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Sunderkand | “सुंदरकांड” | Shri Goswami Tulsidas (Hindi)
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Goswami Tulsidas
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Goswami Tulsidas
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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9789355628473
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Page Extent:
144
संवत् 1631 में तुलसीदासजी ने श्रीरामचरितमानस की रचना प्रारंभ की। दो वर्ष, सात महीने और छब्बीस दिन में यहअद्भुत ग्रंथ संपन्न हुआ। सुंदरकांड मूलतः गोस्वामी तुलसीदास कृत इसी श्रीरामचरित मानस का एक भाग है। सुंदरकांड में हनुमानजी द्वारा किए गए महान् कार्यों का वर्णन है। मानस पाठ में सुंदरकांड के पाठ का विशेष महत्त्व माना जाता है।
सुंदरकांड में हनुमान का लंका प्रस्थान, लंका दहन कर लंका से वापसी तक के घटनाक्रम आते हैं। साथ ही उनकी असीम शक्ति, बुद्धि-कौशल और अनन्य भक्ति का पता चलता है। सुंदरकांड का पारायण वाले साधक को असीम ऊर्जा और प्रेरणा प्राप्त होती है ।
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Description
संवत् 1631 में तुलसीदासजी ने श्रीरामचरितमानस की रचना प्रारंभ की। दो वर्ष, सात महीने और छब्बीस दिन में यहअद्भुत ग्रंथ संपन्न हुआ। सुंदरकांड मूलतः गोस्वामी तुलसीदास कृत इसी श्रीरामचरित मानस का एक भाग है। सुंदरकांड में हनुमानजी द्वारा किए गए महान् कार्यों का वर्णन है। मानस पाठ में सुंदरकांड के पाठ का विशेष महत्त्व माना जाता है।
सुंदरकांड में हनुमान का लंका प्रस्थान, लंका दहन कर लंका से वापसी तक के घटनाक्रम आते हैं। साथ ही उनकी असीम शक्ति, बुद्धि-कौशल और अनन्य भक्ति का पता चलता है। सुंदरकांड का पारायण वाले साधक को असीम ऊर्जा और प्रेरणा प्राप्त होती है ।
About Author
गोस्वामी तुलसीदास का जन्म सोरों शूकरक्षेत्र, वर्तमान में कासगंज (एटा) उत्तर प्रदेश में माना जाता है। उनके पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। अति सुंदर भारद्वाज गोत्र की कन्या रत्नावली के साथ उनका विवाह हुआ। पत्नी द्वारा फटकारे जाने पर उन्होंने काशी में विद्याध्ययन किया और विद्वान् बने । चित्रकूट पर उन्हें भगवान् राम के दर्शन हुए।
अपने 126 वर्ष के दीर्घ जीवन-काल में तुलसीदासजी ने कालक्रमानुसार निम्नलिखित कालजयी ग्रंथों की रचनाएँ की - गीतावली (1571), कृष्ण - गीतावली (1571), रामचरितमानस (1574), पार्वती- मंगल (1582), विनय पत्रिका (1582), जानकी - मंगल (1582), रामललानहछू (1583), वैराग्यसंदीपनी (1612), रामाज्ञाप्रश्न (1612), सतसई, बरवै रामायण (1612), कवितावली (1612), हनुमानबाहुक इत्यादि
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