Taptsamadhi Tatha Anya Kahaniyan

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
मीरा सीकरी
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
मीरा सीकरी
Language:
Hindi
Format:
Hardback

119

Save: 1%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789326352079 Category Tag
Category:
Page Extent:
104

तप्तसमाधि तथा अन्य कहानियाँ –
मीरा सीकरी की इस संग्रह की कहानियों की विशेषता, उनके पूर्व प्रकाशित कहानी-संग्रह के क्रम में यह है कि वे पाठकों को लम्बे समय तक अपने विचारों और संवेदनाओं में बाँधे रखती हैं। एक कहानी को पढ़ने के बाद दूसरी कहानी को पढ़ने के लिए, इसी लिए कुछ वक़फा चाहिए। कहानियों के बनते-मिटते ध्वनि बिम्ब पाठकीय स्मृति में अपनी अनुगूँज छोड़ जाते हैं। अप्रत्याशित मोड़, प्रतीक धर्मिता और समापन रूढ़ि का शिकार हुए बिना, सादे शिल्प-विधान में लेखिका ने महत्त्वपूर्ण कहानियों की रचना की है।
आज के कठिन समय में सम्बन्धों के जो नये पहलू सामने आ रहे हैं, जो नये समीकरण बन रहे हैं, दृष्टिकोणों और विचारों में, व्यवहारों और आचरणों में जो आपाधापी मची हुई है, उसे लेखिका ने कलात्मक ढंग से उकेरा है। हिंसा के बारीक रेशों तथा आतंक से घिरे मनुष्य की नियति को, उसकी विद्रूप और विसंगत स्थितियों में छिपे हिंसा के महीन रेशों को उनकी कहानियाँ, किसी सजावट-बनावट के बिना, प्रामाणिक और मनोवैज्ञानिक तरीक़े से उधेड़ती चलती हैं। इस कहानियों से नारी और दलित की पीड़ा और सन्ताप का, ‘सुन्दर भय’ से मुक्ति की छटपटाहट का संवेदनात्मक ब्ल्यू प्रिंट तैयार किया जा सकता है, हालाँकि नारी और दलित जैसे प्रचलित विमर्शों में इन्हें बाँधा नहीं जा सकता।
कथा-निदेशन की ख़ूबी, ब्यौरों और तनावों का नाटकीय विधान उनकी कहानियों को एक अलग रचाव में ढालने में समर्थ है। उनके कहानीकार में एक रंगकर्मी छिपा हुआ है जो चरित्रों के रंग-रेशों, भावों मनोभावों और विचारों को रंग-छायाओं और रंग हरकतों का हिस्सा बना देता है। ध्यान देने की बात है कि वास्तविकता और कला के सीमान्त इन कहानियों में, अनुभव और विचार की बानगियों के साथ खुलते और फैलते गये हैं और पाठकीय चेतना में उतरते गये हैं।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Taptsamadhi Tatha Anya Kahaniyan”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

तप्तसमाधि तथा अन्य कहानियाँ –
मीरा सीकरी की इस संग्रह की कहानियों की विशेषता, उनके पूर्व प्रकाशित कहानी-संग्रह के क्रम में यह है कि वे पाठकों को लम्बे समय तक अपने विचारों और संवेदनाओं में बाँधे रखती हैं। एक कहानी को पढ़ने के बाद दूसरी कहानी को पढ़ने के लिए, इसी लिए कुछ वक़फा चाहिए। कहानियों के बनते-मिटते ध्वनि बिम्ब पाठकीय स्मृति में अपनी अनुगूँज छोड़ जाते हैं। अप्रत्याशित मोड़, प्रतीक धर्मिता और समापन रूढ़ि का शिकार हुए बिना, सादे शिल्प-विधान में लेखिका ने महत्त्वपूर्ण कहानियों की रचना की है।
आज के कठिन समय में सम्बन्धों के जो नये पहलू सामने आ रहे हैं, जो नये समीकरण बन रहे हैं, दृष्टिकोणों और विचारों में, व्यवहारों और आचरणों में जो आपाधापी मची हुई है, उसे लेखिका ने कलात्मक ढंग से उकेरा है। हिंसा के बारीक रेशों तथा आतंक से घिरे मनुष्य की नियति को, उसकी विद्रूप और विसंगत स्थितियों में छिपे हिंसा के महीन रेशों को उनकी कहानियाँ, किसी सजावट-बनावट के बिना, प्रामाणिक और मनोवैज्ञानिक तरीक़े से उधेड़ती चलती हैं। इस कहानियों से नारी और दलित की पीड़ा और सन्ताप का, ‘सुन्दर भय’ से मुक्ति की छटपटाहट का संवेदनात्मक ब्ल्यू प्रिंट तैयार किया जा सकता है, हालाँकि नारी और दलित जैसे प्रचलित विमर्शों में इन्हें बाँधा नहीं जा सकता।
कथा-निदेशन की ख़ूबी, ब्यौरों और तनावों का नाटकीय विधान उनकी कहानियों को एक अलग रचाव में ढालने में समर्थ है। उनके कहानीकार में एक रंगकर्मी छिपा हुआ है जो चरित्रों के रंग-रेशों, भावों मनोभावों और विचारों को रंग-छायाओं और रंग हरकतों का हिस्सा बना देता है। ध्यान देने की बात है कि वास्तविकता और कला के सीमान्त इन कहानियों में, अनुभव और विचार की बानगियों के साथ खुलते और फैलते गये हैं और पाठकीय चेतना में उतरते गये हैं।

About Author

मीरा सीकरी - जन्म: जून 1941, गुजराँवाला, पश्चिमी पाकिस्तान। शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय से 1962 में हिन्दी साहित्य में एम.ए. और 1972 में 'नयी कहानी' पर पीएच.डी.। प्रकाशित कृतियाँ: 'पैंतरें तथा अन्य कहानियाँ', 'अनकही', 'बलात्कार तथा अन्य कहानियाँ', 'मीरा सीकरी की यादगारी कहानियाँ' तथा 'प्रेम सम्बन्धों की कहानियाँ' (कहानी-संग्रह); 'ग़लती कहाँ', 'अनुपस्थित' (उपन्यास); कविताएँ, आलेख, संस्मरण एवं यात्रा संस्मरण पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। पुरस्कार-सम्मान: 'बलात्कार तथा अन्य कहानियाँ' हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा वर्ष 2002-2003 के कृति सम्मान से सम्मानित। उपन्यास 'अनुपस्थित' के लिए अखिल भारतीय लेखिका मंच 'ऋचा' द्वारा वर्ष 2007-2009 के 'लेखिका रत्न सम्मान' से सम्मानित।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Taptsamadhi Tatha Anya Kahaniyan”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED