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Tapaki Aur Bundi Ke Laddu-(HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Dilip Pandey, Chanchal Sharma
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Dilip Pandey, Chanchal Sharma
Language:
Hindi
Format:
Hardback

279

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3-5 days

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SKU 9789388933575 Category
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हिन्‍दी में 5-7 साल से 13-14 साल तक के बच्‍चों के लिए मनोरंजक लेकिन शिक्षाप्रद एवं प्रेरणादायी कहानियों का अभाव लगने पर मन हुआ कि कुछ लिखा जाए। आसपास जो कुछ भी पहले से रचा हुआ था, उस पर नज़री डाली तो कई सारी कमियाँ नज़र आईं, जैसे—अधिकतर किताबों या कार्टून सीरीज में कहानी का नायक लड़का है, लड़की नहीं। इसके अलावा दशकों पहले लिखी गई क‍हानियों से आज के दौर का बच्‍चा ख़ुद को जोड़ नहीं पाता, उनसे सीख नहीं पाता। आज के समाज के बच्‍चों की चुनौतियाँ भी अलग हैं। बच्‍चे खेल के मैदान में नहीं, मोबाइल फ़ोन के गेम में उलझे हैं। स्‍कूल सिर्फ़ उन्‍हें नौकरी पाने के तरीक़े सिखा रहा है, अच्‍छा इंसान बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं है। भला हो दिल्‍ली सरकार का जिसने अपने स्‍कूल के बच्‍चों के लिए हैप्‍पीनेस करिकुलम शुरू किया। बच्‍चों के लिए हिन्‍दी की कहानियों की उपलब्‍धता और उनकी आवश्‍यकताओं के बीच के अन्‍तर ने इस किताब को जन्‍म दिया।
—इसी पुस्‍तक से
 
टपकी और उसकी दिलचस्प दुनिया। इसमें हर बच्चा अपनी हिस्सेदारी महसूस करेगा और हर बड़ा इसमें दाख़िल होकर बच्चा हो जाना चाहेगा।    
—आबिद सुरती

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Description

हिन्‍दी में 5-7 साल से 13-14 साल तक के बच्‍चों के लिए मनोरंजक लेकिन शिक्षाप्रद एवं प्रेरणादायी कहानियों का अभाव लगने पर मन हुआ कि कुछ लिखा जाए। आसपास जो कुछ भी पहले से रचा हुआ था, उस पर नज़री डाली तो कई सारी कमियाँ नज़र आईं, जैसे—अधिकतर किताबों या कार्टून सीरीज में कहानी का नायक लड़का है, लड़की नहीं। इसके अलावा दशकों पहले लिखी गई क‍हानियों से आज के दौर का बच्‍चा ख़ुद को जोड़ नहीं पाता, उनसे सीख नहीं पाता। आज के समाज के बच्‍चों की चुनौतियाँ भी अलग हैं। बच्‍चे खेल के मैदान में नहीं, मोबाइल फ़ोन के गेम में उलझे हैं। स्‍कूल सिर्फ़ उन्‍हें नौकरी पाने के तरीक़े सिखा रहा है, अच्‍छा इंसान बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं है। भला हो दिल्‍ली सरकार का जिसने अपने स्‍कूल के बच्‍चों के लिए हैप्‍पीनेस करिकुलम शुरू किया। बच्‍चों के लिए हिन्‍दी की कहानियों की उपलब्‍धता और उनकी आवश्‍यकताओं के बीच के अन्‍तर ने इस किताब को जन्‍म दिया।
—इसी पुस्‍तक से
 
टपकी और उसकी दिलचस्प दुनिया। इसमें हर बच्चा अपनी हिस्सेदारी महसूस करेगा और हर बड़ा इसमें दाख़िल होकर बच्चा हो जाना चाहेगा।    
—आबिद सुरती

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