Soordas ‘Brajeshwar Varma’ (HB)

Publisher:
Lokbharti
| Author:
BRIJESHWAR VERMA
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Lokbharti
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BRIJESHWAR VERMA
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प्रो. वर्मा द्वारा प्रणीत ‘सूरदास’ का यह संस्करण मध्ययुग के स्वर्णकाल के अन्यतम नायक सूरदास का प्रथम वैज्ञानिक अध्ययन है। विगत कई वर्षों से यह ग्रन्थ सूर के अध्येताओं, विद्वानों और विद्यार्थियों के लिए प्रकाश स्‍तम्‍भ रहा है। इस ग्रन्थ से प्रेरणा लेकर सूर सम्बन्धी अनेक शोध और आलोचना ग्रन्थ लिखे गए हैं। सूरदास के जीवन और कृतित्व सम्बन्धी जो स्थापनाएँ प्रो. वर्मा ने इस ग्रन्थ में प्रतिपादित की हैं, उनकी प्रामाणिकता आज भी अक्षुण्ण हैं। प्रो. वर्मा की इस कृति की ख्याति देश और विदेश में समान रूप से है।

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Description

प्रो. वर्मा द्वारा प्रणीत ‘सूरदास’ का यह संस्करण मध्ययुग के स्वर्णकाल के अन्यतम नायक सूरदास का प्रथम वैज्ञानिक अध्ययन है। विगत कई वर्षों से यह ग्रन्थ सूर के अध्येताओं, विद्वानों और विद्यार्थियों के लिए प्रकाश स्‍तम्‍भ रहा है। इस ग्रन्थ से प्रेरणा लेकर सूर सम्बन्धी अनेक शोध और आलोचना ग्रन्थ लिखे गए हैं। सूरदास के जीवन और कृतित्व सम्बन्धी जो स्थापनाएँ प्रो. वर्मा ने इस ग्रन्थ में प्रतिपादित की हैं, उनकी प्रामाणिकता आज भी अक्षुण्ण हैं। प्रो. वर्मा की इस कृति की ख्याति देश और विदेश में समान रूप से है।

About Author

ब्रजेश्वर वर्मा

 सन् 1942 में प्रो. धीरेन्द्र वर्मा के निर्देशन में ‘सूरसागर के जीवन और कृतित्व’ पर शोध-प्रबन्ध प्रस्तुत कर ब्रजेश्वर वर्मा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग से डी.फ़िल. की उपाधि अर्जित की।

‘सूर-मीमांसा’ और ‘सूरदास’ डॉ. वर्मा के दो अन्य ग्रन्थ भी सूर सम्बन्धी अध्ययन के क्रम में प्रकाशित हुए हैं। ‘सूरदास' के गुजरात, पंजाबी, मराठी और असमिया में अनुवाद भी प्रकाशित हुए हैं।
सन् 1963 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यापन के बाद डॉ. वर्मा आगरा चले गए, जहाँ प्रोफ़ेसर-निदेशक का पद लेकर उन्होंने भारत सरकार द्वारा स्थापित संस्थान की लगभग बारह वर्ष सेवा की।
अवकाश के बाद प्रो. वर्मा हिन्दी भाषा और साहित्य सम्बन्धी अध्ययन-लेखन में व्यस्त रहे तथा उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की अनेक योजनाओं में कार्य किया।

निधन : 30 सितम्‍बर, 1998

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