SaleHardback
Swarg Ki Yatna
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
अशोक चन्द्र
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
अशोक चन्द्र
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹895 ₹627
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ISBN:
SKU
9789355188625
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
400
14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान की आज़ादी के तुरन्त बाद कश्मीर रियासत का पाकिस्तान राज्य से किया गया यथावत् समझौता (Stand Still Agreement ) ऐसी ही योजना की दिशा में उठाया गया क़दम था। महाराजा की इच्छा भारतीय राज्य से भी यथावत समझौते की थी परन्तु भारत का ऐसा करना, कश्मीर को अपने समकक्ष, राज्य को मान्यता देना होता है जो तत्कालीन नेतृत्व को मंज़ूर नहीं था। उसका यह विचार तकनीकी रूप से उचित भी था। यह अलग बात है कि कश्मीर को हड़पने के मामले में पाकिस्तान का सब्रेक़रार बहुत जल्दी टूट गया और समझौते का उल्लंघन करते हुए उसने सैन्य अभियान को हरी झण्डी दे दी ( बलोचिस्तान का उदाहरण भी सामने है, जिससे पाकिस्तान ने यथावत समझौता तोड़ जनवरी 1948 में जबरन राज्य में मिला लिया था, जिसका विरोध आज तक जारी हैं) अक्टूबर 1947 में कश्मीर पर पाकिस्तानी आक्रमण ने महाराजा को विवश कर दिया कि उन्हें स्वतन्त्र राज्य के अस्तित्ववादी विचार को छोड़ भारत से सैन्य सहायता माँगनी पड़ी। ज़ाहिर था कि भारतीय राज्य को रियासत के विलयन के बिना यह सहायता मुहैया कराना मंजूर नहीं होता। अन्ततः 26 अक्टूबर 1947 को कश्मीर भारतीय राज्य का अंग बन गया। यहाँ से कहानी कैसे मोड़ लेती है, उसे आप किताब में पढ़ेंगे।
– अपनी बात से
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Description
14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान की आज़ादी के तुरन्त बाद कश्मीर रियासत का पाकिस्तान राज्य से किया गया यथावत् समझौता (Stand Still Agreement ) ऐसी ही योजना की दिशा में उठाया गया क़दम था। महाराजा की इच्छा भारतीय राज्य से भी यथावत समझौते की थी परन्तु भारत का ऐसा करना, कश्मीर को अपने समकक्ष, राज्य को मान्यता देना होता है जो तत्कालीन नेतृत्व को मंज़ूर नहीं था। उसका यह विचार तकनीकी रूप से उचित भी था। यह अलग बात है कि कश्मीर को हड़पने के मामले में पाकिस्तान का सब्रेक़रार बहुत जल्दी टूट गया और समझौते का उल्लंघन करते हुए उसने सैन्य अभियान को हरी झण्डी दे दी ( बलोचिस्तान का उदाहरण भी सामने है, जिससे पाकिस्तान ने यथावत समझौता तोड़ जनवरी 1948 में जबरन राज्य में मिला लिया था, जिसका विरोध आज तक जारी हैं) अक्टूबर 1947 में कश्मीर पर पाकिस्तानी आक्रमण ने महाराजा को विवश कर दिया कि उन्हें स्वतन्त्र राज्य के अस्तित्ववादी विचार को छोड़ भारत से सैन्य सहायता माँगनी पड़ी। ज़ाहिर था कि भारतीय राज्य को रियासत के विलयन के बिना यह सहायता मुहैया कराना मंजूर नहीं होता। अन्ततः 26 अक्टूबर 1947 को कश्मीर भारतीय राज्य का अंग बन गया। यहाँ से कहानी कैसे मोड़ लेती है, उसे आप किताब में पढ़ेंगे।
– अपनी बात से
About Author
अशोक चन्द्र
जन्म : 08 अगस्त, 1956 जौनपुर (उ.प्र.) के छोटे से गाँव लखरैयाँ में। ग्रामीण परिवेश में प्राथमिक शिक्षा के बाद बी. आई.टी., सिन्दरी (झारखण्ड) से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक। वहीं अध्यापन से नौकरी की शुरुआत। वर्ष 1979 से उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम एवं राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण में विभिन्न पदों पर कार्य ।
छात्र जीवन से ही मेधावी विद्यार्थी के रूप में ख्याति । अकादमिक उपलब्धियों के लिए सम्मान एवं राष्ट्रीय छात्रवृत्तियाँ प्राप्त । हिन्दी में तकनीकी-लेखन के लिए भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत। पढ़ाई के साथ खेल स्पर्धाओं में भी हिस्सेदारी। हॉकी, क्रिकेट, बैडमिंटन, ब्रिज आदि खेलों में विभिन्न स्तरों पर टीमों का प्रतिनिधित्व ।
जीवन के सभी क्षेत्रों में व्यापक एवं सक्रिय हिस्सेदारी। 'समान्तर', 'सर्जना', 'सेतु' आदि पत्रिकाओं का सम्पादन । विभिन्न साहित्यिक, सांस्कृतिक व अकादमिक संगठनों से जुड़ाव तथा पदभारों का दायित्व-निर्वहन । जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय पार्षद एवं उ.प्र. इकाई के उपाध्यक्ष रहे।
जीवनानुभवों की आदृश्य- अकुलाहट एवं परिवेश के दबाव, लिखने का कारण आठवें दशक से लिखना जारी। कविता के अलावा कहानी, आलोचना, संस्मरण एवं वैचारिक मुद्दों पर लेखन, विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन ।
ज़िन्दगी की जद्दोजहद में सीधे हस्तक्षेप की बेक़रार पक्षधरता। खुद को आगे बढ़कर प्रस्तुत करने का संकोच । तमाम दुःखों एवं ढेर सारी पराजयों के बावजूद मनुष्य की अदम्य जिजीविषा में अटूट विश्वास कि आयेंगे उजले दिन ज़रूर ।
सम्पर्क : डी-2/593, सेक्टर-एफ, जानकीपुरम, लखनऊ (उ.प्र.)
मो. : 9450563915
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