स्वर्णिम बचपन | Swarnim Bachpan

Publisher:
Penguin Swadesh
| Author:
Osho
| Language:
Hindi
| Format:
Papeback
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Penguin Swadesh
Author:
Osho
Language:
Hindi
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Papeback

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SKU 9780143456254 Category
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752

एक बुद्धपुरुष का विवरण ही बचपन बुद्धों की जीवनी लिखी नहीं जा सकती, क्योंकि उनके जीवन के इतने रहस्यपूर्ण बेबूझ तल होते हैं कि वे सब उनके आचरण में प्रतिबिंबित नहीं हो सकते। जीवनी होती है कि सी भी व्यक्ति के आस-पास घटित हुई घटनाओं का दर्शन वेश, उन घटनाओं की व्याख्या। अब एक जाग्रत चेतना के आचरण की व्याख्या सो लोग कैसे करें। प्रबुद्ध पुरुषों की आत्मकथा यदि कोई लिख सकता है, तो वे स्वयं लेकिन वे लिखते नहीं क्योंकि उनके लिए उनका जीवन एक स्वप्न से अधिक कुछ नहीं है। उनके भीतर विराजमान समयातीत चेतना को समय के भीतर घटनाओं वाली छोटी-मोटी घटनाओं से कोई सरोकार नहीं। ओशो जैसे विद्रोही और आध्यात्मिक क्रांतिकारी को समझना और भी मुश्किल है। बचपन में उन्होंने जो कहानी में कहा कि एक मन में जीने वाला व्यक्ति करता है, तो उस पर शांति नहीं हो सकती थी, लेकिन जब जाग्रत उन्हें करता है, तो उसके मायने बिल्कुल बदल जाते हैं। इसे ध्यान में रखकर यह कि ताब पढ़ी जाए, तो ओशो के बचपन की झलकें हमें हमारा अपना जीवन समझने में मदद कर सकती हैं।

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Description

एक बुद्धपुरुष का विवरण ही बचपन बुद्धों की जीवनी लिखी नहीं जा सकती, क्योंकि उनके जीवन के इतने रहस्यपूर्ण बेबूझ तल होते हैं कि वे सब उनके आचरण में प्रतिबिंबित नहीं हो सकते। जीवनी होती है कि सी भी व्यक्ति के आस-पास घटित हुई घटनाओं का दर्शन वेश, उन घटनाओं की व्याख्या। अब एक जाग्रत चेतना के आचरण की व्याख्या सो लोग कैसे करें। प्रबुद्ध पुरुषों की आत्मकथा यदि कोई लिख सकता है, तो वे स्वयं लेकिन वे लिखते नहीं क्योंकि उनके लिए उनका जीवन एक स्वप्न से अधिक कुछ नहीं है। उनके भीतर विराजमान समयातीत चेतना को समय के भीतर घटनाओं वाली छोटी-मोटी घटनाओं से कोई सरोकार नहीं। ओशो जैसे विद्रोही और आध्यात्मिक क्रांतिकारी को समझना और भी मुश्किल है। बचपन में उन्होंने जो कहानी में कहा कि एक मन में जीने वाला व्यक्ति करता है, तो उस पर शांति नहीं हो सकती थी, लेकिन जब जाग्रत उन्हें करता है, तो उसके मायने बिल्कुल बदल जाते हैं। इसे ध्यान में रखकर यह कि ताब पढ़ी जाए, तो ओशो के बचपन की झलकें हमें हमारा अपना जीवन समझने में मदद कर सकती हैं।

About Author

ओशो, जिन्हें क्रमशः भगवान श्री रजनीश, ओशो रजनीश, या केवल रजनीश के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय, विचारक, धर्मगुरु और रजनीश आंदोलन के प्रणेता-नेता थे। अपने संपूर्ण जीवनकाल में आचार्य रजनीश को एक विवादशील रहस्यदर्शी, गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में देखा गया। वे धार्मिक रूढ़िवादिता के बहुत कठोर आलोचक थे, जिसकी वजह से वह बहुत जल्दी विवादित हो गए और ताउम्र विवादित ही रहे। 1960 के दशक में उन्होंने पूरे भारत में एक सार्वजनिक वक्ता के रूप में यात्रा की और वे पूंजीवाद और धार्मिक रूढ़िवाद के प्रखर आलोचक रहे। उन्होंने मानव का मुक्ति के प्रति एक ज्यादा खुले रवैया की वकालत की, जिसके कारण वे भारत तथा पश्चिमी देशों में भी आलोचना के पात्र रहे, हालांकि बाद में उनका यह दृष्टिकोण अधिक स्वीकार्य हो गया।

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