SaleHardback
Chhako Ki Vapasi (HB)
₹595 ₹417
Save: 30%
Maseeha Aur Anya Ekanki (PB)
₹250 ₹175
Save: 30%
Sundar Ke Swapn (HB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
DALPAT SINGH RAJPUROHIT
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
DALPAT SINGH RAJPUROHIT
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹795 ₹557
Save: 30%
In stock
Ships within:
3-5 days
In stock
ISBN:
SKU
9789394902039
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
सुन्दरदास आरम्भिक आधुनिक हिन्दी के ऐसे कवि थे जिन्होंने संस्कृत के सुभाषितों, वेदान्त की दार्शनिक उक्तियों, ब्रह्म-वाक्यों और उत्तर भारत में प्रचलित विभिन्न बोलियों की कहावतों और मुहावरों का व्यापक प्रयोग अपनी कविता में किया। संस्कृत की शास्त्रीय परम्परा के साथ-साथ उनकी पकड़ ब्रजभाषा की रीति-कविता पर भी साफ़ दिखाई देती है लेकिन उसका प्रयोग उन्होंने अलग ढंग से किया।
उनके लिए आत्मानुभव किसी भी दर्शन से अधिक महत्त्वपूर्ण था। उनकी कविता विश्वव्यापी ब्रह्म-सत्य की खोज की कविता है, और उनकी भक्ति एक सतत यात्रा।
उनकी कविता इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि उसमें मारवाड़ क्षेत्र की वणिक संस्कृति के अत्यन्त सजीव बिम्ब हमें मिलते हैं। अकसर अकाल की ज़द में रहने वाले और बंजर मरुस्थली क्षेत्र को उन्होंने आध्यात्मिक आधार पर एक नवीन और विशिष्ट अर्थ दिया। प्रमाण उपलब्ध हैं कि उनकी कविता की पहुँच संत समुदाय से बाहर व्यापारी और दरबारी वर्ग तक थी। जयपुर के सिटी पैलेस म्यूज़ियम में संरक्षित उनकी एक पांडुलिपि पर मुग़ल बादशाह औरंगजेब की मुहर भी मिलती है।
यह पुस्तक दादूपंथ के इतिहास और उसके सामाजिक-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य के साथ-साथ सुन्दरदास के व्यक्तित्व और कृतित्व का विस्तृत और विचारोत्तेजक विवेचन करती है। उनके शिल्प, काव्य-दृष्टि और आध्यात्मिक विशिष्टताओं के विश्लेषण के अलावा इसमें भक्ति के लोकवृत्त और हिन्दी की आरम्भिक तथा अपनी आधुनिकता के तत्त्वों को भी रेखांकित किया गया है।
Be the first to review “Sundar Ke Swapn (HB)” Cancel reply
Description
सुन्दरदास आरम्भिक आधुनिक हिन्दी के ऐसे कवि थे जिन्होंने संस्कृत के सुभाषितों, वेदान्त की दार्शनिक उक्तियों, ब्रह्म-वाक्यों और उत्तर भारत में प्रचलित विभिन्न बोलियों की कहावतों और मुहावरों का व्यापक प्रयोग अपनी कविता में किया। संस्कृत की शास्त्रीय परम्परा के साथ-साथ उनकी पकड़ ब्रजभाषा की रीति-कविता पर भी साफ़ दिखाई देती है लेकिन उसका प्रयोग उन्होंने अलग ढंग से किया।
उनके लिए आत्मानुभव किसी भी दर्शन से अधिक महत्त्वपूर्ण था। उनकी कविता विश्वव्यापी ब्रह्म-सत्य की खोज की कविता है, और उनकी भक्ति एक सतत यात्रा।
उनकी कविता इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि उसमें मारवाड़ क्षेत्र की वणिक संस्कृति के अत्यन्त सजीव बिम्ब हमें मिलते हैं। अकसर अकाल की ज़द में रहने वाले और बंजर मरुस्थली क्षेत्र को उन्होंने आध्यात्मिक आधार पर एक नवीन और विशिष्ट अर्थ दिया। प्रमाण उपलब्ध हैं कि उनकी कविता की पहुँच संत समुदाय से बाहर व्यापारी और दरबारी वर्ग तक थी। जयपुर के सिटी पैलेस म्यूज़ियम में संरक्षित उनकी एक पांडुलिपि पर मुग़ल बादशाह औरंगजेब की मुहर भी मिलती है।
यह पुस्तक दादूपंथ के इतिहास और उसके सामाजिक-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य के साथ-साथ सुन्दरदास के व्यक्तित्व और कृतित्व का विस्तृत और विचारोत्तेजक विवेचन करती है। उनके शिल्प, काव्य-दृष्टि और आध्यात्मिक विशिष्टताओं के विश्लेषण के अलावा इसमें भक्ति के लोकवृत्त और हिन्दी की आरम्भिक तथा अपनी आधुनिकता के तत्त्वों को भी रेखांकित किया गया है।
About Author
दलपत सिंह राजपुरोहित
दलपत सिंह राजपुरोहित का जन्म 16 जून, 1982 को राजस्थान के पाली ज़िले के सोकड़ा गाँव में हुआ। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में ही हुई। हाई स्कूल और बी.ए. की पढ़ाई जोधपुर में। उन्होंने जे.एन.यू., नई दिल्ली और प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, कोलकाता से एम.ए., एम.फ़िल. और पी-एच.डी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं। अब अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सास (ऑस्टिन) में एशियाई अध्ययन विभाग में पिछले चार वर्षों से असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं। इससे पहले एक दशक तक कोलंबिया यूनिवर्सिटी न्यूयॉर्क में हिन्दी-उर्दू के व्याख्याता रहे और इसी विश्वविद्यालय से 2011 में श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में नामांकित हुए। ‘मुग़लकालीन उत्तर भारत, भक्ति और रीति कविता’ पर महत्त्वपूर्ण शोध-कार्य तथा रोमानिया, कनाडा, स्विट्ज़रलैंड, रशिया आदि देशों में व्याख्यान। एशियाई अध्ययन के विश्व के प्रधान जर्नल्स और भारत की प्रतिष्ठित हिन्दी पत्रिकाओं, समाचार पत्रों में आलेखों का प्रकाशन।
सम्पर्क : डिपार्टमेंट ऑफ़ एशियन स्टडीज़, यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सास (ऑस्टिन), अमेरिका।
ई-मेल : drajpurohit@austin.utexas.edu
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Sundar Ke Swapn (HB)” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balabhadra (Vol. 2): Hindi Vyakhya
Save: 20%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.