Talahatee

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
शशिप्रभा शास्त्री
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
शशिप्रभा शास्त्री
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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SKU 9789355184849 Category
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180

तलहटी – अपने समय और परिवेश का प्रभाव हर समर्थ कथाकार की रचना पर होता है। कहानी की प्रासंगिकता के लिए शायद यह जरूरी भी है। दरअसल कहानी में अनुभव और अभिव्यक्ति की परिधि जितनी बड़ी और खरी होती है, वह समाज को एक संवेदनात्मक समृद्धि से निरन्तर अभिभूत करती है। प्रतिष्ठित कथाकार शशिप्रभा शास्त्री की कहानियाँ इस दृष्टि से निस्सन्देह आश्वस्त करती हैं-विशेष रूप से इस संग्रह की कहानियाँ।
तलहटी में शशिप्रभा जी की नौ लम्बी कहानियाँ संगृहीत हैं। ये कहानियाँ व्यक्ति के अन्तर्द्वन्द और उसकी सपाट वीरानगी के साथ ही जीवन की विभीषिकाओं को विविध रूपों में उजागर करते हुए, उन सामाजिक सरोकारों और मूल्यों को भी सामने रखती हैं जो मनुष्य को बचाये और बनाये रखने के लिए बेहद जरूरी हैं। समकालीन हिन्दी कहानी के परिदृश्य में शशिप्रभा जी की ये कहानियाँ अपनी सुगठित रचावट-बुनावट और कलात्मक सृजनात्मकता के कारण भी विशिष्ट और महत्त्वपूर्ण हैं।

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Description

तलहटी – अपने समय और परिवेश का प्रभाव हर समर्थ कथाकार की रचना पर होता है। कहानी की प्रासंगिकता के लिए शायद यह जरूरी भी है। दरअसल कहानी में अनुभव और अभिव्यक्ति की परिधि जितनी बड़ी और खरी होती है, वह समाज को एक संवेदनात्मक समृद्धि से निरन्तर अभिभूत करती है। प्रतिष्ठित कथाकार शशिप्रभा शास्त्री की कहानियाँ इस दृष्टि से निस्सन्देह आश्वस्त करती हैं-विशेष रूप से इस संग्रह की कहानियाँ।
तलहटी में शशिप्रभा जी की नौ लम्बी कहानियाँ संगृहीत हैं। ये कहानियाँ व्यक्ति के अन्तर्द्वन्द और उसकी सपाट वीरानगी के साथ ही जीवन की विभीषिकाओं को विविध रूपों में उजागर करते हुए, उन सामाजिक सरोकारों और मूल्यों को भी सामने रखती हैं जो मनुष्य को बचाये और बनाये रखने के लिए बेहद जरूरी हैं। समकालीन हिन्दी कहानी के परिदृश्य में शशिप्रभा जी की ये कहानियाँ अपनी सुगठित रचावट-बुनावट और कलात्मक सृजनात्मकता के कारण भी विशिष्ट और महत्त्वपूर्ण हैं।

About Author

डॉ. शशिप्रभा शास्त्री अगस्त, 1923, मेरठ (उ.प्र.) में जन्म। दिल्ली विश्वविद्यालय से एम. ए. एवं जोधपुर विश्वविद्यालय से पीएच.डी. । महादेवी स्नातकोत्तर कॉलेज, देहरादून में अध्यापन कार्य। वहीं से लेखन-यात्रा प्रारम्भ । प्रकाशित कृतियाँ: नावें, सीढ़ियाँ, परछाइयों के पीछे, परसों के बाद, क्योंकि उम्र एक गलियारे की, कर्करेखा, ख़ामोश होते सवाल, अमलतास, हर दिन इतिहास, मीनारें (उपन्यास), घुली हुई शाम, अनुत्तरित, जोड़ बाकी, पतझड़, दो कहानियों के बीच, एक टुकड़ा शान्तिरथ, उस दिन भी, चर्चित कहानियाँ (कहानी-संग्रह); सागर पार का संसार, रोज़ की तरह (यात्रा-वृत्तान्त); पुल के पार, आसमान की मेज़, अँधेरे का सिपाही (बाल-साहित्य); हिन्दी के पौराणिक नाटकों के मूल स्रोत (शोध-ग्रन्थ)। विभिन्न रचनाएँ अंग्रेजी, कन्नड़ तथा अन्य प्रादेशिक भाषाओं में अनूदित । 'रचना पुरस्कार' (कलकत्ता), 'सारस्वत पुरस्कार' तथा 'हिन्दी अकादेमी पुरस्कार' (दिल्ली आदि से सम्मानित । सन् 2000 में दिल्ली में देहावसान।

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