Svaraj (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Ramchandra Gandhi, Tr. Madan Soni
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
Author:
Ramchandra Gandhi, Tr. Madan Soni
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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रामचन्द्र गाँधी एक ऐसे भारतीय दार्शनिक थे जिनकी साहित्य और कलाओं में गहरी दिलचस्पी थी : उनका चिन्तन अक्सर अध्यात्म, कला और साहित्य को अपनी समझ के भूगोल में समाविष्ट करता था। अपने जीवन में उनका अपने समय के कई बड़े लेखकों और कलाकारों से सम्पर्क और दोस्ताना था। चित्रकार तैयब मेहता के एक त्रिफलक से प्रेरित होकर रामचन्द्र गाँधी ने यह अद्भुत पुस्तक लिखी है।
सम्भवत: किसी कलाकृति पर ऐसी विचार-सघन पुस्तक कम से कम भारत में दूसरी नहीं है। उसमें जितने दार्शनिक आशय कला के खुलते हैं, उतने ही अभिप्राय स्वयं रामचन्द्र गाँधी के चिन्तन के भी। यह सीमित अर्थों में कलालोचना नहीं है पर यह दिखाती है कि गहरा कलास्वादन उतने ही गहरे मुक्त चिन्तन को उद्वेलित कर सकता है।
तैयब मेहता रज़ा साहब के घनिष्ठ मित्र थे। इस पुस्तक का आलोचक मदन सोनी द्वारा बड़े अध्यवसाय से किया गया हिन्दी अनुवाद उस कला-मैत्री को एक प्रणति भी है।
—अशोक वाजपेयी

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Description

रामचन्द्र गाँधी एक ऐसे भारतीय दार्शनिक थे जिनकी साहित्य और कलाओं में गहरी दिलचस्पी थी : उनका चिन्तन अक्सर अध्यात्म, कला और साहित्य को अपनी समझ के भूगोल में समाविष्ट करता था। अपने जीवन में उनका अपने समय के कई बड़े लेखकों और कलाकारों से सम्पर्क और दोस्ताना था। चित्रकार तैयब मेहता के एक त्रिफलक से प्रेरित होकर रामचन्द्र गाँधी ने यह अद्भुत पुस्तक लिखी है।
सम्भवत: किसी कलाकृति पर ऐसी विचार-सघन पुस्तक कम से कम भारत में दूसरी नहीं है। उसमें जितने दार्शनिक आशय कला के खुलते हैं, उतने ही अभिप्राय स्वयं रामचन्द्र गाँधी के चिन्तन के भी। यह सीमित अर्थों में कलालोचना नहीं है पर यह दिखाती है कि गहरा कलास्वादन उतने ही गहरे मुक्त चिन्तन को उद्वेलित कर सकता है।
तैयब मेहता रज़ा साहब के घनिष्ठ मित्र थे। इस पुस्तक का आलोचक मदन सोनी द्वारा बड़े अध्यवसाय से किया गया हिन्दी अनुवाद उस कला-मैत्री को एक प्रणति भी है।
—अशोक वाजपेयी

About Author

रामचन्द्र गाँधी

रामचन्द्र गाँधी का जन्म 1937 में हुआ। उन्होंने दिल्ली और ऑक्सफ़ोर्ड में दर्शनशास्त्र का अध्ययन किया और दोनों ही जगहों के विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त कीं। उन्होंने भारत, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में दर्शनशास्त्र का अध्यापन किया। वे हैदराबाद विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर, विश्वभारती, शान्तिनिकेतन में कॉम्परेटिव रिलीज़न के प्रोफ़ेसर, और वेस्ट कोस्ट, सैन फ़्रांसिस्को, के कैलीफ़ोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंटीग्रल स्टडीज़ में कॉम्परेटिव एंड साउथ एशियन फ़िलॉसफ़ी के प्रोफ़ेसर रहे।
उनकी अनेक पुस्तकों में ‘सीता'स किचिन : अ टेस्टिमॅनी ऑफ़ फेथ एंड इन्क्वायरी’ (1992) शामिल है, जो अयोध्या संकट के परिप्रेक्ष्य में एक बौद्ध-कथा का गल्पात्मक और दार्शनिक अन्वेषण है।

बाद के वर्षों में रामचन्द्र गाँधी ने सुप्रसिद्ध कथक नृत्यांगना शोवना नारायण के साथ मिलकर श्री रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानन्द, श्री रमण महर्षि और महात्मा गाँधी आदि आधुनिक युग के सन्तों के जीवन पर केन्द्रित नाटकों का लेखन, निर्देशन और मंचन किया।
13 जून, 2007 को दिल्ली में उनका निधन हुआ।

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