के अतिरिक्त उनकी रचनाओं के अनुवादों को भी कई महत्त्वपूर्ण अन्तरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हैं ।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Tirichh” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.