Suno Radhike Suno 188

Save: 25%

Back to products
Vipatra 89

Save: 1%

Surya Ki Antim Kiran Se Surya Ki Pahali Kiran Tak

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
सुरेंद्र वर्मा
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
सुरेंद्र वर्मा
Language:
Hindi
Format:
Hardback

119

Save: 1%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789326351348 Category Tag
Category:
Page Extent:
72

सूर्य की अन्तिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक –
हिन्दी नाटक और रंगमंच का यह गौरव आलेख हिन्दी में तो प्रत्येक महत्त्वपूर्ण नाट्य केन्द्र में सफलता से प्रदर्शित हुआ ही है, साथ ही मराठी, कन्नड़, ओड़िया, मणिपुरी एवं तमिल में भी इसकी प्रस्तुतियों ने विशेष ख्याति पायी है।
मिथकीय आधार पर कुछेक बहुत तीख़े समकालीन जीवनानुभव इस नाट्य-कृति में रेखांकित हुए हैं। यहाँ एक ओर समसामयिक स्तर पर परिवर्तनशील मूल्यों के सन्दर्भ में दाम्पत्य एवं यौन सम्बन्धों का गहरा और बारीक़ अन्वेषण है, तो दूसरी ओर शासक तथा शासन तन्त्र के आपसी रिश्ते का सार्थक विश्लेषण।
सुगठित संरचना-शिल्प, कविता का आस्वाद देती ताज़ा, बेधक रंगभाषा द्वन्द्वाश्रित चरित्र-सृष्टि, परम्परागत मिथक की सामयिक व्याख्या और काम सम्बन्धों के कमनीय, उदात्त चित्रण की दृष्टि से यह रचना भारतीय नाट्य-साहित्य में अद्वितीय है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Surya Ki Antim Kiran Se Surya Ki Pahali Kiran Tak”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

सूर्य की अन्तिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक –
हिन्दी नाटक और रंगमंच का यह गौरव आलेख हिन्दी में तो प्रत्येक महत्त्वपूर्ण नाट्य केन्द्र में सफलता से प्रदर्शित हुआ ही है, साथ ही मराठी, कन्नड़, ओड़िया, मणिपुरी एवं तमिल में भी इसकी प्रस्तुतियों ने विशेष ख्याति पायी है।
मिथकीय आधार पर कुछेक बहुत तीख़े समकालीन जीवनानुभव इस नाट्य-कृति में रेखांकित हुए हैं। यहाँ एक ओर समसामयिक स्तर पर परिवर्तनशील मूल्यों के सन्दर्भ में दाम्पत्य एवं यौन सम्बन्धों का गहरा और बारीक़ अन्वेषण है, तो दूसरी ओर शासक तथा शासन तन्त्र के आपसी रिश्ते का सार्थक विश्लेषण।
सुगठित संरचना-शिल्प, कविता का आस्वाद देती ताज़ा, बेधक रंगभाषा द्वन्द्वाश्रित चरित्र-सृष्टि, परम्परागत मिथक की सामयिक व्याख्या और काम सम्बन्धों के कमनीय, उदात्त चित्रण की दृष्टि से यह रचना भारतीय नाट्य-साहित्य में अद्वितीय है।

About Author

सुरेन्द्र वर्मा - जन्म: 7 सितम्बर, 1941। शिक्षा: एम.ए. (भाषाविज्ञान)। अभिरुचियाँ: प्राचीन और मध्यकालीन भारतीय इतिहास, सभ्यता एवं संस्कृति रंगमंच तथा अन्तर्राष्ट्रीय सिनेमा में गहरी दिलचस्पी। कृतियाँ: 'तीन नाटक', 'सूर्य की अन्तिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक', 'आठवाँ सर्ग', 'शकुन्तला की अँगूठी', 'क़ैद-ए-हयात', 'रति का कंगन' (नाटक); 'नींद क्यों रात भर नहीं आती' (एकांकी); 'जहाँ बारिश न हो' (व्यंग्य); 'प्यार की बातें', 'कितना सुन्दर जोड़ा' (कहानी-संग्रह); 'अँधेरे से परे', 'मुझे चाँद चाहिए', 'दो मुर्दों के लिए गुलदस्ता' और 'काटना शमी का वृक्ष पद्म पंखुरी की धार से' (उपन्यास)। सम्मान: संगीत नाटक अकादेमी और साहित्य अकादेमी द्वारा सम्मानित।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Surya Ki Antim Kiran Se Surya Ki Pahali Kiran Tak”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED