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Sona Aur Khoon - 2 285

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Sona Aur Khoon – 1

Publisher:
Rajpal and Sons
| Author:
Acharya Chatursen
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajpal and Sons
Author:
Acharya Chatursen
Language:
Hindi
Format:
Hardback

285

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1-4 Days

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Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789386534231 Category
Category:
Page Extent:
240

“‘‘सोने का रंग पीला होता है और खून का रंग सुर्ख। पर तासीर दोनों की एक है। खून मनुष्य की रगों में बहता है, और सोना उसके ऊपर लदा हुआ है। खून मनुष्य को जीवन देता है, जबकि सोना उसके जीवन पर खतरा लाता है। पर आज के मनुष्य का खून पर उतना मोह नहीं है, जितना सोने पर है। वह एक-एक रत्ती सोने के लिए अपने शरीर की एक-एक बूँद खून बहाने को आमादा है। जीवन को सजाने के लिए वह सोना चाहता है, और उसके लिए खून बहाकर वह जीवन को खतरे में डालता है। आज के सभ्य संसार का यह सबसे बड़ा कारोबार है।’’
सोना और खून आचार्य चतुरसेन का चार भागों में लिखा उत्कृष्ट उपन्यास है जिसकी उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इसका हर भाग अपने में सम्पूर्ण है। लेखक का लक्ष्य इस उपन्यास को दस भागों में पूरा करने का था, लेकिन अपने जीवनकाल में वे मात्र चार भाग ही लिख पाये। 1957 में प्रकाशित यह उपन्यास जितना उस समय लोकप्रिय था, उतना ही आज भी है।

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Description

“‘‘सोने का रंग पीला होता है और खून का रंग सुर्ख। पर तासीर दोनों की एक है। खून मनुष्य की रगों में बहता है, और सोना उसके ऊपर लदा हुआ है। खून मनुष्य को जीवन देता है, जबकि सोना उसके जीवन पर खतरा लाता है। पर आज के मनुष्य का खून पर उतना मोह नहीं है, जितना सोने पर है। वह एक-एक रत्ती सोने के लिए अपने शरीर की एक-एक बूँद खून बहाने को आमादा है। जीवन को सजाने के लिए वह सोना चाहता है, और उसके लिए खून बहाकर वह जीवन को खतरे में डालता है। आज के सभ्य संसार का यह सबसे बड़ा कारोबार है।’’
सोना और खून आचार्य चतुरसेन का चार भागों में लिखा उत्कृष्ट उपन्यास है जिसकी उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इसका हर भाग अपने में सम्पूर्ण है। लेखक का लक्ष्य इस उपन्यास को दस भागों में पूरा करने का था, लेकिन अपने जीवनकाल में वे मात्र चार भाग ही लिख पाये। 1957 में प्रकाशित यह उपन्यास जितना उस समय लोकप्रिय था, उतना ही आज भी है।

About Author

आचार्य चतुरसेन हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं जिन्होंने सैकड़ों कहानियाँ और कई चर्चित उपन्यास लिखे हैं। उनका रचनात्मक फलक बहुत विशाल था जिसमें उन्होंने धर्म, राजनीति, समाजशास्त्र, स्वास्थ्य और चिकित्सा आदि विषयों पर लिखा। उनकी 150 से अधिक प्रकाशित रचनाएँ हैं जो अपने में एक कीर्तिमान है। ऐतिहासिक उपन्यासों के लेखक के रूप में उनकी विशेष प्रतिष्ठा है।

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