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Subbanna
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
मास्ति वेंकटेश अय्यंगार अनुवाद बी. आर. नारायण
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
मास्ति वेंकटेश अय्यंगार अनुवाद बी. आर. नारायण
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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ISBN:
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8126302097
Category Hindi
Category: Hindi
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72
सुब्बण्णा –
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित महान् कन्नड़ कथाकार मास्ति वेंकटेश अय्यंगार को अपनी प्रथम उपन्यासिका ‘सुब्बण्णा’ के लिए मात्र इतना ही कथा-सूत्र अपने एक मित्र से प्राप्त हुआ था कि एक वारांगना ने एक व्यक्ति को सौ रुपये दिये। इसी सूत्र को पकड़कर उन्होंने एक उपन्यासिका का ताना-बाना बुन डाला और जीवन-दर्शन, संगीत एवं मानव-चरित्र के अनेक आयाम अति संक्षिप्त कलेवर में गुम्फित कर दिये। जिस समय यह रचना प्रकाश में आयी, तब कन्नड़ के कथा-प्रेमी पाठक लघु-उपन्यास के इस रूप से अपरिचित हो थे। मास्ति का यह प्रथम उपन्यास हिन्दी के सुधी पाठकों को भेंट करते हुए भारतीय ज्ञानपीठ को गौरव का अनुभव हो रहा है।
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Description
सुब्बण्णा –
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित महान् कन्नड़ कथाकार मास्ति वेंकटेश अय्यंगार को अपनी प्रथम उपन्यासिका ‘सुब्बण्णा’ के लिए मात्र इतना ही कथा-सूत्र अपने एक मित्र से प्राप्त हुआ था कि एक वारांगना ने एक व्यक्ति को सौ रुपये दिये। इसी सूत्र को पकड़कर उन्होंने एक उपन्यासिका का ताना-बाना बुन डाला और जीवन-दर्शन, संगीत एवं मानव-चरित्र के अनेक आयाम अति संक्षिप्त कलेवर में गुम्फित कर दिये। जिस समय यह रचना प्रकाश में आयी, तब कन्नड़ के कथा-प्रेमी पाठक लघु-उपन्यास के इस रूप से अपरिचित हो थे। मास्ति का यह प्रथम उपन्यास हिन्दी के सुधी पाठकों को भेंट करते हुए भारतीय ज्ञानपीठ को गौरव का अनुभव हो रहा है।
About Author
मास्ति वेंकटेश अय्यंगार -
(1914-1986) -
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कन्नड़ उपन्यासकार मास्ति वेंकटेश अय्यंगार कन्नड़- विद्वज्जगत् में श्रीनिवास के नाम से लोकप्रिय हैं। काव्य, नाटक, उपन्यास, कहानी समालोचना, जीवनी आदि सभी विधाओं को उन्होंने समान रूप से समृद्ध किया है। उनकी उत्कृष्टतम उपलब्धि निःसन्देह उनकी कहानियाँ हैं, जिनमें उन्होंने ग्राम्य जीवन को सहज अभिव्यक्ति दी है। उनका विश्वास सांस्कृतिक बद्धमूलता में है, जिसके विविध आयाम उनकी कृतियों में हैं। मास्ति के 16 उपन्यास, 17 कविता-संग्रह, 18 नाटक, 18 निबन्ध आलोचना, 10 सम्पादकीय टिप्पणियों के संकलन, 9 अनुवाद, 6 सम्पादित एवं 15 अंग्रेज़ी में लिखित पुस्तकें प्रकाशित हैं।
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