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Tamrapat (HB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
Rangnath Pathare
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Rangnath Pathare
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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9788126717965
Category Hindi
Category: Hindi
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मौजूदा समय के जटिल यथार्थ, समाज की बहुमुखी विसंगतियों और आधुनिक मनुष्य के सम्मुख उपस्थित चुनौतियों का जैसा अंकन उपन्यास विधा में सम्भव है, ऐसा और किसी विधा में नहीं। भारतीय भाषाओं के उपन्यासकारों ने अपने समकाल को समझने और विश्लेषित रूप में पाठकों तक पहुँचाने में इस विधा का बखूबी प्रयोग किया है।
मराठी में कादम्बरी यानी उपन्यास लेखन का अपना एक इतिहास रहा है। प्रसिद्ध लेखक रंगनाथ पठारे का यह चर्चित उपन्यास ‘ताम्रपट’ उन सब सम्भावनाओं को समेटे हुए है जिनकी अपेक्षा उपन्यास से की जाती है। अपने बृहद् कलेवर में ‘ताम्रपट’ की कथा का फलक भारतीय इतिहास के लगभग चार दशकों में फैला हुआ है—1942 से लेकर 1979 तक। अलग से कहना ज़रूरी नहीं कि यही वह दौर है जब देश ने स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद के उत्साह और अवसाद दोनों को झेलते हुए विश्व-पटल पर अपनी पहचान कराई। इस काल में हमने सत्ता के संघर्षों का विभिन्न रूप देखा, संस्थाओं का बनना और उनका भ्रष्ट होना भी देखा, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में अनेक निर्मितियों और विध्वंसों को भी देखा; नागरिकों के नैतिक उत्थान-पतन से भी हम रूबरू हुए। ‘ताम्रपट’ के माध्यम से हम इस पूरी यात्रा से गुज़रते हैं। लेखक की विराट विश्वदृष्टि और अपने आसपास के यथार्थ का विश्वसनीय अभिज्ञान इस उपन्यास में अपने सम्पूर्ण वैभव के साथ उपस्थित है।
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Description
मौजूदा समय के जटिल यथार्थ, समाज की बहुमुखी विसंगतियों और आधुनिक मनुष्य के सम्मुख उपस्थित चुनौतियों का जैसा अंकन उपन्यास विधा में सम्भव है, ऐसा और किसी विधा में नहीं। भारतीय भाषाओं के उपन्यासकारों ने अपने समकाल को समझने और विश्लेषित रूप में पाठकों तक पहुँचाने में इस विधा का बखूबी प्रयोग किया है।
मराठी में कादम्बरी यानी उपन्यास लेखन का अपना एक इतिहास रहा है। प्रसिद्ध लेखक रंगनाथ पठारे का यह चर्चित उपन्यास ‘ताम्रपट’ उन सब सम्भावनाओं को समेटे हुए है जिनकी अपेक्षा उपन्यास से की जाती है। अपने बृहद् कलेवर में ‘ताम्रपट’ की कथा का फलक भारतीय इतिहास के लगभग चार दशकों में फैला हुआ है—1942 से लेकर 1979 तक। अलग से कहना ज़रूरी नहीं कि यही वह दौर है जब देश ने स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद के उत्साह और अवसाद दोनों को झेलते हुए विश्व-पटल पर अपनी पहचान कराई। इस काल में हमने सत्ता के संघर्षों का विभिन्न रूप देखा, संस्थाओं का बनना और उनका भ्रष्ट होना भी देखा, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में अनेक निर्मितियों और विध्वंसों को भी देखा; नागरिकों के नैतिक उत्थान-पतन से भी हम रूबरू हुए। ‘ताम्रपट’ के माध्यम से हम इस पूरी यात्रा से गुज़रते हैं। लेखक की विराट विश्वदृष्टि और अपने आसपास के यथार्थ का विश्वसनीय अभिज्ञान इस उपन्यास में अपने सम्पूर्ण वैभव के साथ उपस्थित है।
About Author
रंगनाथ पठारे
जन्म : 1 जून, 1950
शिक्षा : एम.एससी. (भौतिकी), 1973; पुणे विद्यापीठ; एम.फ़िल्. (भौतिकी), 1980, पुणे विद्यापीठ।
अध्यापन : संगमनेर महाविद्यालय, संगमनेर, जून 1973 में भौतिकशास्त्र के व्याख्याता।
प्रमुख कृतियाँ : ‘दिवे गेलेले दिवस’, ‘रथ’, ‘चक्रव्यूह’, ‘हारण’, ‘टोकदार सावलीचे वर्तमान’, (उपन्यास); ‘अनुभव विकणे आहेत’, ‘स्पष्टवक्तेपणाचे प्रयोग’, (कहानी-संग्रह)।
सम्मान : ‘ताम्रपट’ : ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘दिवे गेलेले दिवस : ‘महाराष्ट्र राज्य वाङ्मय पुरस्कार’, ‘चक्रव्यूह : प्रियदर्शिनी अकादमी, मुम्बई का पुरस्कार’, ‘चक्रव्यूह : महाराष्ट्र राज्य वाङ्मय पुरस्कार’, और ‘सार्वजनिक वाचनालय, नासिक का कथालेखक म्हणून ‘अ.वा. वर्टी पुरस्कार’, टोकदार सावलीचे वर्तमान : महाराष्ट्र साहित्य परिषद, पुणे का ‘ह.ना. आप्टे पुरस्कार’, महाराष्ट्र साहित्य परिषद, पुणे का ‘शंकर पाटील पुरस्कार’, स्पष्टवक्तेपणाचे प्रयोग : परिवर्तन चळवळ औरंगाबाद का ‘बी. रघुनाथ पुरस्कार’, महाराष्ट्र साहित्य परिषद, पुणे का ‘नी.स. गोखले पुरस्कार’, ‘पद्मश्री विखे पाटील पुरस्कार’ आदि।
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