Taar Saptak : Siddhant Aur Kavita (HB)

Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Bodhisatwa
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Radhakrishna Prakashan
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Bodhisatwa
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हिन्दी कविता के इतिहास में तार सप्तक का ऐतिहासिक महत्त्व है। काव्य-चेतना के दो युगों के सन्धि-बिन्दु पर मौजूद इस संकलन से गुज़रे बिना छायावाद, प्रगतिवाद और छायावादोत्तर कविताओं के बाद की हिन्दी कविता को नहीं समझा जा सकता। लेकिन दुर्भाग्य से अभी तक इसका कोई व्यवस्थित अध्ययन नहीं हो पाया। हिन्दी के सुपरिचित कवि और अध्येता बोधिसत्व का यह शोध-प्रबन्ध इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है।
पाँच विस्तृत अध्यायों में सुनियोजित इस पुस्तक में तार सप्तक के इतिहास, उसकी युगीन आवश्यकता, सम्पादन-प्रक्रिया और उससे जुड़े विवादों से आरम्भ करके हिन्दी के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में उसका चरणबद्ध विवेचन किया गया है। तार सप्तक में शामिल कवियों के काव्य-चिन्तन का विस्तृत अध्ययन-सर्वेक्षण और उनकी  काव्यगत विशेषताओं पर शोधकर्ता ने अपनी कवियोचित अन्तर्दृष्टि का प्रयोग करते हुए कई मूल्यवान निष्कर्ष प्राप्त किए हैं।
सप्तक के पहले और दूसरे संस्करणों में प्रकाशित कवि-वक्तव्यों में आए परिवर्तनों की तरफ़ भी लेखक की जिज्ञासा गई है, और उनके सूक्ष्म अध्ययन से उसने जानने की कोशिश की है कि कवियों के वक्तव्यों में आए ये बदलाव किस प्रवृत्ति के सूचक हैं—अन्विति के, अन्तर्विरोध के या विकास के।
कहने की आवश्यकता नहीं कि हिन्दी कविता के एक ऐतिहासिक मोड़ पर केन्द्रित यह गम्भीर अध्ययन न सिर्फ़ छात्रों, बल्कि कविता के इतिहास में रुचि रखनेवाले हर पाठक के लिए उपादेय सिद्ध होगा।

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Description

हिन्दी कविता के इतिहास में तार सप्तक का ऐतिहासिक महत्त्व है। काव्य-चेतना के दो युगों के सन्धि-बिन्दु पर मौजूद इस संकलन से गुज़रे बिना छायावाद, प्रगतिवाद और छायावादोत्तर कविताओं के बाद की हिन्दी कविता को नहीं समझा जा सकता। लेकिन दुर्भाग्य से अभी तक इसका कोई व्यवस्थित अध्ययन नहीं हो पाया। हिन्दी के सुपरिचित कवि और अध्येता बोधिसत्व का यह शोध-प्रबन्ध इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है।
पाँच विस्तृत अध्यायों में सुनियोजित इस पुस्तक में तार सप्तक के इतिहास, उसकी युगीन आवश्यकता, सम्पादन-प्रक्रिया और उससे जुड़े विवादों से आरम्भ करके हिन्दी के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में उसका चरणबद्ध विवेचन किया गया है। तार सप्तक में शामिल कवियों के काव्य-चिन्तन का विस्तृत अध्ययन-सर्वेक्षण और उनकी  काव्यगत विशेषताओं पर शोधकर्ता ने अपनी कवियोचित अन्तर्दृष्टि का प्रयोग करते हुए कई मूल्यवान निष्कर्ष प्राप्त किए हैं।
सप्तक के पहले और दूसरे संस्करणों में प्रकाशित कवि-वक्तव्यों में आए परिवर्तनों की तरफ़ भी लेखक की जिज्ञासा गई है, और उनके सूक्ष्म अध्ययन से उसने जानने की कोशिश की है कि कवियों के वक्तव्यों में आए ये बदलाव किस प्रवृत्ति के सूचक हैं—अन्विति के, अन्तर्विरोध के या विकास के।
कहने की आवश्यकता नहीं कि हिन्दी कविता के एक ऐतिहासिक मोड़ पर केन्द्रित यह गम्भीर अध्ययन न सिर्फ़ छात्रों, बल्कि कविता के इतिहास में रुचि रखनेवाले हर पाठक के लिए उपादेय सिद्ध होगा।

About Author

बोधिसत्व

मूलनाम : अखिलेश कुमार मिश्र

जन्म : 11 दिसम्बर, 1968 को उत्तर प्रदेश के भदोही ज़‍िले के सुरियावाँ थाने के एक गाँव भिखारी रामपुर में जन्म।

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा गाँव की ही पाठशाला से। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. और वहीं से तार सप्तक के कवियों के काव्य-सिद्धान्त पर पीएच.डी. की उपाधि ली। यूजीसी के रिसर्च फ़ैलो रहे।

प्रकाशन : ‘सिर्फ़ कवि नहीं’ (1991), ‘हम जो नदियों का संगम हैं’ (2000), ‘दु:ख-तंत्र’ (2004), ‘ख़त्म नहीं होती बात’ (2010) ये चार कविता-संग्रह प्रकाशित हैं। ‘तारसप्तक-काव्य सिद्धान्त और कविता’ नामक शोध-प्रबन्ध (2011)। लम्बी कहानी ‘वृषोत्सर्ग’ (2005) प्रकाशित।

सम्‍पादन : ‘गुरवै नमः’ (2002), ‘भारत में अपहरण का इतिहास’ (2005), ‘रचना समय’ के ‘शमशेर जन्मशती’ अंक का सम्‍पादन (2010)।

प्रकाशनाधीन : ‘कविता की छाया में’ (लेख, समीक्षा और व्याख्या)।

अन्य लेखन : ‘शिखर’ (2005), ‘धर्म’ (2006) जैसी फ़‍िल्मों और दर्जनों टीवी धारावाहिकों का लेखन। 

सम्मान : कविता के लिए ‘भारतभूषण अग्रवाल पुरस्‍कार’, ‘गिरिजा कुमार माथुर सम्मान’, ‘संस्कृति अवार्ड’, ‘हेमन्‍त स्मृति सम्मान’, ‘फ़‍िराक़ सम्मान’, ‘शमशेर सम्मान’ आदि प्राप्त हैं।

विशेष : कुछ कविताएँ देशी-विदेशी भाषाओं में अनूदित हैं। कुछ कविताएँ मास्को विश्वविद्यालय के स्नातक के पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती हैं। दो कविताएँ गोवा विश्व विद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रम में शामिल थीं।

फ़‍िलहाल : पिछले कई साल से मुम्बई में बसेरा है। सिनेमा, टेलीविज़न और पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखाई का काम।

ईमेल : abodham@gmail.com

ब्लॉग : http://vinay-patrika.blogspot.com

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