SaleHardback
Suraj Ka Satwan Ghoda
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
धर्मवीर भारती
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
धर्मवीर भारती
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹295 ₹207
Save: 30%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789355185792
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
80
सूरज का सातवाँ घोड़ा –
‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’ प्रख्यात कवि, कथाकार डॉ. धर्मवीर भारती का एक ऐसा सफल प्रयोगात्मक उपन्यास है जिसे लाखों ने पढ़कर और इसी उपन्यास पर बनी फ़िल्म को देखकर भरपूर सराहा है।
‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’ उनके अत्यन्त लोकप्रिय उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ से बिल्कुल अलग कथ्य, शैली और शिल्प का उपन्यास है। दरअसल इसमें हमारे निम्न-मध्य वर्ग के जीवन का सही-सही चित्रण है। यह सत्य है कि वह चित्र ‘प्रीतिकर या सुखद नहीं है; क्योंकि उस समाज का जीवन वैसा नहीं है और भारती ने यथाशक्य उसका सच्चा चित्र उतारना चाहा है। पर वह असुन्दर या अप्रीतिकर भी नहीं है, क्योंकि वह मृत नहीं है, न मृत्यु-पूजक ही है। उसमें दो चीज़ें हैं जो उसे इस ख़तरे से उबारती हैं——एक तो उसका हास्य, दूसरे एक अदम्य और निष्ठामयी आशा।’
उपन्यास की शैली अपने ढंग से अनूठी है। इस पुस्तक के माध्यम से हिन्दी में एक नयी कथा-शैली का आविर्भाव हुआ। इसकी कथावस्तु कई कहानियों में गुम्फित है, किन्तु इसमें ‘एक कहानी में अनेक कहानियाँ नहीं, अनेक कहानियों में एक कहानी है।’
प्रस्तुत है ‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’ का नवीनतम संस्करण नयी साज-सज्जा के साथ।
Be the first to review “Suraj Ka Satwan Ghoda” Cancel reply
Description
सूरज का सातवाँ घोड़ा –
‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’ प्रख्यात कवि, कथाकार डॉ. धर्मवीर भारती का एक ऐसा सफल प्रयोगात्मक उपन्यास है जिसे लाखों ने पढ़कर और इसी उपन्यास पर बनी फ़िल्म को देखकर भरपूर सराहा है।
‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’ उनके अत्यन्त लोकप्रिय उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ से बिल्कुल अलग कथ्य, शैली और शिल्प का उपन्यास है। दरअसल इसमें हमारे निम्न-मध्य वर्ग के जीवन का सही-सही चित्रण है। यह सत्य है कि वह चित्र ‘प्रीतिकर या सुखद नहीं है; क्योंकि उस समाज का जीवन वैसा नहीं है और भारती ने यथाशक्य उसका सच्चा चित्र उतारना चाहा है। पर वह असुन्दर या अप्रीतिकर भी नहीं है, क्योंकि वह मृत नहीं है, न मृत्यु-पूजक ही है। उसमें दो चीज़ें हैं जो उसे इस ख़तरे से उबारती हैं——एक तो उसका हास्य, दूसरे एक अदम्य और निष्ठामयी आशा।’
उपन्यास की शैली अपने ढंग से अनूठी है। इस पुस्तक के माध्यम से हिन्दी में एक नयी कथा-शैली का आविर्भाव हुआ। इसकी कथावस्तु कई कहानियों में गुम्फित है, किन्तु इसमें ‘एक कहानी में अनेक कहानियाँ नहीं, अनेक कहानियों में एक कहानी है।’
प्रस्तुत है ‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’ का नवीनतम संस्करण नयी साज-सज्जा के साथ।
About Author
धर्मवीर भारती -
बहुचर्चित लेखक एवं सम्पादक डॉ. धर्मवीर भारती 25 दिसम्बर, 1926 को इलाहाबाद में जनमे और वहीं शिक्षा प्राप्त कर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य करने लगे। इसी दौरान कई पत्रिकाओं से भी जुड़े अन्त में 'धर्मयुग' के सम्पादक के रूप में गम्भीर पत्रकारिता का एक मानक निर्धारित किया।
डॉ. धर्मवीर भारती बहुमुखी प्रतिभा के लेखक थे। कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, निबन्ध, आलोचना, अनुवाद, रिपोर्ताज़ आदि विधाओं को उनकी लेखनी से बहुत कुछ मिला है। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं——'साँस की क़लम से', 'मेरी वाणी गैरिक वसना', 'कनुप्रिया', 'सात गीत-वर्ष', 'ठण्डा लोहा', 'सपना अभी भी', 'सूरज का सातवाँ घोड़ा', 'बन्द गली का आख़िरी मकान', 'पश्यन्ती', 'कहनी अनकहनी', 'शब्दिता', 'अन्धा युग', 'मानव-मूल्य और साहित्य' और 'गुनाहों का देवता' ।
भारती जी 'पद्मश्री' की उपाधि के साथ ही 'व्यास सम्मान' एवं अन्य कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से अलंकृत हुए।
4 सितम्बर, 1997 को मुम्बई में देहावसान।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Suraj Ka Satwan Ghoda” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balabhadra (Vol. 2): Hindi Vyakhya
Save: 20%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Reviews
There are no reviews yet.