Subah Ka Bhoola

Publisher:
HIND POCKET BOOKS PRINTS
| Author:
MITRA, BIMAL
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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HIND POCKET BOOKS PRINTS
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MITRA, BIMAL
Language:
Hindi
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Paperback

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144

सुबह का भूला एक बेहद दिलचस्प और रोचक उपन्यास है, जिसमें पिता की डांट-फटकार से क्षुब्ध होकर घर से भागने के बाद जीवन की कठिनाइयों और पीड़ाओं से पाठकों को हृदयस्पर्शी ढंग से रूबरू कराया गया है। हँसती-खेलती जिंदगी किस तरह ट्रेजेडी में बदलती है और संघर्ष से किस प्रकार सीख मिलती है… यही इस उपन्यास की कथावस्तु है, जिसमे एक युवक के चंचल मन और संघर्षशील जीवन को समझने का बेहद सफल प्रयास किया गया है।

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Description

सुबह का भूला एक बेहद दिलचस्प और रोचक उपन्यास है, जिसमें पिता की डांट-फटकार से क्षुब्ध होकर घर से भागने के बाद जीवन की कठिनाइयों और पीड़ाओं से पाठकों को हृदयस्पर्शी ढंग से रूबरू कराया गया है। हँसती-खेलती जिंदगी किस तरह ट्रेजेडी में बदलती है और संघर्ष से किस प्रकार सीख मिलती है… यही इस उपन्यास की कथावस्तु है, जिसमे एक युवक के चंचल मन और संघर्षशील जीवन को समझने का बेहद सफल प्रयास किया गया है।

About Author

बिमल मित्र ने सन् 1938 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से बांग्ला साहित्य में एम.ए. की उपाधि ली और रेलवे में विभिन्न पदों पर नौकरी की। जून 1956 में उन्होंने डिप्टी चीफ कंट्रोलर के पद से इस्तीफा दे दिया और स्वतंत्र लेखन करने लगे। उन्होंने भारतीय साहित्य को लगभग साढ़े तीन दशकों तक लिखते हुए 60 से अधिक उपन्यास और कहानी संग्रह दिए हैं। उनकी सर्वाधिक चर्चित कृतियों में साहिब, बीवी और गुलाम शामिल है, जिस पर एक लोकप्रिय फिल्म का भी निर्माण हुआ। मुजरिम हाज़िर नाम की उनकी एक अन्य कृति पर एक लोकप्रिय टीवी धारावाहिक का भी निर्माण हुआ। हिन्दी पाठकों को उनकी जो रचनाएँ अनुवादित होकर पढ़ने को मिली, उनमें साहब, बीवी और गुलाम, खरीदी कौड़ियों के मोल (दो-खंड), इकाई, दहाई, सैकड़ा, बेग़म मेरी विश्वास (दो खंड), दायरे के बाहर, राग भैरवी, सुबह का भूला जैसी कृतियाँ उल्लेखनीय हैं।

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