SaleHardback
Soot Ki Antrang Kahani
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
गोपाल कमल
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
गोपाल कमल
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹2,000 ₹1,400
Save: 30%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789357750202
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
840
सूत की अन्तरंग कहानी –
जैसे कपड़े में सूत और सूत में कपास ओतप्रोत रहता है, ऐसे ही कपड़ा, सूत और कपास बहुत ही प्राचीन काल से मनुष्य के जीवन में ओतप्रोत रहे हैं। जीवन में इनके रमाव को समझ कर प्राचीन काल से ही ज्ञानियों, मुनियों और ऋषियों ने अपने वचनों, गाथाओं, मन्त्रों और सूक्तों में कपड़े सूत और कपास के बिम्ब पिरोये। ऋग्वेद के कवि कहते हैं कि हम मन्त्रों को ऐसे ही रचते चलते हैं, जैसे जुलाहे करघे पर कपड़े को आकार देते हैं (वस्त्रेण भद्रा सुकृता वसूयू)। सूत और कपड़ा समाज में तरह-तरह के अनुष्ठानों में विनियुक्त होते रहे हैं। साथ ही उनकी व्याप्ति जीवन के आधिभौतिक स्तर तक की ही नहीं, आधिदैविक और आध्यात्मिक स्तरों का भी स्पर्श करती चली जाती है। समाज की ओर से नवजात शिशु को कपड़ा पहनाना भी बहुत महत्त्वपूर्ण रस्म होती थी। अश्वारोहण की रस्म के साथ वह रस्म की जाती थी। शिशु को वस्त्र पहनाते हुए कहा जाता था कि यह वस्त्र बृहस्पति ने पहनने के लिये दिया है। इसे पहन कर यह शिशु दीर्घजीवी होगा। सोम देवता के पहनने के लिये भी यही वस्त्र है।
सूत्र या धागा दर्शन, व्याकरण आदि अनुशासनों में भी सूत्र के रूप में पिरोया हुआ है। छहों दर्शनों के ग्रन्थ सूत्र हैं, पाणिनि की अष्टाध्यायी भी सूत्रों में पिरोयी हुई है। सूत की हमारी चेतना से आरम्भ कर घर, परिवार, समाज, बाज़ार तक व्याप्ति की पहचान कराते हुए गोपाल कमल ने कपास, सूत, कपड़े की दुनिया के द्वारा विराट् विश्व को समझने का उपक्रम किया है। उनका यह अनोखा काम आँखें खोल देनेवाला है। आशा है, यह पढ़ा, समझा और सराहा जायेगा। —राधावल्लभ त्रिपाठी
Be the first to review “Soot Ki Antrang Kahani” Cancel reply
Description
सूत की अन्तरंग कहानी –
जैसे कपड़े में सूत और सूत में कपास ओतप्रोत रहता है, ऐसे ही कपड़ा, सूत और कपास बहुत ही प्राचीन काल से मनुष्य के जीवन में ओतप्रोत रहे हैं। जीवन में इनके रमाव को समझ कर प्राचीन काल से ही ज्ञानियों, मुनियों और ऋषियों ने अपने वचनों, गाथाओं, मन्त्रों और सूक्तों में कपड़े सूत और कपास के बिम्ब पिरोये। ऋग्वेद के कवि कहते हैं कि हम मन्त्रों को ऐसे ही रचते चलते हैं, जैसे जुलाहे करघे पर कपड़े को आकार देते हैं (वस्त्रेण भद्रा सुकृता वसूयू)। सूत और कपड़ा समाज में तरह-तरह के अनुष्ठानों में विनियुक्त होते रहे हैं। साथ ही उनकी व्याप्ति जीवन के आधिभौतिक स्तर तक की ही नहीं, आधिदैविक और आध्यात्मिक स्तरों का भी स्पर्श करती चली जाती है। समाज की ओर से नवजात शिशु को कपड़ा पहनाना भी बहुत महत्त्वपूर्ण रस्म होती थी। अश्वारोहण की रस्म के साथ वह रस्म की जाती थी। शिशु को वस्त्र पहनाते हुए कहा जाता था कि यह वस्त्र बृहस्पति ने पहनने के लिये दिया है। इसे पहन कर यह शिशु दीर्घजीवी होगा। सोम देवता के पहनने के लिये भी यही वस्त्र है।
सूत्र या धागा दर्शन, व्याकरण आदि अनुशासनों में भी सूत्र के रूप में पिरोया हुआ है। छहों दर्शनों के ग्रन्थ सूत्र हैं, पाणिनि की अष्टाध्यायी भी सूत्रों में पिरोयी हुई है। सूत की हमारी चेतना से आरम्भ कर घर, परिवार, समाज, बाज़ार तक व्याप्ति की पहचान कराते हुए गोपाल कमल ने कपास, सूत, कपड़े की दुनिया के द्वारा विराट् विश्व को समझने का उपक्रम किया है। उनका यह अनोखा काम आँखें खोल देनेवाला है। आशा है, यह पढ़ा, समझा और सराहा जायेगा। —राधावल्लभ त्रिपाठी
About Author
गोपाल कमल -
भारतीय राजस्व सेवा, आयकर आयुक्त, नयी दिल्ली।
शिक्षा: एम.एससी. (भौतिकी), पीएच.डी. (भौतिकी), एल.एल.बी., विद्या वाचस्पति।
प्रकाशित कृतियाँ: सूत की कहानी, हिन्द महासागर का सांस्कृतिक इतिहास, प्रपंच कन्या, पंच कन्या (भारतीय दर्शन के लिए एक उपन्यास परिचय), तीव्र गान्धार (विज्ञान, दर्शन, मिथकों, किंवदतियों एवं संस्कृति पर निबन्ध)।
मंचन: पुरखों का जातक (हिन्दी) आइ.जी.एन.सी.ए., नयी दिल्ली। भारतीय जिप्सियों के यूरोप में बसने की, छह परनानी की कहानी।
संगोष्ठी सहभागिता: संस्कृत इन मॉडर्न कोन्टेक्स्ट (हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय); हिडेन फेस ऑफ़ बोरोबुदुर (बोरोबुदुर, इंडोनेशिया); हेरिटेज टूरिज़्म (मुम्बई विश्वविद्यालय, मुम्बई); दक्षिण-पूर्व एशिया का इतिहास (सी-इमेज, संचार महाविद्यालय, पटना)। भारत तथा विदेशी सम्मेलनों में अन्तर्राष्ट्रीय कराधान और भारतीय विद्या को व्याख्यायित किया। भारतीय कला व सौन्दर्यशास्त्र पर विभिन्न संग्रहालयों आदि पर व्याख्यान आयकर के काम को पी.एम. एवार्ड (2009) के लिए केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, नयी दिल्ली द्वारा प्रस्तावित।
विशेष: पूर्व वैज्ञानिक, भाभा परमाणु अनुसन्धान केन्द्र, मुम्बई। 'पंच कन्या' के लिए अन्तर्राष्ट्रीय इम्पॅक लिटरेरी डब्लिन एवार्ड 2003 के लिए नामांकन। भारतीय विद्या भवन, मुम्बई के भवन्स बुक यूनिवर्सिटी श्रृंखला का प्रकाशन।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Soot Ki Antrang Kahani” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balabhadra (Vol. 2): Hindi Vyakhya
Save: 20%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.