Telugu Ki Lokpriya Kahaniyan

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dr. Balshauri Reddy
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Dr. Balshauri Reddy
Language:
Hindi
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Hardback

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श्रीकविकोंडल वेंकटेश्वरराव की कहानियों में जो चित्रण मिलता है; वह अन्यत्र नहीं।

तेलुगु-कहानी-साहित्य में चलम् के प्रवेश ने या भाषा; या भाव; सब में क्रांति पैदा की है। चलम् ने सभी क्षेत्रों में विद्रोह का झंडा ऊँचा किया है। श्रीसुखरम् प्रताप रेड्डी ने यद्यपि बहुत कम कहानियाँ लिखी हैं; फिर भी कहानी-साहित्य में उन्हें उच्च स्थान प्राप्त है। उन्हें तेलुगु-कहानी-साहित्य का गुलेरी कहें तो अतिशयोति न होगी। तेलुगु-कहानियों में हास्यरस का अभाव था। उसकी पूर्ति श्रीमुनिमाणियम् नरसिंहराव ने की। भवसागर को लोग दु:खमय मानते हैं; पर नरसिंहराव ने आनंदमय माना और अपनी रचनाओं से सिद्ध भी किया। इनको कुछ लोग ‘हास्य चक्रवर्ती’ मानते हैं। इनकी कहानियों में अधिकतर पारिवारिक समस्याएँ ही मिलेंगी।
तेलुगु-साहित्य में भावना-प्रधान तथा ऐतिहासिक प्रेम कहानियों के लिए श्री अडवि बापिराजु प्रसिद्ध हैं। इनकी कहानियों में संगीत; चित्रकला और अभिनय का वर्णन उल्लेखनीय है।
तेलुगु भाषा के श्रेष्ठ कथाकारों की लोकप्रिय कहानियों का संकलन।

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Description

श्रीकविकोंडल वेंकटेश्वरराव की कहानियों में जो चित्रण मिलता है; वह अन्यत्र नहीं।

तेलुगु-कहानी-साहित्य में चलम् के प्रवेश ने या भाषा; या भाव; सब में क्रांति पैदा की है। चलम् ने सभी क्षेत्रों में विद्रोह का झंडा ऊँचा किया है। श्रीसुखरम् प्रताप रेड्डी ने यद्यपि बहुत कम कहानियाँ लिखी हैं; फिर भी कहानी-साहित्य में उन्हें उच्च स्थान प्राप्त है। उन्हें तेलुगु-कहानी-साहित्य का गुलेरी कहें तो अतिशयोति न होगी। तेलुगु-कहानियों में हास्यरस का अभाव था। उसकी पूर्ति श्रीमुनिमाणियम् नरसिंहराव ने की। भवसागर को लोग दु:खमय मानते हैं; पर नरसिंहराव ने आनंदमय माना और अपनी रचनाओं से सिद्ध भी किया। इनको कुछ लोग ‘हास्य चक्रवर्ती’ मानते हैं। इनकी कहानियों में अधिकतर पारिवारिक समस्याएँ ही मिलेंगी।
तेलुगु-साहित्य में भावना-प्रधान तथा ऐतिहासिक प्रेम कहानियों के लिए श्री अडवि बापिराजु प्रसिद्ध हैं। इनकी कहानियों में संगीत; चित्रकला और अभिनय का वर्णन उल्लेखनीय है।
तेलुगु भाषा के श्रेष्ठ कथाकारों की लोकप्रिय कहानियों का संकलन।

About Author

जाने-माने रचनाकार बालशौरि रेड्डी का जन्म 1 जुलाई, 1928 को जिला कडपा, आंध्र प्रदेश में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा नेल्लूर एवं कडपा से तथा उच्च शिक्षा इलाहाबाद व वाराणसी में पूरी की। हिंदी प्रचार सभा, मद्रास; भारतीय भाषा परिषद्, कोलकाता; हिंदी अकादमी, हैदराबाद तथा अन्य संस्थाओं से संबद्ध रहे श्री रेड्डी ने 23 वर्षों तक बच्चों की लोकप्रिय हिंदी पत्रिका ‘चंदामामा’ का संपादन किया। लगभग दो दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। कथा साहित्य के अलावा प्रचुर मात्रा में बाल साहित्य का लेखन किया। ‘शबरी’, ‘जिंदगी की राह’, ‘बैरिस्टर’, ‘प्रकाश और परछाईं’ चर्चित उपन्यास। अनेक सम्मानों एवं उपाधियों से अलंकृत बालशौरि रेड्डीजी को देश-विदेशों के दर्जनों पुरस्कार मिले, यथा—राजर्षि पुरुषोाम दास पुरस्कार, गणेशशंकर विद्यार्थी पुरस्कार, केरल साहित्य अकादेमी पुरस्कार आदि। स्मृतिशेष: 15 सितंबर, 2015| --This text refers to an out of print or unavailable edition of this title.

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